
अनंत अंतरिक्ष के रहस्यों का खुलासा करने में हिंदुस्तान लगातार आगे बढ़ रहा है. मिशन चंद्रयान और मंगलयान की कामयाबी से अंतरिक्ष में हिंदुस्तान की काबिलियत का परचम पहले ही लहरा रहा है. अब मिशन गगनयान के जरिए भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी है. लेकिन गगनयान की उड़ान से पहले ही भारत के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला मिशन एग्जियोम-4 (Axiom-4) के तहत कल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए उड़ान भरने जा रहे हैं.
नासा-इसरो का संयुक्त मिशन
नासा और इसरो के संयुक्त मिशन के जरिए शुभांशु इस अंतरिक्ष यात्रा पर जा रहे हैं. पूरे देश की निगाहें शुभांशु शुक्ला के मिशन पर लगी हैं. इससे पहले ये मिशन तकनीकी खामी और मौसम की वजह से कई बार टला है. लेकिन अब सभी मुसीबतों को पार करते हुए शुभांशु अपनी टीम के साथ कल उड़ान भरने वाले हैं. अपनी इस यात्रा के जरिए शुभांशु अंतरिक्ष की दुनिया में भारत के नए युग के शुरुआत करेंगे.
कितने बजे रवाना होंगे शुभांशु
शुभांशु भारतीय समयानुसार बुधवार को दोपहर 12:01 बजे अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगे. यह मिशन फ्लोरिडा में नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से रवाना होगा. शुभांशु के अलावा इस मिशन पर अमेरिका की कमांडर पेगी व्हिटसन, पोलैंड के मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोज़ उज़नान्सकी-वीस्नीव्सकी और हंगरी के मिशन स्पेशलिस्टे तिबोर कापू भी इस मिशन पर होंगे. स्पेसक्राफ्ट पर जाने वाले सभी अंतरिक्षयात्री 14 दिन तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर रहेंगे.
भारत के लिए क्यों है जरूरी?
दरअसल स्पेस एजेंसी नासा और अमेरिकी प्राइवेट स्पेस कंपनी एग्जियोम इस स्पेस मिशन पर मिलकर काम कर रहे हैं. इसरो भी इसका एक हिस्सा है. इस मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला आइएसएस का दौरा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनाएंगे. इसरो के फ्यूचर प्रोजेक्ट गगनयान के लिए यह मिशन बेहद अहम है. इसके दौरान शुभांशु शुक्ला अपने साथियों के साथ कई अहम प्रयोग को अंजाम देंगे, जो भविष्य के स्पेस रिसर्च प्रोजेक्ट्स को मजबूत आधार देंगे.
अब तक क्यों रुका मिशन?
तकनीकी कारणों से मिशन एग्जियोम-4 को उड़ान भरने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा है. दरअसल लॉन्चिंग प्रक्रिया को कई टेस्ट मानकों से होकर गुजरना पड़ता है. इसी क्रम में फाल्कन लॉन्च व्हीकल की तैयारियों को जांचा गया. इस दौरान लॉन्च पैड पर सात सेकंड का हॉट टेस्ट किया गया. इसमें लिक्विड ऑक्सीजन के रिसाव का मामला सामने आया. अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए इन समानकों पर मिशन का खरा उतरना जरूरी है.
ज़ाहिर सी बात है की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाना कोई आसान बात नहीं है. बेशक काम शुभ है, लेकिन कई चुनौतियां भी है. शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा की सबसे बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचना है. साथ ही वहां रहने के दौरान अलग-अलग प्रयोग और एक्टिविटीज को पूरा करना है. शुभांशु को अपने शरीर को माइक्रो ग्रैविटी के वातावरण में ढालना होगा जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है.
शुभांशु को मिशन के दौरान तय समय सीमा में कई तरह के वैज्ञानिक और तकनीकी प्रयोग को भी पूरा करना होगा. ज़ाहिर है चुनौतियां बढ़ी है. ऐसे में शुभांशु को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि उनके खान-पान और पोषण से जुड़ी सभी जरूरतें सही तरीके से पूरी हो रही हैं या फिर नहीं.