
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के पूर्व चीफ वीएस अरुणाचलम का अमेरिका के कैलिफोर्निया में निधन हो गया. 87 साल के मशहूर वैज्ञानिक निमोनिया और पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित थे. उन्होंने भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर, नेशनल एयरोनॉटिकल लेबोरेटरी और डिफेंस मेटालर्जिका रिसर्च लेबोरेटरी में काम किया था.
साल 2015 में अरुणाचलम को वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए डीआरडीओ के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. अरुणाचलम साल 1982 से 1992 तक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे थे.
मैसूर में हुई थी शुरुआती पढ़ाई-
वीएस अरुणाचलम का पूरा नाम वल्लमपादुगई श्रीनिवास राघवन अरुणाचलम था. उनका जन्म 10 नवंबर 1935 को हुआ था. उन्होंने मैसूर के शारदा विलास कॉलेज से पढ़ाई की थी. उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन और पीजी की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने मटेरियल साइंस में पीएचडी की डिग्री हासिल की. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ वेल्स से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी.
डॉ. अरुणाचल का करियर-
डॉ. वीएस अरुणाचलम ने भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर, नेशनल एयरोनॉटिकल लेबोरेटरी और डिफेंस मेटालर्जिका रिसर्च लेबोरेटरी में काम किया. उन्होंने डीआरडीओ की अगुवाई की. अरुणाचलम साल 1982 से 1992 तक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे. साल 2015 में उनको डीआरडीओ ने लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया था. इसके अलावा डॉ. अरुणाचलम को इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी में योगदान के लिए साल 1980 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, साल 1985 में पद्म भूषण और साल 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
डॉ. अरुणाचलम ब्रिटेन के रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के पहले भारतीय फेलो थे. उन्होंने मैटेटरियल्स रिसर्च सोसायटी बुलेटिन समेत कई विश्वविद्यालयों और फाउंडेशन के सलाहकार और एडिटोरियल बोर्ड के सदस्य रहे.
3 बड़े प्रोग्राम किए लॉन्च-
डॉ. अरुणाचलम ने भारत के 3 बड़े प्रोग्राम की शुरुआत की थी. उन्होंने हल्के लड़ाकू विमान से लेकर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल प्रोग्राम की शुरुआत की थी. इसके अलावा उन्होंने स्ट्रेटेजिक एंड टेक्टिकल गाइडेड मिसाइल बनाने के लिए इंटिग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलमेंट प्रोग्राम की शुरुआत की थी.
ये भी पढ़ें: