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World's 1st Lab-Made Human Skin: साइंटिस्ट्स ने किया कमाल! लैब में बना दी दुनिया की पहली ह्यूमन स्किन

टीम ने स्टेम सेल्स (Stem Cells) का इस्तेमाल करके इंसान की स्किन की रेप्लिका तैयार की, जिसमें ब्लड कैपिलरीज़, हेयर फॉलिकल्स, नर्व्स, टिश्यू लेयर्स और इम्यून सेल्स मौजूद हैं.

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ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय (University of Queensland) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने दुनिया की पहली लैब-मेड ह्यूमन स्किन तैयार की है, जो पूरी तरह फंक्शनल है और इसमें खुद ब्लड सप्लाई सिस्टम है. यह महत्वपूर्ण खोज त्वचा संबंधी बीमारियों, जलने के घावों और स्किन ग्राफ्ट के बेहतर ट्रीटमेंट के लिए नई राह खोल सकती है.

क्या है लैब-मेड स्किन की खासियत
टीम ने स्टेम सेल्स (Stem Cells) का इस्तेमाल करके इंसान की स्किन की रेप्लिका तैयार की, जिसमें ब्लड कैपिलरीज़, हेयर फॉलिकल्स, नर्व्स, टिश्यू लेयर्स और इम्यून सेल्स मौजूद हैं. इस खोज के मुख्य शोधकर्ता डॉ. अब्बास शफीई हैं जो क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के फ्रेजर इंस्टिट्यूट में टिश्यू इंजीनियरिंग और रिजनरेटिव मेडिसिन साइंटिस्ट हैं. 

यह दुनिया का अब तक का सबसे वास्तविक और जीवंत स्किन मॉडल है. इसके जरिए बीमारियों को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा, उन पर स्टडी कर सकेंगे और नए इलाज विकसित कर पाएंगे. 

कैसे बनाई गई ये आर्टिफिशियल स्किन 

  • रिसर्चर्स ने ह्यूमन स्किन सेल्स को लेकर उन्हें स्टेम सेल्स में बदल दिया.
  • इन स्टेम सेल्स को पेट्री डिश में रखा गया, जहां उन्होंने छोटे-छोटे त्वचा के ऑर्गनॉइड्स बनाए.
  • फिर इन्हीं स्टेम सेल्स का इस्तेमाल करके सूक्ष्म रक्त वाहिकाएं (माइक्रो ब्लड वेसल्स) तैयार की गईं.
  • इन वेसल्स को विकसित होती त्वचा में जोड़ा गया, जिससे यह प्राकृतिक मानव त्वचा की तरह बढ़ी.

छह साल में मिली सफलता
यह मॉडल विकसित करने में वैज्ञानिकों को छह साल का समय लगा।
इसकी मदद से स्किन ग्राफ्ट्स, सूजन संबंधी बीमारियां, आनुवंशिक त्वचा रोग जैसे सोरायसिस, एटोपिक डर्मेटाइटिस, स्क्लेरोडर्मा आदि के इलाज में क्रांति आ सकती है. त्वचा संबंधी रोगों का ट्रीटमेंट काफी मुश्किल होता है. यह शोध उन मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण है, जो लंबे समय से पुरानी स्किन की बीमारियों से जूझ रहे हैं. 

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