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Damini App: आसमान से गिरने वाली बिजली से बचाएगा दामिनी एप, जानें कैसे कर सकेंगे इस्तेमाल

अब इस एप को लोगों के बीच पहुंचाने के लिए इसे स्थानीय भाषाओं में लॉन्च करने का फैसला लिया है. फिलहाल दामिनी एप के 83 ग्राउंड स्टेशन हैं लेकिन आने वाले समय में दामिनी एप्लीकेशन के साथ नए ग्राउंड स्टेशन सेंसर लगाए जाएंगे और इसे स्थानीय भाषाओं से ज्यादा जोड़ा जाएगा.

Damini App Damini App
हाइलाइट्स
  • ग्रामीण क्षेत्रों में होती है ज्यादा परेशानी

  • फिलहाल दामिनी एप के 83 ग्राउंड स्टेशन हैं

बरसात के मौसम बारिश के साथ आसमान में गरज होना आम है, लेकिन कई बार ये आकाशीय बिजली जानलेवा साबित हो जाती है. लाइटिंग रेजिलिएंट इंडिया कैंपेन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2021 और मार्च 2022 के लगभग 2500 लोगों की मौत आकाशीय बिजली की चपेट में आने से हो गई. वहीं देश भर में लगभग 1.8 करोड़ बिजली गिरने की घटनाओं का अंदाजा लगाया गया. आकाशीय बिजली की समस्या को देखते हुए मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस ने मौसम विभाग के साथ मिल कर दामिनी एप लॉन्च किया है. इस एप के जरिए के आसमान से गिरने वाली बिजली, उसकी गति, उससे होने वाले नुकसान और उससे बचा कैसे जाए इसकी जानकारी मिल जाती है. 

मौसम विभाग ने अब इस एप को लोगों के बीच पहुंचाने के लिए इसे स्थानीय भाषाओं में लॉन्च करने का फैसला लिया है. फिलहाल दामिनी एप के 83 ग्राउंड स्टेशन हैं लेकिन आने वाले समय में  दामिनी एप्लीकेशन के साथ नए ग्राउंड स्टेशन सेंसर लगाए जाएंगे और इसे स्थानीय भाषाओं  से ज्यादा जोड़ा जाएगा .

एप कैसे करता है काम?

मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस का ये एप प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर दोनों पर उपलब्ध है. इसे इस्तेमाल करना काफी आसान है. ये एप्लीकेशन 7 मिनट, 14 मिनट और 21 मिनट में बिजली गिरने की संभावना बता देता है. दामिनी एप लगभग 40 किलोमीटर तक क्षेत्रफल की जानकारी देता है. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल होगा की आखिर ये एप बिजली गिरने की जानकारी कैसे मुहैया करवाती है, दरअसल मौसम विभाग इस एप के जरिए कलर कोडिंग अलर्ट सिस्टम, इसरो सैटलाइट इंस्टॉलेशन, और रडार सेंसर के जरिए भी आसमानी बिजली गिरने की संभावना बताती है.

ग्रामीण क्षेत्रों में होती है ज्यादा परेशानी

मौसम विभाग के इस एप के बारे में डेमो और ज्यादा जानकारी देते हुए मौसम वैज्ञानिक सोमा सेन राय ने बताया कि दामिनी एप का इस्तेमाल सबको करना चाहिए खासतौर पर को लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहते है उनके लिए ये ज्यादा कारगर साबित होगा, क्योंकि शहरी क्षेत्रों में बिजली गिरने से होने वाली मौत के आंकड़े काफी कम हैं. इसकी एक वजह है घरों की बनावट. इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून के दौरान खेतों में पानी भर जाता है, साथ ही कई पेड़ भी ऐसे होते है जिसके नीचे नुकसान होने की संभावना ज्यादा होती है. उन्होंने बताया कि बिजली गिरने के बाध्य सबसे ज्यादा बुरा असर पूर्वी प्रदेश, बिहार, झारखंड ,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पड़ता है.

मौसम वैज्ञानिक सोमा सेन राय ने दामिनी एप का डेमो किया जिसमें पाया कि कैसे देश की राजधानी दिल्ली  के नरेला में बिजली गिरने का अपडेट दामिनी एप में दिखाया गया. इस एप में एनसीआर से सटे हरियाणा के बहादुरगढ़ में भी जो बिजली गिरी उसका भी अपडेट बताया गया.