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रिवर्स स्विंग से रिवर्स किस्मत: दिल टूटा, फिर चमके सिराज, बाहर होने का दर्द बना ऐतिहासिक जीत की दवा

भारत और इंग्लैंड के बीच ओवल में खेला गया पांचवां और आखिरी टेस्ट मैच सबसे रोमांचक मैचों में से एक रहा. इस मैच में टीम इंडिया के जीत के हीरो मोहम्मद सिराज रहे. उनकी बेहद खतरनाक बॉलिंग ने हाथ से निकला हुए मैच बदल दिया. टीम को मात्र 6 रनों से जीत हासिल हुई. सबसे खास बात रही कि इस पूरी सीरीज में टीम इंडिया के स्टार बॉलर बुमराह कभी खेले, कभी नहीं... लेकिन सिराज ने उनकी कमी नहीं खलने दी.

Mohammed Siraj (Photo: Aajtak Graphic Team) Mohammed Siraj (Photo: Aajtak Graphic Team)

सिराज नई गेंद के अलावा कुछ खास गेंदबाजी नहीं कर पाते हैं. पुरानी गेंद होने के बाद वह ज्यादा प्रभावी नजर नहीं आते हैं. यही वजह है कि उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया है- रोहित शर्मा
(जनवरी, 2025 में चैंपियन्स ट्रॉफी की घोषणा करते समय टीम इंडिया के कप्तान)

इसी साल जनवरी में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए टीम इंडिया का ऐलान किया गया. इस दौरान यह बात टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा ने कही ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही. इससे पहले जब भी टीम इंडिया किसी बड़े टूर्नामेंट में खेली तो उसकी स्क्वाड में सिराज जरूर शामिल होते थे. आश्चर्य की बात यह रही कि उन्होंने सिराज की तुलना में जिस गेंदबाज का सेलेक्शन किया वे थे अर्शदीप सिंह...उनके बारे में रोहित ने कहा कि 'हमने काफी विचार किया, बुमराह के खेलने को लेकर अनिश्चितता थी. इसलिए हमने ऐसे खिलाड़ी को चुना, जो नई गेंद और डेथ ओवरों में गेंदबाजी कर सके. अर्शदीप इन दोनों भूमिकाओं में फिट बैठते हैं. सिराज जब नई गेंद से गेंदबाजी नहीं करते तो उनकी प्रभावशीलता कम हो जाती है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सिराज को बाहर रहना पड़ा.' एक बॉलर जो लगातार अपने प्रदर्शन ने टीम को नई ऊंचाइयां दे रहा हो उसके लिए यह बात दिल तोड़ने वाली थी. 

कट टू अगस्त 2025...
टीम इंडिया की शानदार जीत, सिराज और प्रसिद्ध के दृढ़ संकल्प और दृढ़ता ने हमें ऐतिहासिक जीत दिलाई. सिराज ने टीम के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, उनके लिए बहुत खुश हूं. 
(4 अगस्त, 2025 में ओवल टेस्ट जीतने के बाद विराट कोहली की X पोस्ट. इसे 4 मिलियन से ज्यादा देखा जा चुका है)

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भारत और इंग्लैंड के बीच ओवल में खेला गया पांचवां और आखिरी टेस्ट मैच सबसे रोमांचक मैचों में से एक रहा. इस मैच में टीम इंडिया के जीत के हीरो मोहम्मद सिराज रहे. उनकी बेहद खतरनाक बॉलिंग ने हाथ से निकला हुए मैच बदल दिया. टीम को मात्र 6 रनों से जीत हासिल हुई. सबसे खास बात रही कि इस पूरी सीरीज में टीम इंडिया के स्टार बॉलर बुमराह कभी खेले, कभी नहीं...लेकिन सिराज ने उनकी कमी नहीं खलने दी. वे लगातार विकेट लेते रहे. सिराज ही इस सीरीज के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे. बड़ी बात यह रही कि इस मैच के हारने का मतलब था कि टीम इंडिया सीरीज को 1-3 के बड़े अंतर से हार जाती. लेकिन इस रोमांचक जीत ने इस सीरीज को 2-2 से बराबर कर दिया. एक युवा टीम जिसके जीतने की उम्मीद बहुत से विशेषज्ञों ने नहीं लगाई थी. यह टीम न सिर्फ सीरीज बराबर करती है बल्कि अपना प्रभाव भी छोड़ती है. जिसका उदाहरण है कि टॉप बॉलर और बैटर दोनों ही भारत की तरफ से रहे. तीन बैटर ने 4 सौ से भी ज्यादा रन बनाए. हालांकि इस पूरी सीरीज में हीरो रहे मैन ऑफ सीरीज कप्तान शुभमन गिल और ओवल टेस्ट के मैन ऑफ द मैच मोहम्मद सिराज...सिराज ने पुरानी बॉल को जबर्दस्त तरीके से स्विंग करवाकर यह दिखा दिया कि उनकी प्रतिभा किस स्तर की है. ओवल टेस्ट के पांचवे दिन वे गेंदों को इस तरह से पिच कर रहे थे कि उन्हें खेलना नामुमकिन सा था. वे लगभग अनप्लेयवल थे. लेकिन कुछ महीनों के अंतराल से हुअ यह ट्रांसफॉर्म आसान नहीं था. इसके पीछे काम चीजों का हाथ था. आइए, जरा सिलसिलेवार तरीके से इन सभी बातों को जानते हैं.

