
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को इसलिए विकसित किया गया था कि यह लोगों का काम आसान बनाए और कंपनियों के खर्चे कम करें. कई बड़ी कंपनियों ने AI की वजह से कर्मचारियों की संख्या में कटौती की, उम्मीद थी कि तकनीक बेहतर और तेज काम करेगी. लेकिन जैसा सोचा गया था वैसा संभव नहीं हो पाया. जो कंपनियां जल्दीबाजी में AI से कर्मचारियों की जगह लेने लगीं, उन्हें अब उसी AI की गलतियों को सुधारने के लिए फिर से इंसानों को भर्ती करना पड़ रहा है, और इसके चलते भारी खर्च भी झेलना पड़ रहा है.
कंपनियां फिर से इंसानों को हायर कर रहीं
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब एक नई इंडस्ट्री उभर रही है जिसमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर और राइटर्स को AI की गलतियों को सुधारने के लिए काम पर रखा जा रहा है. यह इंडस्ट्री इसलिए तेजी से बढ़ रही है क्योंकि AI से निकली गलतियों के कारण कंपनियों को नए सिरे से काम करवाना पड़ रहा है.
AI से बनी कॉपी क्लाइंट को अच्छी नहीं लगी
मई में एक कंटेंट एजेंसी ने सारा नाम की राइटर से संपर्क किया क्योंकि उनके क्लाइंट के लिए AI द्वारा बनाई गई वेबसाइट की कॉपी उम्मीद के मुताबिक नहीं थी. AI से बनी यह कॉपी बहुत ही सामान्य और उबाऊ थी, जो क्लाइंट्स को आकर्षित करने में नाकाम रही. सारा ने पूरे कंटेंट को 20 घंटे लगाकर नया लिखा. सारा का कहना है कि वे AI से डरी नहीं हैं बल्कि इससे उन्हें और ज्यादा काम मिल रहा है.
क्या AI इंसानों की जगह ले पाएगा?
कई विशेषज्ञों का मानना है कि AI अभी भी इंसानी सोच और रचनात्मकता की बराबरी नहीं कर सकता है. AI के कई फायदे हैं, लेकिन यह हर काम में सही और प्रभावी परिणाम देने में सक्षम नहीं है. इसलिए, जहां AI द्वारा बनाए गए कंटेंट या कोड में गलतियां आती हैं, वहां इंसानों की जरूरत बनी रहती है.