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निडर हो नारियां...मिटे दुश्वारियां, बेटियों को कवियों की सलामी, देखें जीएनटी कवि सम्मेलन

कुछ खट्टी कुछ मीठी यादों के साथ 2021 जा रहा है, और तमाम आशाएं लिए 2022 आ रहा है. एक साल का वक्त कम नहीं होता इस एक साल में वैसे याद करने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन कुछ यादें ऐसी भी हैं जो हमें हमेशा गर्व का एहसास कराएंगी. खिलती हुई कलियां हैं बेटियां, मां-बाप का सपना है बेटियां, घर को रौशन करती हैं बेटियां, लड़के आज हैं, तो लड़कियां कल हैं बेटियां. तो आज हो या कल हो 2022 हो या 2021 हो, वक्त बेटियों का है, और हमेशा रहेगा. पूरे साल देश की बेटियां सुर्खियों में रही हैं. भारतीय मूल की सिरीशा बंदला हो, अंतरिक्ष की सैर उन्होंने करवाई है. कन्यादान से इंकार करके भी एक लड़की ने दिखाया है कि मैं कोई दान की वस्तु नहीं हुं. कैबिनेट में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. वहीं लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ी है. कुल मिलाकर तो कहें तो क्रांति आई है, और ये क्रांति बेटियां लेकर आई हैं. आज के कवि सम्मेलन में कवियों का पैगाम उन बेटियों का नाम.

2021 is going with some sour, some sweet memories, and 2022 is coming with all the hopes. The time of a year is not short, there is a lot to remember in this one year, but there are some memories which will always make us feel proud. Blooming buds are daughters, parents are dreaming of daughters, daughters light up the house, boys are today, girls are daughters tomorrow. So be it today or tomorrow, be it 2022 or 2021, the time is for daughters, and always will be. The daughters of the country have been in the headlines throughout the year. Be it Sirisha Bandla of Indian origin, she has made her travel to space. Even by refusing to donate, a girl has shown that I am not an object of charity. The participation of women in the cabinet has increased. At the same time, the age of marriage of girls has increased. Overall, a revolution has come, and this revolution has brought daughters. In today's kavi sammelan, the name of those daughters is the message of poets.