टीम से बाहर हुए तो दिल टूटा, लेकिन मेहनत में जुटे
खुद सिराज ने माना कि जब उन्हें चैंपियन्स ट्रॉफी की टीम में नहीं लिया गया तो उनका दिल टूट गया था. वे पचा नहीं पा रहे थे कि उन्हें टीम से बाहर भी किया जा सकता है. कई दिन बेहद निराशा में गुजरे. धीरे-धीरे अपनी स्थिति को स्वीकर किया. खुद को दिलासा दिया कि अभी मुझमें बहुत क्रिकेट बाकी है. उन गलतियों पर काम करूंगा जो मुझसे हो रही हैं. सच में फिर मैंने उन पर काम  किया. ब्रेक के दौरान  गेंदबाजी, फिटनेस और अपनी मानसिकता पर कड़ी मेहनत शुरू कर दी. बॉलिंग में सही लगातार बॉलिंग और सही बॉल पिच करने पर काम किया. इस दौरान बॉल की सीम को समझने की कोशिश की...पुरानी बॉल से रिवर्स स्विंग करने की कला पर बहुत काम किया. घंटों मैदान में पसीना बहाया. निराशा से जल्दी बाहर आना. अपने ऊपर भरोसा रखना. इस मेंटल स्थिति के कारण ही मेरा कमबैक पॉसिबल हो पाया. यही वजह रही कि जब ओवल टेस्ट के पांचवे दिन किसी को भी जीतने की स्थिति नहीं दिखाई दे रही थी तो सिराज ने अपने मोबाइल को कवर ही बिलिव को बनाया था. मशहूर फुटबॉलर रोनाल्डो की फोटो सहित लगाए गए इस कवर फोटो से सिराज की मेंटल टफनेस का साफ अंदाजा हो जाता है.

पुरानी गेंद से बिखेरी नई चमक, आरोपों की गिल्ली उड़ाई
जब रोहित शर्मा ने खुले मंच से कहा था कि मोहम्मद सिराज पुरानी गेंद से असरदार गेंदबाज़ी नहीं कर पा रहे हैं, उनकी धार कम हो रही है. तो रोहित का यह बयान क्रिकेट गलियारों में गूंजा था. आलोचक भी सिराज की गिरती लय पर सवाल उठाने लगे थे. लेकिन इंग्लैंड की टेस्ट सीरीज के ओवल टेस्ट ने वह सब बदल दिया. पुरानी गेंद हाथ में थी, हालात मुश्किल थे, विपक्षी बल्लेबाज़ क्रीज़ पर सेट हो चुके थे. इंग्लैंड को 35 रन चाहिए थे. 4 विकेट हाथ में थे. इस हालात में भारत की जीत की संभावना ज्यादा नहीं मानी जा रही थीं. ऐसा माना जा रहा था कि इंग्लैंड पांचवें दिन पहले सेशन में ही जीत हासिल कर लेगा. भारत को इन 4 विकेट की जरूरत थी. तभी सिराज ने अपनी गेंदबाज़ी से वह कर दिखाया जो किसी ने सोचा भी नहीं था, पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग की ऐसी मिसाल पेश की जिसने मैच का रुख ही बदल दिया. ओवल की पिच पर जब गेंद पुरानी हो चुकी थी, तब सिराज का जादू शुरू हुआ. उन्होंने गेंद को इस तरह चमकाया और पकड़ बनाई कि वह बल्लेबाज़ों के लिए रहस्य बन गई. उनकी गेंदें आख़िरी क्षण में हवा में मूव हो रही थीं, जिससे बल्लेबाज़ चकमा खा रहे थे. विपक्षी टीम के सेट बल्लेबाज़ भी उनकी गेंदों का सही अंदाज़ा नहीं लगा सके. बल्लेबाज़ बार-बार शॉट खेलने में चूक कर रहे थे और सिराज पुरानी गेंद को स्विंग कराने की कला से उन्हें मात दे रहे थे. 

