
जर्मनी में आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स 2025 में भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज हुई. 57 भारतीय एथलीट्स ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 63 मेडल अपने नाम किए. इसमें 16 गोल्ड, 22 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं. इन एथलीट्स में कुछ ऑर्गन डॉनर हैं तो कुछ का ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है. इन खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया कि अंगदान के बाद की जिंदगी सामान्य हो सकती है.
आउटस्टैंडिंग डोनर एथलीट- जसकरन सिंह
चंडीगढ़ के जसकरन सिंह ने अपनी पत्नी को किडनी दान की थी. वह एक पशु चिकित्सक हैं. वह इन गेम्स के स्टार परफॉर्मर रहे. उन्होंने अकेले 4 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल जीते. उन्हें "आउटस्टैंडिंग डोनर एथलीट ऑफ द गेम्स" का खिताब दिया गया.
जसकरन ने न्यू इंडिन एक्सप्रेस से कहा, “यह एक मिथक है कि अंगदान के बाद इंसान सामान्य जीवन नहीं जी सकता. मैंने कभी महसूस नहीं किया कि मेरे पास सिर्फ एक किडनी है. खेलों के जरिए हम यह संदेश देना चाहते हैं कि अलग-अलग क्षमताओं वाले लोगों को समाज में बराबरी का स्थान मिलना चाहिए.”
राजस्थान के रामदेव सिंह का कमाल
राजस्थान के रामदेव सिंह ने 2012 में अपनी मां से किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था. उन्होंने भी भारत की झोली में 4 मेडल डाले. उन्होंने 1 गोल्ड, 1 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज जीतकर शानदार प्रदर्शन किया.
वहीं, बेंगलुरु का आनंद परिवार इस बार चर्चा का केंद्र रहा. परिवार के सदस्यों ने मिलकर 13 मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.
छोटे चैंपियन ईशान ने जीते दिल
13 वर्षीय ईशान अनेकर ने 2021 में अलपोर्ट सिंड्रोम से जंग जीतने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था. उन्होंने तैराकी में अपना लोहा मनवाया. उन्होंने 2 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल अपने नाम किए और दुनियाभर के दर्शकों से सराहना पाई.
पूर्व आर्मी एथलीट सत्यवान पंघाल की वापसी
भारतीय सेना के पूर्व शॉट पुट खिलाड़ी सत्यवान पंघाल ने 2021 में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद शानदार वापसी की. उन्होंने 2 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल जीतकर अपनी मजबूती का प्रमाण दिया.
भारत का प्रदर्शन: एक सामाजिक संदेश
इस गेम्स में 51 देशों के 1,600 एथलीट्स ने 17 स्पोर्ट्स कैटेगरी में भाग लिया. भारत की टीम का नेतृत्व ऑर्गन इंडिया ने किया. संस्था का कहना है कि ये मेडल सिर्फ खेल उपलब्धि नहीं हैं, बल्कि एक शक्तिशाली सामाजिक संदेश भी हैं. हर मेडल यह साबित करता है कि अंगदान के बाद की जिंदगी नई संभावनाओं, साहस और सफलता से भरी हो सकती है.
भारत के लिए नई प्रेरणा
इन भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियां सिर्फ मेडल तक सीमित नहीं हैं. ये उन हजारों मरीजों के लिए नई उम्मीद हैं, जो ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद अपनी जिंदगी को लेकर संशय में रहते हैं.
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