
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को लेकर केंद्र सरकार ने फैसला किया है. सरकार ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय टूर्नामेंट नहीं खेलने का फैसला किया है. हालांकि इसके साथ ही सरकार ने एशिया कप और ICC टूर्नामेंट जैसे मल्टीनेशन टूर्नामेंट में पाकिस्तान के साथ खेलने पर हामी भर दी है. भारत पाकिस्तान के साथ काफी समय से द्विपक्षीय टूर्नामेंट नहीं खेल रहा है. भारत का पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट नहीं खेलने और मल्टीनेशन टूर्नामेंट में खेलने पर हामी भरने के पीछे कई कारण हैं. भारत के इस फैसले ने एक तरफ क्रिकेट की लोकप्रियता भी बनाए रखी है और दूसरी तरफ पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर कड़ा संदेश भी दे दिया है. चलिए आपको सरकार के इस फैसले के पीछे की कुछ वजहें बताते हैं.
मल्टीनेशन टूर्नामेंट में खेलने का फैसला क्यों?
भारत ने एशिया कप और आईसीसी टूर्नामेंट जैसे मल्टीनेशन टूर्नामेंट में पाकिस्तान के साथ खेलने को तैयार हो गया है. इसके पीछे आर्थिक वजह से लेकर एशिया में BCCI के दबदबे से जोड़कर देखा जा रहा है. सरकार की ये रणनीति आईसीसी में बीसीसीआई की पॉजिशन को मजबूत करेगा. चलिए मल्टीनेशन टूर्नामेंट में पाकिस्तान के साथ खेलने के फैसले की पीछे की 3 वजह बताते हैं.
1. BCCI पर ब्रॉडकास्टर का भरोसा कायम रहे-
भारत ने एशिया कप जैसे मल्टीनेशन टूर्नामेंट में खेलने के लिए इसलिए राजी हो गया, ताकि ब्रॉडकास्टर को नुकसान ना हो और बीसीसीआई की विश्वसनीयता बनी रहे. साल 2024 में एशिया कप के ब्रॉडकास्ट राइट्स 4 साल के लिए सोनी पिक्चर्स को बेचे गए हैं. इसके लिए सोनी पिक्चर्स ने 170 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं. एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के मैच में सबसे ज्यादा महंगे विज्ञापन मिलते हैं. इन दोनों देशों के बीच मैच के दौरान 10 सेकंड के 30 लाख रुपए तक के विज्ञापन मिलते हैं. बाकी टीमें के बीच मुकाबले के लिए इसकी आधी कीमत भी नहीं मिलती है. अगर भारत और पाकिस्तान के बीच मैच नहीं होंगे तो ब्रॉडकास्टर को नुकसान उठाना पड़ेगा. ऐसे में ब्रॉडकास्टर की नजर में बीसीसीआई की विश्वसनीयता कम होगी और आने वाले समय में बीसीसीआई को ब्रॉडकास्ट राइट्स बेचने में दिक्कत होगी. इससे बीसीसीआई को भी नुकसान होगा.
2. ACC में भारत का दबदबा बनाए रखना मकसद-
एशियन क्रिकेट काउंसिल में भारत का दबदबा है. ACC में 5 टेस्ट प्लेइंग मेंबर हैं. एसीसी के प्रेसिडेंट भी पाकिस्तान हैं. जिनका नाम मोहसिन नकवी है. अगर एशिया का सबसे दमदार और सबसे पैसे वाला बोर्ड किसी एक टीम का बॉयकाट करती है तो एशिया कप पूरी तरह से फ्लॉप हो जाएगा. इसका सीधा असर एसीसी के टीम मेंबर्स की कमाई पर पड़ेगा. ऐसे में पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश के बोर्ड एकजुट हो सकते हैं और भारत के दबदबे को चुनौती दे सकते हैं. पाकिस्तान भी इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगा और बाकी टीमों को भारत के खिलाफ भड़का सकता है. आर्थिक रूप से नुकसान होने पर श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे बोर्ड का भी झुकाव पाकिस्तान की तरफ हो सकता है. इसलिए भारत ने मल्टीनेशन टूर्नामेंट में पाकिस्तान के साथ खेलने पर हामी भर है.
3. ICC में BCCI की पकड़ मजबूत रखना-
आईसीसी के मौजूदा प्रेसिडेंट जय शाह है. जिनका संबंध बीसीसीआई से है. आईसीसी में बीसीसीआई की मजबूत पकड़ के पीछे एक फैक्टर एशियन क्रिकेट काउंसिल की एकजुटता भी है. जय शाह को आईसीसी चेयरमैन बनने में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बीसीसीआई को समर्थन दिया था. आईसीसी में कुल 12 फुल मेंबर्स हैं. इसमें से 5 एशिया के हैं. फुल मेंबर ही आईसीसी में वोट करते हैं. ऐसे में ACC की एकजुटता बनाए रखने और आईसीसी में पकड़ मजबूत रखने के लिए भारत ने मल्टीनेशन टूर्नामेंट में खेलने का फैसला किया है.
द्विपक्षीय टूर्नामेंट ना खेलने का फैसला क्यों?
भारत पाकिस्तान के साथ कोई भी द्विपक्षीय क्रिकेट नहीं खेलने के फैसले पर कायम है. भारत ने इस फैसले से आकंतवाद और खेल दोनों साथ-साथ नहीं होने का संदेश दिया है. इसके साथ ही पाकिस्तानी बोर्ड को आर्थिक झटका भी दिया है.
1. आतंकवाद पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश-
अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ. इससे पहले भी कई आतंकी हमले हुए हैं. जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट काफी समय से बंद है. सरकार ने ना खेलने के इस फैसले को कायम रखकर पाकिस्तान को संदेश दिया है कि आतंकवाद और खेल साथ-साथ नहीं चल सकते. अगर पाकिस्तान को भारत के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट खेलना है तो आतंकवाद के खिलाफ खुलकर आना होगा.
2. पाकिस्तानी बोर्ड को आर्थिक झटका-
भले ही भारत मल्टीनेशन टूर्नामेंट में पाकिस्तान के साथ खेलने के लिए राजी हो गया हो. लेकिन अगर दोनों देशों के बीच क्रिकेट होता तो पाकिस्तानी बोर्ड को बहुत ज्यादा आर्थिक फायदा होता. लेकिन भारत ने द्विपक्षीय क्रिकेट नहीं खेलने के फैसले से पाकिस्तानी बोर्ड को बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होगा. पहले से ही पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की आर्थिक हालत खस्ता है. अगर ऐसे में भारत नहीं खेलता है तो पाकिस्तानी बोर्ड की आर्थिक कमर टूट जाएगी.
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