बॉल का लेट मूवमेंट, स्विंग... उलझन में पड़े बल्लेबाज़ 
सिराज की सबसे बड़ी ताक़त रही उनकी लेट मूवमेंट और स्विंग... गेंद इतनी देर से मूव हो रही थी कि बल्लेबाज़ों को आखिरी पल तक तय नहीं हो पा रहा था कि खेलें या छोड़ें. ऊपर से इन स्विंग और आउट स्विंग का घातक मिश्रण. नतीजा यह हुआ कि गलत शॉट सिलेक्शन की वजह से विकेट गिरते गए. क्रिकेट पंडितों ने इसे विपरीत परिस्थितियों में की गई सबसे बेहतरीन गेंदबाजी में से एक बताया. कई एक्सपर्ट ने तो इसे सिराज की सबसे परिपक्व गेंदबाज़ी स्पैल बताया.

लंबे स्पेल में गजब का नियंत्रण
तेज़ गेंदबाज़ों के लिए लंबे स्पेल में गति और लाइन बनाए रखना सबसे कठिन काम माना जाता है। लेकिन सिराज ने ओवल टेस्ट की अंतिम पारी में लगभग 30 ओवर से भी ज्यादा की गेंदबाजी की....लगातार 6 से 7 ओवर फेंकते हुए भी न सिर्फ गति कायम रखी, बल्कि सटीक लाइन-लेंथ से बल्लेबाज़ों पर दबाव बनाया. उनकी गेंदों की स्विंग, मूमेंट मैदान पर मौजूद बल्लेबाज़ पर मानसिक दबाव बना रही थी. गलतियां करने पर मजबूर कर रही थी. जब गेंदबाज़ रन रोकने में सफल हो जाते हैं, तो बल्लेबाज़ों पर अतिरिक्त शॉट खेलने का दबाव बढ़ता है. यही सिराज की रणनीति भी थी. लगातार डॉट बॉल्स और नियंत्रित गेंदबाज़ी ने विपक्षी टीम को बैकफुट पर ला दिया. धीरे-धीरे स्थिति यह हो गई कि रन बनाने के बजाय बल्लेबाज़ विकेट बचाने की जद्दोजहद में उलझ गए.

उन्होंने विपक्ष के मध्यक्रम को तोड़ते हुए सेट बल्लेबाज़ों को पवेलियन भेजा. उनके एक के बाद एक विकेट ने भारत को मैच पर पकड़ मजबूत करने का मौका दिया. सबसे खास बात यह रही कि सिराज ने दबाव की घड़ी में धैर्य नहीं खोया. जब मैच का समीकरण किसी भी तरफ झुक सकता था, तब उन्होंने अपने अनुभव और आत्मविश्वास से खेल दिखाया. विकेट मिलने के बाद भी वे रणनीति पर टिके रहे. यही परिपक्वता भारत की जीत की कुंजी बनी.

चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर होने का सबक
कुछ महीने पहले सिराज को खराब फॉर्म, पुरानी बॉल से स्विंग करवा पाने में हो रही असफलता, महंगे स्पेल्स की वजह से चैंपियंस ट्रॉफी टीम से बाहर कर दिया गया था. उस समय कई क्रिकेट विशेषज्ञों ने कहा कि सिराज का गोल्डन पीरियड  खत्म हो गया. लेकिन सिराज ने उस झटके को प्रेरणा बना लिया. उन्होंने फिटनेस पर काम किया, मानसिक मजबूती पर ध्यान दिया और गेंदबाज़ी में नई धार जोड़ी. ओवल टेस्ट में उनका प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि उनका डेडिकेशन, अपनी बॉलिंग के कमजोर पहलुओं पर काम करना क्लिक कर गया. 

दवा बन गया दर्द
कप्तान रोहित शर्मा का बयान, आलोचकों की टिप्पणियां और बाहर किए जाने का दर्द, इन सबने मिलकर सिराज को और मेहनत करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने दिखा दिया कि आलोचना से घबराने की बजाय उसे सुधार का औज़ार बनाया जाए तो असंभव को संभव किया जा सकता है. ओवल की जीत सिर्फ भारत के लिए टेस्ट जीत नहीं थी, बल्कि सिराज की व्यक्तिगत जीत भी थी.

ओवल टेस्ट ने मोहम्मद सिराज को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया है. पुरानी गेंद से जादू दिखाकर उन्होंने न सिर्फ अपनी क़ाबिलियत साबित की, बल्कि यह भी दिखा दिया कि आलोचना को जवाब देने का सबसे अच्छा तरीका प्रदर्शन होता है. अब सिराज सिर्फ एक गेंदबाज़ नहीं, बल्कि युवा क्रिकेटरों के लिए एक मिसाल बन गए हैं. उन्होंने दिखा दिया है कि गिरकर उठना... और भी मज़बूत होकर लौटना... यही सच्चे चैंपियन की पहचान होती है.

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