Nishad Kumar won silver medal in Paris Paralympics 2024 (Photo: X/@KKRiders)
Nishad Kumar won silver medal in Paris Paralympics 2024 (Photo: X/@KKRiders) पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में पैरा-ओलंपियन निषाद कुमार ने हाई-जंप इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है. निषाद का यह मेडल बहुत खास है क्योंकि उन्होंने लगातार दूसरी बार पैरालंपिक्स में मेडल जीता है. टोक्यो पैरालंपिक्स 2020 में भी उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था. पेरिस पैरालंपिक्स के इवेंट में निषाद की हाई जंप या छलांग 2.04 मीटर थी जो उनके सीज़न की बेस्ट छलांग भी है. हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले के एक गांव से आने वाले निषाद कुमार ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की है.
चारा मशीन से कटा था हाथ
साल 2008 में निषाद चौथी क्लास में थे जब उन्होंने अपना एक हाथ गंवाया. दरअसल, वह चारा काटने वाली मशीन पर चारा कटवा रहे थे और अपनी मां, पुष्पा देवी से बातें कर रहे थे. बातचीत में उनका ध्यान नहीं रहा और उनका दांया हाथ मशीन में आकर कट गया. जैसे ही उनका हाथ कटा, उनके परिवार वाले उन्हें सरकारी अस्पताल ले गए.
यहां प्राइमरी मेडिकल केयर मिलने के बाद निषाद के पिता उन्हें होशियारपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में लेकर गए. उनके पिता उस समय दिहाड़ी-मजदूरी करते थे और उनके लिए लंबे समय तक अस्पताल का खर्च उठाना मुमकिन नहीं था. एक इंटरव्यू में निषाद ने बताया कि इस दुर्घटना के लगभग एक साल वह वापस स्कूल गए.
मां ने दिया खेलों में आगे बढ़ने का हैसला
निषाद ने अपने इंटरव्यू में बताया कि उनकी मां का उनके जीवन में बहुत बड़ा योगदान रहा है. उनका हाथ कटने के बाद जब उन्होंने वापस स्कूल जाना शुरू किया तो उनकी मां ने उन्हें खेलों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया ताकि वह निगेटिव विचार अपने मन में न लाएं. उन्होंने इंटरव्यू में बताया कि उनकी मां खुद एक स्पोर्ट्सपर्सन रही हैं. वह अपने समय में वॉलीबॉल और डिस्कस थ्रो खेलती थीं और जानती थीं कि इस परिस्थिति में खेल निषाद के लिए अच्छा साबित हो सकता है.
निषाद ने साल 2009 में अपने स्कूल में हाई जंप करना शुरू किया और उन्हें इसमें मजा आने लगा. उन्हें कभी लगा ही नहीं कि उनका एक हाथ नहीं है. उन्होंने कहा, "मैंने हर एक काम किया है जो नॉर्मल लोग करते हैं. पिताजी के साथ खेती-बाड़ी में हाथ बंटाया है. घर में पूरी मदद करता हूं. इसमें मेरे माता-पिता का बहुत ज्यादा योगदान रहा." स्कूल के बाद निषाद सेना में भर्ती होना चाहते थे. लेकिन एक हाथ न होने के कारण वह रिजेक्ट हो गए और तब उनकी मां ने उनसे कहा था, "भगवान ने तुम्हारे लिए कुछ और अच्छा सोचा होगा."
2500 रुपए देकर मां ने छोड़ा कोच के पास
निषाद ने स्कूली पढ़ाई के दौरान राज्य-स्तर और राष्ट्रीय-स्तर पर भी कई मेडल जीते. निषाद ने एक बार मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि उनके घर में कभी न टीवी था, न स्मार्टफोन था. साल 2017 में उन्हें स्मार्टफोन मिला और तब उन्होंने अपनी 12वीं पास की थी. तब उन्हें रिया में हुए पैरालंपिक्स की जानकारी मिली और उन्होंने देखा कि हाई-जंप मं भी खिलाड़ी मेडल जी रहे हैं. उन्होंने इस बारे में रिसर्च की तो उन्होंने कोच सत्य नारायण के बारे में पता चल जो पंचकुला के स्टेडियम में खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते हैं. निषाद ने इस बारे में अपने माता-पिता को बताया और उनसे कहा कि उन्हें ट्रेनिंग लेनी है.
निषाद अपनी मां के साथ पंचकुला पहुंचें. जब वह स्टेडियम पहुंचे तो उनकी आंखें खुली रह गईं क्योंकि उन्होंने कभी इतना बड़ा स्टेडियम नहीं देखा था. निषाद का कहना है कि जब कोच से वे मिले और उन्होंने बताया कि यह सरकारी स्टेडियम और ट्रेनिंग आदि फ्री में दी जाती है तो उनकी मां की आंखों में आंसू आ गए थे क्योंकि उनके परिवार के लिए ट्रेनिंग पर बहुत ज्यादा खर्च कर पाना मुमकिन नहीं था. तब उनकी मां निषाद को 2500 रुपए देकर कोच के पास छोड़कर आईं थीं. इसके बाद निषाद ने लगातार नए मुकाम हासिल किए.
कई बार किया देश का नाम रोशन
निषाद ने पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में सिल्वर जीतने से पहले भी कई बार देश का नाम रोशन किया है. उन्होंने इंटरनेशनल लेवल के कई बड़े इंवेंट्स में भारत का झंड़ा फहराया है.
सिल्वर मेडल जीतने के बाद निषाद ने मीडिया से कहा कि उनकी कोशिश हर तरह से गोल्ड मेडल जीतने की थी. लेकिन जरूर कहीं कमी रह गई जो इस बार वह पदक का रंग नहीं बदल पाए लेकिन आगे उनकी कोशिश यही रहेगी कि वह देश को गोल्ड मेडल जीतकर दें.