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Mini Brazil of India: कैसे मध्य प्रदेश का एक छोटा सा गांव बिचारपुर बन गया फुटबॉल का गढ़, कहा जाता है भारत का मिनी ब्राजील

बिचारपुर के मिनी ब्राजील बनने का सफर ढाई दशक पहले शुरू हुआ था. उस दौरान बिचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था. इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान युवाओं को भुगतना पड़ रहा था. ऐसे में पूर्व फुटबॉलर और कोच रईस अहमद ने इस गांव की मदद की.

Mini Brazil of India Mini Brazil of India
हाइलाइट्स
  • एक समय में शराब के लिए बदनाम थी जगह 

  • ढाई दशक पहले शुरू हुआ था सफर 

कहते हैं जज़्बा हो तो सारे मुकाम हासिल किए जा सकते हैं. इसी का जीता जागता उदाहरण है मध्य प्रदेश का एक छोटा सा गांव बिचारपुर. किसी समय में ये गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था लेकिन आज ये भारत का मिनी ब्राजील कहा जा रहा है. इसका कारण है कि इस गांव के युवा पूरे देश को फुटबॉल के संदेश को फैलाने का काम कर रहे हैं. इस छोटे से गांव से अभी तक सैंकड़ों फुटबॉल खिलाड़ी निकल चुके हैं. 

एक समय में अवैध शराब के लिए बदनाम थी जगह 

मध्य प्रदेश के शहडोल जिले की एक छोटी सी जगह बिचारपुर आज बदली सी है. एक समय में ये अवैध शराब और नशीले पदार्थों का अड्डा था. लेकिन अब यहां से निकल रहे फुटबॉल खिलाड़ियों को वजह से ये "मिनी ब्राजील" के नाम से मशहूर हो रहा है. इसे लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात प्रोग्राम में जिक्र किया है. इस जगह को 'मिनी ब्राजील' इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह आज फुटबॉल के उभरते सितारों का गढ़ बन गया है.

ढाई दशक पहले शुरू हुआ था सफर 

दरअसल, बिचारपुर के मिनी ब्राजील बनने का सफर ढाई दशक पहले शुरू हुआ था. उस दौरान बिचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था. यह नशे की चपेट में था. और इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान युवाओं को भुगतना पड़ रहा था. लेकिन ऐसे में पूर्व फुटबॉलर और कोच रईस अहमद ने इस गांव की मदद की.

सीमित संसाधनों के बावजूद, रईस अहमद ने युवाओं को फुटबॉल सिखाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया और कुछ ही साल में फुटबॉल बिचारपुर में बेहद लोकप्रिय हो गया. सभी बढ़-चढ़कर इसके लिए आगे आने लगे.  

रईस अहमद ने शुरू किया प्रोग्राम 

इसके लिए रईस अहमद ने फुटबॉल क्रांति प्रोग्राम शुरू किया. इस प्रोग्राम से युवाओं को खेल से जोड़ा गया और उन्हें बढ़िया ट्रेनिंग दी गई. इस पहल के बाद ही बिचारपुर से तकरीबन 40 से ज्यादा राष्ट्रीय और राज्य स्तर के खिलाड़ी सामने आए हैं.  ऑल इंडिया फुटबॉल एसोसिएशन के मुताबिक शहडोल जिले में 1,200 से अधिक फुटबॉल क्लब बनाए गए हैं जहां रोज कई बच्चे अपने भविष्य को आकार दे रहे हैं. 

पीएम मोदी ने की तारीफ 

इतना ही नहीं बल्कि आज यहां कई जाने-माने पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी और कोच युवाओं को ट्रेनिंग देते हैं. पीएम मोदी ने मन की बात में इस गांव को फुटबॉल की नर्सरी कहा है. उन्होंने इस गांव के बारे में जिक्र करते हुए कहा, “जहां चाह, वहां राह. हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. निश्चित तौर पर इन्हें खोजने और पोषित करने की जरूरत है. ये युवा आज देश का नाम भी रोशन कर रहे हैं और देश के विकास को दिशा भी दे रहे हैं.''