

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तेलुगु राज्यों के 29 मशहूर हस्तियों, जिनमें फिल्म अभिनेता, टीवी कलाकार और सोशल मीडिया प्रभावक शामिल हैं, के खिलाफ अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देने के आरोप में जांच शुरू की है. यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत शुरू हुई है और तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में पांच FIR दर्ज होने के बाद सामने आई है. इनमें विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, निधि अग्रवाल, प्रणिता सुभाष, मंचु लक्ष्मी, और अन्य जैसे नाम शामिल हैं.
इस जांच ने एक बार फिर गेम ऑफ स्किल (कौशल आधारित खेल) और गेम ऑफ चांस (संयोग आधारित खेल) के बीच अंतर को चर्चा में ला दिया है.
गेम ऑफ स्किल और गेम ऑफ चांस क्या हैं?
गेम ऑफ स्किल वे खेल हैं जिनमें परिणाम मुख्य रूप से खिलाड़ी के ज्ञान, रणनीति, और कौशल पर निर्भर करता है. इन खेलों में खिलाड़ी की मेहनत, अभ्यास, और अनुभव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. खिलाड़ी को इसमें सोच-समझकर निर्णय लेने होते हैं, जो खेल के परिणाम को प्रभावित करते हैं.
साथ ही, इन खेलों में अभ्यास के साथ खिलाड़ी का प्रदर्शन बेहतर होता जाता है. और खिलाड़ी के पास खेल के परिणाम पर काफी हद तक नियंत्रण होता है. जैसे- चेस, पोकर, ई-स्पोर्ट्स (जैसे डोटा 2, काउंटर-स्ट्राइक), और फेंटेसी स्पोर्ट्स.
गेम ऑफ चांस वे खेल हैं जिनमें परिणाम मुख्य रूप से भाग्य या संयोग पर निर्भर करता है. खिलाड़ी का कौशल या अनुभव इसमें बहुत कम भूमिका निभाता है. इसमें परिणाम पूरी तरह से अनिश्चित होता है, जैसे पासे का रोल, कार्ड्स का शफल, या रूलेट व्हील का घूमना. इसमें जीत की संभावना संयोग पर आधारित होती है. साथ ही, खिलाड़ी का परिणाम पर कोई खास नियंत्रण नहीं होता. जैसे- स्लॉट मशीन, रूलेट, लॉटरी, स्क्रैच कार्ड्स, और ज्यादातर कैसिनो गेम्स.
गेम ऑफ स्किल और गेम ऑफ चांस में मुख्य अंतर
अंतर |
गेम ऑफ स्किल | गेम ऑफ चांस |
1. परिणाम |
परिणाम खिलाड़ी की रणनीति और कौशल पर निर्भर करता है. | परिणाम भाग्य पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, पोकर में खिलाड़ी की रणनीति और मनोवैज्ञानिक समझ महत्वपूर्ण है, जबकि लॉटरी में नंबर पूरी तरह से रैंडम्ली चुने जाते हैं. |
2. प्रैक्टिस |
स्किल आधारित खेलों में अभ्यास से खिलाड़ी बेहतर होता जाता है, जैसे चेस में रणनीति सीखना. | प्रैक्टिस का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि परिणाम संयोग पर निर्भर करता है. |
3. कानूनी स्थिति |
कई देशों में कम सख्त नियमों के तहत वैध माना जाता है, क्योंकि ये खिलाड़ी की मेहनत और योग्यता पर आधारित होते हैं. | गेम ऑफ चांस को जुआ माना जाता है और इसे सख्त नियमों के तहत नियंत्रित किया जाता है. |
भारत में जुए की कानूनी स्थिति
भारत में जुआ (गेम ऑफ चांस) को पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 के तहत नियंत्रित किया जाता है. इस कानून के अनुसार, जुआ गैरकानूनी है, और इसमें सट्टेबाजी या दांव लगाने वाले खेल शामिल हैं जो मुख्य रूप से संयोग पर आधारित हैं. हालांकि, गेम ऑफ स्किल को इस कानून से छूट दी गई है.
भारत में रम्मी, पोकर, और फेंटेसी स्पोर्ट्स जैसे खेलों को गेम ऑफ स्किल माना जाता है, और कई राज्यों में इन्हें वैध माना जाता है. लेकिन लॉटरी, स्लॉट मशीन, और अन्य संयोग आधारित खेल ज्यादातर राज्यों में गैरकानूनी हैं.
भारत में जुआ क्यों है गैरकानूनी?
भारत में जुआ को गैरकानूनी बनाने का कारण सामाजिक और आर्थिक नुकसान को रोकना है. जुआ लोगों को आर्थिक तंगी, कर्ज, और मानसिक तनाव में डाल सकता है. इसके अलावा, जुए से होने वाली आय को मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों से जोड़ा जाता है. इसलिए, सरकार ने इसे सख्ती से नियंत्रित करने का फैसला किया.
कुछ देशों में जुआ क्यों है वैध?
कई देशों, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका (कुछ राज्यों में), यूनाइटेड किंगडम, और मकाऊ में जुआ वैध है. इसके कई कारण हैं:
1. आर्थिक लाभ: जुआ उद्योग सरकारों के लिए कर राजस्व का एक बड़ा स्रोत है.
2. नियंत्रित वातावरण: वैध जुआ उद्योग को सख्त नियमों के तहत नियंत्रित किया जाता है, जिससे धोखाधड़ी और अवैध गतिविधियों को रोका जा सकता है.
3. सांस्कृतिक स्वीकार्यता: कुछ देशों में जुआ सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य है.
4. उपभोक्ता सुरक्षा: वैध जुआ उद्योग में उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाने के लिए नियम और लाइसेंसिंग सिस्टम मौजूद हैं.
भारत में जुआ अवैध क्यों बना?
भारत में जुआ 19वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान गैरकानूनी घोषित किया गया था, क्योंकि यह सामाजिक और नैतिक समस्याओं को बढ़ावा देता था. स्वतंत्रता के बाद, भारत ने इस कानून को बनाए रखा, क्योंकि यह देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के लिए उपयुक्त माना गया. हालांकि, कुछ राज्यों जैसे गोवा, दमन, और सिक्किम में कैसीनो और लॉटरी को सीमित रूप से वैध किया गया है.
ऑनलाइन सट्टेबाजी और हालिया जांच
हाल के वर्षों में, ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स जैसे जंगली रम्मी, A23, जीतविन, और लोटस 365 की लोकप्रियता बढ़ी है. ये ऐप्स अक्सर गेम ऑफ स्किल के रूप में प्रचारित किए जाते हैं, लेकिन कई बार ये संयोग आधारित खेलों को भी बढ़ावा देते हैं, जो भारत में गैरकानूनी हैं.
ईडी की जांच से पता चलता है कि ये ऐप्स मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं. मशहूर हस्तियों द्वारा इनका प्रचार करने से आम जनता, खासकर युवाओं, पर बुरा प्रभाव पड़ता है. कई हस्तियों ने दावा किया है कि उन्हें इन ऐप्स की अवैध प्रकृति के बारे में जानकारी नहीं थी.