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वैज्ञानिकों ने खोजा फ्रेंडली बैक्टीरिया! इसकी मदद से बिजली भी होगी पैदा और ग्रीनहाउस गैसों का बोझ भी होगा कम    

इस बैक्टीरिया को कैंडिडैटस मेथनोपेरेडेन्स कहा जाता है. ये अक्सर मीठे पानी के स्रोतों जैसे खाइयों और झीलों में मिलता है. यह एनर्जी सेक्टर के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है.

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हाइलाइट्स
  • मीठे पानी के स्रोतों जैसे खाइयों और झीलों में मिलता है बैक्टीरिया 

  • बढ़ती ग्रीनहाउस गैसों के बोझ को भी कम कर सकेंगे

हमें अक्सर बैक्टीरिया से बचने की सलाह दी जाती है. लेकिन कुछ बैक्टीरिया ऐसे भी होते हैं जो फ्रेंडली होते हैं. ये हमें फायदा पहुंचाते हैं. अब ऐसे ही एक बैक्टीरिया की खोज की गई है. इस गजब किस्म के बैक्टीरिया की मदद से हम बिजली पैदा कर सकते हैं. जी हां, आपको ये नामुमकिन लग सकता है.

लेकिन रैडबाउड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इसे अपनी रिसर्च में सच कर दिखाया है. यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने अपनी लैब में मीथेन की खपत से बढ़ने वाले बैक्टीरिया की मदद से बिजली पैदा की जा सकती है.

बिजली पैदा करने के साथ ग्रीनहाउस गैस भी होगी कम 

आपको बता दें, अगर ये रिसर्च प्रैक्टिकली सफल होती है तो इसकी मदद से बिजली पैदा करने में ही नहीं बल्कि बढ़ती ग्रीनहाउस गैसों के बोझ को भी कम कर सकेंगे. ये स्टडी 12 अप्रैल 2022 को जर्नल फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी में पब्लिश की गई है.

मीठे पानी के स्रोतों जैसे खाइयों और झीलों में मिलता है बैक्टीरिया 

गौरतलब है कि साइंस की भाषा में इस बैक्टीरिया को कैंडिडैटस मेथनोपेरेडेन्स कहा जाता है. ये अक्सर मीठे पानी के स्रोतों जैसे खाइयों और झीलों में मिलता है. खुद को बढ़ाने के लिए ये बैक्टीरिया मीथेन का इस्तेमाल करता है. 

इस रिसर्च के बारे में माइक्रोबायोलॉजिस्ट कॉर्नेलिया वेल्टे का कहना है कि यह एनर्जी सेक्टर के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है. इसकी मदद से बिजली की खपत को पूरा किया जा सकता है.

कॉर्नेलिया वेल्टे अगर कहती हैं, “मौजूदा समय में जो बायोगैस बनाई जाती है, वहां इसे माइक्रोऑर्गैनिज्म की मदद से पैदा किया जाता है. इसके बाद इसे जलाया जाता है, जिससे फिर एक टरबाइन चलता है. इसी से बिजली पैदा होती है.” 

बैक्टीरिया से ऐसे बनती है बिजली 

दरअसल, बैक्टीरिया से बिजली पैदा करने वाले प्रोसेस में मीथेन की जगह अमोनियम का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके बाद दो टर्मिनलों के साथ एक प्रकार की बैटरी बनाई जाती है. इसमें से एक ऑर्गेनिक टर्मिनल होता है तो दूसरा केमिकल टर्मिनल. जिसके बाद इलेक्ट्रोड पर बैक्टीरिया बनाए जाते हैं. इसके बाद बैक्टीरिया मीथेन को कन्वर्ट करके इलेक्ट्रॉन में बदल देता है.