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Exclusive: जिस दिन हुई पिता की मृत्यु, उसी दिन अखाड़े में उतरी ये महिला पहलवान, अब जीता विश्व चैंपियनशिप में मेडल

अंजु बताती हैं कि वो जब छोटी थी तब गांव में एक लड़की कुश्ती खेलती थी, उस लड़की को देख अंजु के मन में भी कुश्ती खेलने का सपना पलने लगा. उस लड़की का कोच अंजु के मन की बात समझ गया और अंजु के पिता से अंजु को कुश्ती सिखाने की बात कही. बस यहीं से अंजु के कुश्ती के सफर की शुरूआत हुई.

अंजु अंजु
हाइलाइट्स
  • अंजू ने U-23 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप 2021 में कांस्य पदक जीता है

  • 2 बार सीनियर नेशनल में सिल्वर जीत चुकी हैं अंजू

अंडर-23 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप 2021 (World Championship 2021) में  कांस्य पदक (Bronze Medal) जीतने वाली अंजू की कहानी देश की उन तमाम मह‍िला ख‍िलाड़‍ियों के ल‍िए रोल मॉडल साब‍ित हो सकती हैं ज‍िनके सपने आसमान से भी ऊंचे हैं. तमाम दुश्वार‍ियों से जूझते हुए अंजू ने हाल ही में महिलाओं की 55 किलोग्राम वर्ग में कनाडा की वर्जिनी काज़ गैसकॉन को हराकर देश का नाम रौशन क‍िया है. अंजू ने gnttv.com से बातचीत की. पेश है उनसे बातचीत के कुछ खास अंश: 

ऐसे जागा रेसलर बनने का सपना

वर्ल्ड चैंप‍ियनश‍िप में ब्रॉन्ज मेडल और सीनियर नेशनल में गोल्ड लाने वाली अंजू ने महज़ 13-14 साल की उम्र में कुश्ती की शुरुआत की. अंजू जब छोटी थी तब गांव में एक लड़की कुश्ती खेलती थी, उस लड़की को देख अंजू के मन में भी कुश्ती खेलने का सपना पलने लगा. उस लड़की का कोच अंजू के मन की बात समझ गया और अंजू के पिता से अंजू को कुश्ती सिखाने की बात कही. बस यहीं से अंजू के कुश्ती के सफर की शुरुआत हुई.

जिस दिन हुई पिता की मृत्यु उसी दिन उतरीं अखाड़े में 

अंजू ने खुद को कुश्ती में पूरी तरह से झोंक दिया है. ऐसा अंजू के कोच जसबीर ने बताया. कोच जसबीर बताते हैं कि जिस दिन अंजू के पिता की मृत्यु हुई उसी दिन वो अखाड़े में उतरीं. उस दिन वो बहुत दुखी और एग्रेसिव भी हो रही थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपने आप को काफी अच्छे से संभाल लिया था.

कोच की रही है अहम भूमिका

अंजू बताती हैं कि उन्हें आज जो भी मुकाम मिला है उसमें कोच की अहम भूमिका रही है. अंजू के पिता के गुजर जाने के बाद उन्हें ट्रेनिंग के साथ इमोशनल सपोर्ट भी कोच से ही मिला है. अंजू के खाने से लेकर ट्रेनिंग तक का ध्यान कोच ने बखूबी निभाया. 

अंजू को मानसिक रूप से मजबूत करना सबसे बड़ी चुनौती थी

जसबीर बताते हैं कि "पिता के गुजर जाने के बाद अंजू पूरी तरह से टूट गई थी, लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा था.अंजू के हौसले को देखते हुए ये सोचा गया कि इस लड़की को उसका मुकाम दिलाना है. कोच जसबीर ने बस इसी बात का ध्यान रखते हुए अंजू को हर तरह से सपोर्ट किया. 

फेडरेशन से मिला लगातार सपोर्ट

अंजू को भारतीय कुश्ती संघ से लगातार सपोर्ट मिला है. कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह व्यक्तिगत रूचि लेकर सीनियर के साथ-साथ जूनियर पहलवानों का भी हौसला बढ़ाते हैं और यह सुनिनिश्चत करते हैं कि उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हो सकें ताकि खिलाड़ी अपना पूरा ध्यान खेल पर लगा सकें.

कुश्ती लड़ते वक्त बहुत एक्टिव रहती हैं अंजू- कोच

जसबीर ने बताया कि अंजू कभी भी थकान महसूस नहीं करती, वो हमेशा एक्टिव रहती हैं. यही उनकी सफलता का मूल मंत्र हैं. अंजू के गांव बघाना (हरियाणा) की चार लड़कियां इंटरनेशनल लेवल पर कुश्ती खेल रही हैं. 

अंजू ने अपने नाम दर्ज किए हैं इतने मेडल

अंजू ने लगातार दो बार सीनियर में गोल्ड, 2 बार सीनियर नेशनल में सिल्वर और महज 22 साल की उम्र में अंडर 23 के वर्ल्ड  चैंपियनशिप में बॉन्ज मेडल, ऑल इंडिया इंटरनेशनल में तीन बार गोल्ड और जूनियर एशिया में ब्रॉन्ज मेडल जीता है.