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आखिर क्यों बड़े होकर खोने लगता है बच्चे का अपनी मां से अपना कनेक्शन, स्टडी में सामने आई वजह 

स्टडी में कहा गया है कि ये बदलाव बच्चों या किशोरों को बाद में चलकर आसानी से दुनिया में एडजस्ट होने में बड़ी भूमिका निभाता है. इससे वह अपने परिवार के बाहर, समाज में और उसके आसपास के लोगों के साथ आसानी से रिलेशन बना पाता है.

Study on mother and child bond Study on mother and child bond
हाइलाइट्स
  • बच्चों का मां की आवाज से होने लगता है कनेक्शन कमजोर 

  • बच्चा नए लोगों के साथ टाइम बिताना ज्यादा पसंद करता है 

हम अक्सर देखते हैं कि जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तब वे अपनी मां से लड़ाई-झगड़ा शुरू कर देते हैं. उनकी छोटी छोटी बातों पर चिढ़ जाया करते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बड़े होने के बाद बच्चे और उनकी मां के बीच ज्यादा तकरार क्यों होने लगती है? दरअसल, इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है. एक नए अध्ययन में कहा गया है कि जब एक बच्चा बड़ा होने लगता है और अपनी किशोरावस्था में प्रवेश करना शुरू करता है, तो वह अपनी मां की आवाज़ से कनेक्शन खोना शुरू कर देता है और उससे कम फैमिलियर होने लगता है.

बच्चों का मां की आवाज से होने लगता है कनेक्शन कमजोर 

आपको बता दें, ये स्टडी स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के रीसर्चर्स ने की है जो जॉर्नल ऑफ़ न्यूरोसाइंस में छपी है.  इसके मुताबिक, बच्चे जब बड़े होने लगते हैं तो उनकी मां की आवाज से उनका कनेक्शन कम होने लगता है. बच्चे और किशोर दूसरे लोगों की अनजानी आवाजों को सुनने लगते हैं. और फिर इसके हिसाब से अलग-अलग सामाजिक उत्तेजनाओं के प्रति जो भी उनकी प्रतिक्रिया होती है वो इसी आधार पर होती है. 

कैसे की गई यह स्टडी?

शोधकर्ताओं ने इस स्टडी के लिए एमआरआई ब्रेन स्कैन का उपयोग किया. इसके बाद उन्होंने उनकी न्यूरोबायोलॉजिकल एक्सप्लनेशन को इकट्ठा करके एक जगह देखा. इसमें ये चेक किया गया कि बच्चे जब बड़े होते जाते हैं तब वे अपनी मां-पिता से अपने कमजोर हो रहे कनेक्शन और दूरी को किस तरह देखते हैं. 

लीड रिसर्चर डेनियल अब्राम्स कहते हैं कि जैसे शिशु अपनी मां की आवाज में ट्यून इन करना जानता है, उसी तरह एक किशोर जानता है कि उसके आसपास से आ रही आवाजों और आसपास वालों से कैसे ट्यून अप करना है.

बच्चा नए लोगों के साथ टाइम बिताना ज्यादा पसंद करता है 

आसान शब्दों में समझें, तो एक बार जब बच्चा किशोर हो जाता है, तो वो अपने नए दोस्तों या उसकी जिंदगी में आए नए लोगों के साथ टाइम बिताना पसंद करता है.  वह नए नए लोगों से मिलने, उनके साथ बातें करना ज्यादा पसंद करता है.

स्टडी से पता चलता है कि किशोर दिमाग उन सभी आवाजों के प्रति ज्यादा रियेक्ट करता है जो वो ज्यादा सुनता है.  मां की आवाज की तुलना में अपरिचित लोगों की आवाजों के लिए उसका दिमाग ज्यादा और जल्दी रिस्पांस देता है. 

एक तरह से अच्छा है बदलाव

हालांकि, स्टडी में ये भी कहा गया कि ये बदलाव बच्चों या किशोरों को बाद में चलकर आसानी से दुनिया में एडजस्ट होने में बड़ी भूमिका निभाता है. इससे वह अपने परिवार के बाहर समाज में और उसके आसपास के लोगों के साथ आसानी से रिलेशन बना पाता है.

बता दें, यह स्टडी 2016 में किए गए शोध पर आधारित है, जिसमें कहा गया था कि बच्चे पैदा होने से पहले ही अपनी मां की आवाज को पहचान सकते हैं.