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Online Game Detox Centre: बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने के लिए चीन में शुरू किया गेम डिटॉक्स सेंटर... भारत में भी है इसकी जरूरत

चीन में ऑनलाइन गेम्स की लत से परेशान बच्चों और युवाओं के लिए एक ई-स्पोर्ट्स क्लब ने अनोखा कोर्स शुरू किया है.

Online Gaming Addiction Online Gaming Addiction

आज की डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन गेमिंग भी बड़ी समस्या बनता जा रहा है. स्कूल के बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर किसी के लिए यह सिर्फ एंटरटेनमेंट न रहकर लत बनती जा रही है. ऑनलाइन गेमिंग के लत के चलते बच्चों की न सिर्फ पढ़ाई बल्कि उनकी सेहत से लेकर जीवन के हर पहलू पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. यह लत ऐसी है कि इसके कारण बहुत से बच्चे अपने घरों से दूर हो रहे हैं और तो और यह लत जान भी ले रही है. 

हजारों बच्चों ने छोड़ा घर 
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के करनाल जिले में पिछले 6 साल में 4672 किशोर घर छोड़कर भाग गए. इनमें से ज्यादातर मामलों में वजह रही कि माता-पिता ने उन्हें मोबाइल, सोशल मीडिया या ऑनलाइन गेमिंग से रोका. इनमें से 3917 किशोर घर लौट आए हैं, जबकि 755 अब तक लापता हैं. जिला बाल कल्याण समिति के सामने 13 से 17 साल की उम्र के बच्चों की काउंसलिंग भी करवाई गई है. 

यह समस्या सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी बच्चों को प्रभावित कर रही है. इसे ध्यान में रखते हुए चीन में एक खास सेंटर की शुरुआत की गई है जहां बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से छुटकारा दिलाने के लिए स्पेशल कोर्स शुरू किया है. 

चीन में शुरू हुआ गेम डिटॉक्स सेंटर 
चीन में ऑनलाइन गेम्स की लत से परेशान बच्चों और युवाओं के लिए एक ई-स्पोर्ट्स क्लब ने अनोखा कोर्स शुरू किया है. हेबेई प्रांत में स्थित इस क्लब के मालिक सू चेनहाओ ने 2018 में प्रोफेशनल गेमर्स को ट्रेनिंग देने के लिए क्लब खोला था. लेकिन जल्द ही उन्हें समझ आया कि प्रतिभाशाली खिलाड़ी लाखों में एक ही होते हैं.

ज्यादातर बच्चे प्रोफेशनल बनने का सपना देखते हैं, लेकिन असल में वे पढ़ाई और जीवन की मुश्किलों से भागने के लिए गेमिंग में उलझ जाते हैं. इसी वजह से सू ने 2023 में गेमिंग छुड़ाने का कोर्स शुरू किया.

फीस और ट्रेनिंग का तरीका

  • इस कोर्स की फीस अवधि और बच्चों की लत के स्तर पर निर्भर करती है.
  • 22 दिन का कोर्स 10,000 युआन (करीब 1.16 लाख रुपए) में कराया जाता है.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कोर्स के दौरान बच्चों को रोज सुबह 9 बजे से रात 12 बजे तक लगातार गेम खेलने को कहा जाता है. सिर्फ खाने और जॉगिंग के समय उन्हें ब्रेक मिलता है. सू का कहना है कि इस तरह के हाई-प्रेशर माहौल में गेमिंग पढ़ाई से भी ज्यादा थकाऊ लगने लगती है और बच्चे धीरे-धीरे गेम खेलना छोड़ देते हैं.

4000 बच्चों को दी है ट्रेनिंग
कोर्स में शामिल एक बच्चे शियाओ डैन का सपना प्रोफेशनल गेमर बनने का था, लेकिन पहले ही दिन उसे मांसपेशियों में खिंचाव हो गया. वहीं, दूसरे दिन एक और बच्चा घर लौटने के लिए रो पड़ा. पिछले सात सालों में सू के क्लब ने करीब 4,000 बच्चों को ट्रेनिंग दी है, जिनमें से 85% बच्चे ऑनलाइन गेमिंग के आदी थे.

चीन में ई-स्पोर्ट्स इंडस्ट्री
2024 की चाइना ई-स्पोर्ट्स इंडस्ट्री डेवलपमेंट रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में ई-स्पोर्ट्स यूजर्स की संख्या 490 मिलियन (49 करोड़) है, जो देश की कुल आबादी का लगभग 35% है.

  • चीन ने 2003 में ई-स्पोर्ट्स को आधिकारिक खेल का दर्जा दिया था. आज कई चीनी खिलाड़ी विश्व स्तर पर नाम कमा रहे हैं.
  • एक औसत प्रोफेशनल खिलाड़ी महीने में लगभग 20,000 युआन (करीब 2.8 लाख रुपए) कमा सकता है.
  • वहीं, टॉप खिलाड़ी एक ही महीने में 10 लाख युआन (करीब 1.4 करोड़ रुपए) तक कमा लेते हैं.
  • वर्ल्ड-क्लास लेजेंडरी खिलाड़ियों की कमाई ब्रांड एंडोर्समेंट्स से और भी ज्यादा होती है.

भारत में भी है डीएडिक्शन सेंटर की जरूरत 
भारत में ऑनलाइन गेमिंग का कल्चर जिस तरह बढ़ रहा है और इसके कारण सामने आ रहे नकारात्मक परिणामों को देखकर आज देश में भी इस तरह के गेम डिटॉक्स सेंटर्स की जरूरत महसूस रही है. हाल ही में, उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ऑनलाइन गेमिंग की लत ने 13 साल के छात्र यश कुमार की जान ले ली. 

छठी क्लास के इस छात्र ने अपने पिता के बैंक खाते से 14 लाख रुपए "फ्री फायर" गेम पर खर्च कर दिए थे. उसके पिता सुरेश कुमार यादव पुताई का काम करते हैं और उन्होंने दो साल पहले यह रकम बैंक में जमा की थी. इस तरह की घटनाएं हम सबके लिए अलार्मिंग हैं. स्कूल, प्रशासन और पैरेंट्स काउंसलिंग के जरिए अपने स्तर पर काम कर रहे हैं. लेकिन इस दिशा में और भी इंटरवेंशन की जरूरत नजर आ रही है. 

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