
हरियाणा के पहलवान एक बार फिर विदेशी धरती पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं. हाल ही में बुल्गारिया में आयोजित U-20 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में सोनीपत के सेक्टर-23 की रहने वाली काजल ने 72 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का तिरंगा ऊंचा किया है. काजल की इस उपलब्धि से परिवार, कोच और पूरे हरियाणा में खुशी की लहर है.
काजल की मेहनत की कहानी
काजल मूल रूप से गांव लाठ की रहने वाली हैं और वर्तमान में सोनीपत के सेक्टर-23 में रहती हैं. पहलवानी की प्रेरणा उन्हें अपने चाचा कृष्ण से मिली, जो खुद भी पहलवानी करते थे. 7 साल की उम्र में ही काजल ने अपने चाचा को देखकर कुश्ती की बारीकियां सीखनी शुरू कीं. चाचा ने भी काजल के जुनून को देखते हुए खुद की कुश्ती छोड़ दी और पूरी मेहनत के साथ भतीजी को तैयार किया.
गोल्ड मेडल के बाद खुशी का माहौल
गोल्ड मेडल जीतकर जब काजल सोनीपत लौटीं तो उनका जोरदार स्वागत किया गया. घर में जश्न का माहौल है। काजल के पिता टैक्सी चालक हैं और टैक्सी चलाकर ही परिवार का गुजारा करते हैं. बेटी की इस उपलब्धि से परिवार का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है.
कम उम्र में बड़ी उपलब्धियां
काजल की उम्र सिर्फ 17 साल है और अब तक वह 16 बार भारत केसरी, 2 बार हरियाणा केसरी, 2 बार दिल्ली केसरी का खिताब अपने नाम कर चुकी हैं. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काजल के पदकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है/
काजल का सपना है ओलंपिक गोल्ड
काजल अपनी इस सफलता का श्रेय अपने चाचा और गुरु को देती हैं. उनका कहना है कि लक्ष्य अभी और बड़ा है- देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना. काजल के चाचा कृष्ण का कहना है, "काजल ने 7 साल की उम्र से ही पहलवानी की शुरुआत की। उसकी लगन देखकर मैंने उसे पूरा समय देना शुरू किया. आज वह देश का नाम रोशन कर रही है और अब हमारा सपना है कि वह ओलंपिक में गोल्ड जीतकर आए."
परिवार का कहना है कि काजल विनेश फोगाट के अधूरे सपने को पूरा करेगी और भारत के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक लाएगी. काजल की यह जीत न सिर्फ सोनीपत और हरियाणा बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है. कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धियां हासिल करने वाली काजल देश के लिए नई प्रेरणा बन चुकी हैं.
(पवन राठी की रिपोर्ट)
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