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Infrared vision contact lenses: वैज्ञानिकों ने तैयार की खास नाइट-विजन लेंस! अंधेरे में भी साफ देख पाएंगे इंसान

वैज्ञानिकों ने एक खास कांटेक्ट लेंस तैयार किया है, जिसे पहनकर इंसान अंधेरे में भी देख सकता है. यह लेंस बिना बिजली के काम करता है, जबकि अब तक जो नाइट-विज़न गॉगल्स आते हैं, उन्हें पावर की जरूरत होती है.

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हाइलाइट्स
  • चश्मा नहीं, कांटेक्ट लेंस से होगा कमाल

  • कैसे काम करता है यह लेंस?

अब इंसानों को भी ऐसी नजर मिल सकती है जो अभी तक सिर्फ सांपों या चमगादड़ों जैसी कुछ खास प्रजातियों में ही पाई जाती थी. चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कांटेक्ट लेंस तैयार किया है जो पहनने वाले को इंफ्रारेड (IR) रोशनी देखने की क्षमता देता है. मतलब अब आप अंधेरे में भी कुछ चीज़ें देख सकते हैं जो आपकी सामान्य आंखें नहीं देख पातीं.

इस नई टेक्नोलॉजी से इंसान अब 'सुपरह्यूमन विजन' पा सकते हैं. ये लेंस खास इसलिए है क्योंकि यह बिजली या बैटरी से नहीं चलता है और यह पूरी तरह पारदर्शी है, यानी पहनने वाला नॉर्मल रोशनी के रंग भी देख सकता है और इंफ्रारेड भी.

कैसे काम करता है यह लेंस?
इस लेंस में एक खास तरह के नैनोपार्टिकल्स लगे होते हैं. ये इंफ्रारेड रोशनी को पकड़कर उसे इंसानी आंखों के लिए दिखने वाले रंगों जैसे लाल, हरा या नीला में बदल देते हैं. पहले वैज्ञानिकों ने ये तकनीक चूहों पर आजमाई थी, लेकिन उसमें आंख के पीछे इंजेक्शन देना पड़ता था, जो इंसानों के लिए काफी डरावना हो सकता था. अब वैज्ञानिकों ने यही तकनीक बिना सुई के कांटेक्ट लेंस में डाल दी है.

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क्या-क्या देख पाएंगे?
अभी ये लेंस केवल तेज इंफ्रारेड रोशनी, जैसे कि किसी LED से निकलने वाली रोशनी को ही देख पाने में सक्षम है. इसका मतलब यह है कि आप रात में किसी छुपे हुए मैसेज को देख सकते हैं या यह जान सकते हैं कि IR लाइट किस तरफ से आ रही है.

हालांकि, यह लेंस थर्मल विजन नहीं देता, यानी गर्म चीजों की गर्माहट देखकर पहचानने की क्षमता अभी नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में अगर इन नैनोपार्टिकल्स की गुणवत्ता और बढ़ाई गई, तो हम आसपास की गर्मी और इंफ्रारेड रोशनी भी कांटेक्ट लेंस से देख सकेंगे.

कहां हो सकती है इस तकनीक की मदद?
रक्षा और सुरक्षा में: सेना के जवान बिना भारी नाइट विजन डिवाइस के भी अंधेरे में देख सकेंगे.

हिडन मैसेज पढ़ने में: IR लाइट से भेजे गए मैसेज आम लोगों को नहीं दिखेंगे, लेकिन लेंस पहनने वाले उन्हें पढ़ सकते हैं.

कलर ब्लाइंडनेस में: जो लोग कुछ रंग नहीं देख सकते, उनके लिए इन लेंसों से उस रंग की रोशनी को बदला जा सकता है ताकि वह देख सके.

वैज्ञानिकों का क्या कहना है?
इस रिसर्च को करने वाले वैज्ञानिक प्रो. तियान शुए और डॉ. युकियन मा का कहना है कि यह खोज इंसानी नजर की सीमाएं तोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है. हमारा सपना है कि आने वाले वक्त में हर इंसान को ऐसी नजर दी जा सके जो आज केवल विज्ञान में मुमकिन लगती है.