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Happy Birthday Suresh Raina: राहुल द्रविड़ की कप्तानी में पहला मैच खेलने वाले सुरेश रैना जिसने धोनी के संन्यास के बाद खुद भी छोड़ दिया क्रिकेट का मैदान

अपने शुरुआती समय में दुन‍िया के बाएं हाथ के बल्लेबाजों में सर्वाधिक प्रतिभावान खिलाड़ी में गिने जाने वाले रैना ने अपने क्रिकेट करियर में पहला वन-डे साल 2005 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में खेला, उसके बाद 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला टी-20 मैच खेला.

सुरेश रैना सुरेश रैना
हाइलाइट्स
  • आज है क्रिकेटर सुरेश रैना का बर्थडे

  • कई हारी हुई बाजी में रैना ने दिलाई है जीत

‘मैं सोचता हूं कि मैं भी एक ब्राह्मण हूं. मैं 2004 से चेन्नई में खेल रहा हूं, मुझे यहां की संस्कृति से प्यार है. मुझे अपने टीममेट्स से प्यार है. मैं अनिरुद्ध श्रीकांत, बद्रीनाथ, बालाजी के साथ खेल चुका हूं. CSK में हमारे पास अच्छा एडमिनिस्ट्रेशन है और यहां हमें खुद को तलाशने का मौका मिलता है. मैं वहां की संस्कृति को पसंद करता हूं और मैं भाग्यशाली हूं कि मैं CSK का हिस्सा हूं.’ ये कहने वाले हैं दुन‍िया के बाएं हाथ के बल्लेबाजों में सर्वाधिक प्रतिभावान खिलाड़‍ि‍यों में गिने जाने वाले सुरेश रैना.

आज ये बात इसलिए लिखी जा रही है कि क्योंकि आज सुरेश रैना का बर्थडे है. आज उनके बर्थडे पर एक और बात लिखी जानी जरूरी है वो ये कि कप्तान धोनी (Mahendra Singh Dhoni) के खेल से संन्यास (Retirement) लेने की ऐलान के तत्काल बाद भारत के बल्लेबाज सुरेश रैना (Suresh Raina Retirement) ने भी अपना बल्ला रख दिया था. माही के संन्यास के ऐलान से क्रिकेट प्रेमी और प्रशंसक जहां हैरान थे वहीं तत्काल रैना के संन्यास की घोषणा से तो लोग हैरान ही हो गए थे.

27 नवंबर 1986 को उत्तर प्रदेश के मुरादनगर में कश्मीरी पंड‍ित माता-प‍िता परवेश रैना और त्र‍िलोकचंद रैना के घर जन्मे सुरेश रैना की शुरुआती पढ़ाई ल‍िखाई बोर्ड‍िंग स्कूल में हुई. सुरेश रैना के प‍ि‍ता भारतीय सेना में थे. सुरेश रैना की क्रि‍केटर के तौर पर प्रत‍िभा महज 15 साल की उम्र में न‍िखर कर सामने आई थी. रैना उस वक्त उत्तर प्रदेश की अंडर-16 टीम में खेलते थे.    

राहुल द्रविड़ की कप्तानी में खेला था पहला टी-20 

अपने शुरुआती समय में विश्व के बाएं हाथ के बल्लेबाजों में सर्वाधिक प्रतिभावान खिलाड़ी में गिने जाने वाले रैना ने अपने क्रिकेट करियर में पहला वन-डे साल 2005 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में खेला. इसके बाद रैना ने 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला टी-20 खेला. टेस्ट क्रिकेट में रैना की बल्लेबाजी कुछ ख़ास प्रभावशाली नहीं रही इस वजह से साल 2010 में श्रीलंका के खिलाफ उन्हें टेस्ट कैप मिलने के बाद सिर्फ 18 टेस्ट में ही टीम इंडिया में अपनी जगह बना सके. 

कई गंभीर मौके पर जीत दिलाने वाले रैना 

क्रिकेट के तीनों प्रारूप में सुरेश रैना पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जो शतक लगा चुके हैं. 2010 के बाद से रैना ने लगातार शानदार प्रदर्शन किया, खूब रन बनाए और टीम को कई गंभीर मौके पर जीत दिलाई. रैना में मैच के आखिर तक धैर्य से खेलने और जरूरत पड़ने पर रन रेट को बढ़ाने के लिए ताबड़तोड़ खेलने की विलक्षण क्षमता थी. इसी कारण इनके प्रशंसकों ने इन्हें द्रविड़ की भांति 'मिस्टर भरोसेमंद' की उपाधि भी दी.

जब रैना ने दिलाई थी लगभग हारे हुए मैच में जीत

आईपीएल में चेन्नई सुपकिंग्स की टीम में भी कई मौकों पर धोनी के साथ सुरेश रैना ने लगभग हारे हुए मैच जीता कर क्रिकेट प्रेमियों को मंत्र मुग्ध भी किया. रैना के करियर में अगर आंकड़ों पर गौर करें तो एक मध्यक्रम के बल्लेबाज जिसे आमतौर पर लंबी पारी तब ही मिलती है जब शीर्ष क्रम लगभग ध्वस्त हो चुका होता है या अंतिम के ओवरों में जब ज्यादा गेंदें शेष नहीं रहती हैं. इस लिहाज से टेस्ट में 26.5 का औसत व स्ट्राइक रेट 53.1, एकदिवसीय में 35.3 औसत व स्ट्राइक रेट 93.5 और टी ट्वेंटी में 29.2 के औसत के साथ 124.7 रन का औसत रैना की प्रतिभा और खेल क्षमता को दर्शाता है.

रैना ने संन्यास के पीछे छोड़ा धोनी के प्रति प्रेम और सम्मान

इसी के साथ आईपीएल समेत रैना ने कुल 14000 के लगभग रन भी बनाए. अभी उम्र के लिहाज़ से रैना के पास लगभग 2-3 वर्षों का खेल भी बाकी था. लेकिन एक ईमानदार खिलाड़ी अपनी क्षमता का हर वक्त आंकलन भी करता चलता है. इसलिए रैना ने 2020 में अपने संन्यास के पीछे धोनी के प्रति अपने प्रेम और सम्मान के अलावा अपने प्रदर्शन में पिछले दो तीन सालों में आई गिरावट को भी आधार बनाया होगा.

आज रैना की उपलब्धियों की कोईखास चर्चा न हो लेकिन क्रिकेट के प्रेमी इस छोटे कद के ऐसे खिलाड़ी के रूप में याद रखेंगे जिसने एकदिवसीय और टी20 दोनों के विश्वकप में शतक जमाया है. साथ ही रैना के वह छक्के हमेशा याद रखेंगे जो उन्होंने पिछले पैर को जमीन पर टिकाकर अपने बल्ले से मैदान के पार भेजे हैं.