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शोधकर्ताओं ने खोजा 91 लाख साल पुराना छिपकली और पाइथन का जीवाश्म, जानें उस वक्त कैसा रहा होगा धरती का तापमान?

शोधकर्ताओं ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला की शिवालिक पहाड़ियों के हरितल्यांगर (Haritalyangar) इलाके में लगभग 9.1 मिलियन यानी की  91 लाख वर्ष पहले पाए जाने वाली छिपकलियों और सांपों के जीवाश्मों (Fossils) को खोजा है.

90 लाख साल पुराना जीवाश्म मिला 90 लाख साल पुराना जीवाश्म मिला
हाइलाइट्स
  • ये छिपकली और पाइथन यानी की साँप की रीढ़ की हड्डियों के जीवाश्मों के टुकड़े हैं.

अगर आप को जीवाश्मों यानी की फॉसिल्स (Fossils) में दिलचस्पी है तो ये खबर आपके लिए है. शोधकर्ताओं ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला की शिवालिक पहाड़ियों के हरितल्यांगर (Haritalyangar) इलाके में लगभग 9.1 मिलियन यानी की  91 लाख वर्ष पहले पाए जाने वाली छिपकलियों और सांपों के जीवाश्मों (Fossils) को खोजा है, और इस खोज से उस समय और उस काल में कैसी जलवायु होती थी उसका पता चलता है -

मिले छिपकली और पाइथन की हड्डियों के जीवाश्म

ये छिपकली और पाइथन यानी की साँप की रीढ़ की हड्डियों के जीवाश्मों (Fossils) के टुकड़े हैं जो हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की शिवालिक पहाड़ियों के हरितल्यांगर (Haritalyangar) में शोधकर्ताओं को मिले है. जब इन जीवाश्मों की जांच की गई तो शोधकर्ताओं को खोज से पता चला है कि उस अवधि के दौरान और आज के क्षेत्र में जलवायु की स्थिति समान है यानी की अभी भी इस क्षेत्र में लगभग 15 से 18.6 डिग्री सेल्सियस के औसत वार्षिक तापमान है जैसे की 91 लाख वर्ष पहले हुआ करता था.

तब हरे भरे जंगल हुआ करते थे

पंजाब यूनिवर्सिटी के जियोलॉजी विभाग से डॉ राजीव पटनायक ने गुड न्यूज टुडे को बताया कि आज से 91 लाख वर्ष पूर्व वाले फॉसिल्स यानी की जीवाश्मों को बिलासपुर में खोजा गया है और उससे ये पता चलता है कि शिवालिक के इस इलाके में पहले हरे भरे जंगल हुआ करते थे जो कि इन सांपों और छिपकली के रहने के लिए बिलकुल सही तापमान था लेकिन जैसे-जैसे वातावरण में बदलाव आया तो हरे भरे जंगल से शिवालिक की ये पहाड़ी GRASSLANDS में परिवर्तित हो गई.

तब नमी भरा रहा होगा तापमान

डॉ राजीव पटनायक ने बताया कि उस समय पर तामपान WARM और HUMID (गर्म और नमी ) वाला रहा होगा जबकि अब शिवालिक और उत्तर भारत में तापमान ठंडा और सूखा है. शोध में यह बात भी सामने आई है कि शिवालिक की पहाड़ियों में इस तापमान में ही अजगर, छिपकली और Reptiles रह सकते हैं. भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology) देहरादून, पंजाब विश्वविद्यालय (Punjab University) चंडीगढ़, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़, पंजाब और ब्रातिस्लावा में कमेनियस विश्वविद्यालय, स्लोवाकिया ( University in Bratislava, Slovakia) के शोधकर्ताओं के सहयोग से पहली बार इस क्षेत्र से टैक्सा, वरानस, पायथन, एक अहानिकर (कोलब्रिड) और एक नैट्रिकिड सर्प का Documentation किया गया है.