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कोरोनल मास इजेक्शन क्या है ? कैसे सूर्य पर होने वाले ये विस्फोट धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं?

‘कोरोनल मास इजेक्शन’ सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं. इनमें पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति को बदलने की ताकत होती है.

कोरोनल मास इजेक्शन कोरोनल मास इजेक्शन
हाइलाइट्स
  • सोलर फ्लेयर और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) में अंतर है.

  • ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं

सूरज के व्यवहार को जानना न सिर्फ सौर मंडल को समझने के लिए बल्कि धरती पर जीवन के विकास के लिए भी जरूरी है. पिछले कुछ हफ्तो में सूर्य की सक्रियता बढ़ी है. इसके चलते दो हफ्तों के भीतर 35 विस्फोट हुए हैं और 16 सनस्पॉट बने हैं. इस वजह से पृथ्वी पर नुकसान पहुंच सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि सूर्य का यह 11 साल सकी गतिविधि का चक्र है. 2019 में यह शुरू हुआ था. ऐसा कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से हो रहा है. सूरज हाल ही में बहुत सारी सौर ज्वालाएं उत्सर्जित कर रहा है.

कोरोनल मास इजेक्शन क्या है?

कोरोनल मास इजेक्शन सूर्य पर होने वाले खतरनाक विस्फोट हैं, जिनका पृथ्वी पर भी असर होता है. क्योंकि ये सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं. यह सूर्य की सतह पर होने वाले सबसे बड़े विस्फोट में से एक माने जाते हैं. ये सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं. कोरोनल मास इजेक्शन धरती पर आते हुए जब ऑक्सीन और नाइट्रोजन के साथ मिलती है तो ये आसमान में दिखती हैं. इनमें पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति को बदलने की ताकत होती है. इससे कई मिलियन मील प्रति घंटे की रफ्तार से एक अरब टन तक पदार्थ बाहर निकल सकते हैं. हालांकि ये क्यों होते हैं इसे लेकर अभी शोध किए जा रहे हैं. सूर्य का चुंबकीय क्षेत्रों का इसमें अहम योगदान होता है.

सोलर फ्लेयर से ये कितने अलग होते हैं

सोलर फ्लेयर और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) में अंतर है. जब सूर्य (सनस्पॉट) से चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी से सौर फ्लेयर्स बनते हैं. ये फ्लेयर्स मध्यम, मजबूत और तेज रोशनी वाले हो सकते हैं. ये फ्लेयर्स कुछ ही मिनटों तक निकलते हैं. सोलर फ्लेयर का पृथ्वी से टकराना असामान्य नहीं है. इसके टकराने की प्रवृत्ति इस बात पर निर्भर करती है कि सूर्य की गति कैसी है. 

धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं?

सूर्य की बढ़ती सक्रियता के चलते खतरनाक और सौर तूफान पैदा हो सकते हैं, जो आने वाले वाले समय में धरती पर इलेक्ट्रिक ग्रिड, जीपीएस, उपग्रहों, अंतरिक्ष स्टेशन और अंतरिक्षयान को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे पावर ग्रिड, सैटेलाइट को लेकर समस्या आ सकती है.  यह पृथ्वी पर रेडियो संचार नेटवर्क को भी बाधित कर सकता है.