हाल ही में, द ट्रिब्यून में पंजाब के जलंधर से एक खबर छपी कि बहुत से किसान अपनी शिमला मिर्च को हार्वेस्ट नहीं कर रहे हैं क्योंकि बाजार में उन्हें फसल का दाम तीन रुपए किलो मिल रहा है. उनके लिए लागत भी वापस कमा पाना बहुत मुश्किल है. ऐसे में, बहुत से किसानों ने तय किया है कि वे अपनी फसल को खेत में ही छोड़ देंगे. लेकिन इससे भी सीधा नुकसान किसानों को ही होगा. और किसानों को इसी नुकसान से बचाने के लिए इस 26 साल के युवा इंजीनियर ने बनाया है सोलर ड्रायर.
आज 'सूरज से स्वावलंबन' सीरिज में हम आपको बता रहे हैं इंदौर के वरुण रहेजा और उनके बनाए सोलर ड्रायर्स के बारे में. जिनकी मदद से देशभर के किसानों की फसल न सिर्फ वेस्ट जाने से बच रही है बल्कि उनकी कमाई भी बढ़ी है. साथ ही, उन्होंने कार्बन एमिशन को रोकने में भी मदद की है.
पद्मश्री जनक पालटा से सीखा सूरज का ज्ञान
मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने वाले वरुण को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही सौर ऊर्जा के महत्व को समझने का मौका मिला. दरअसल, उन्हें पद्मश्री जनक पालटा जी के सानिध्य में काम करने का मौका मिला और उनसे उन्होंने सीखा कि कैसे सौर ऊर्जा से आमजन के जीवन को बदला जा सकता है. उन्होंने अपनी इंटर्नशिप के दौरान तीन वेस्ट-टू-वेल्थ प्रोजेक्ट्स पर काम किया और उनमें से एक सोलर ड्रायर था, जो जर्मन वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीक थी.
सोलर ड्रायर एक ऐसा यंत्र है जो फूल, फल और सब्जियों को विशेष तकनीक के माध्यम से सुखाता है. यह सौर ऊर्जा तकनीक पर काम करता है. सोलर ड्रायर फूड प्रोडक्ट्स को सोलर एनर्जी से नियंत्रित और अनुकूलित तापमान प्रदान करता है. इस तकनीक से सुखने पर प्रोडक्ट्स छह महीने से ज्यादा समय तक सुरक्षित रहते हैं. यह प्राकृतिक और सुरक्षित प्रोसेस है.
वरुण ने बताया कि उन्होंने सोलर ड्रायर बनाने की दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया क्योंकि यह प्रभावी तकनीक है. किसान अपनी ड्राइड प्रोड्यूस को मार्केट में बेचने के अलावा साल भर अपनी खपत के लिए चीजों को रख भी सकते हैं. यह एक विन-विन मॉडल है. साल 2016 में उन्होंने अपने सोलर ड्रायर पर काम करना शुरू किया और अपने परिवार की मदद से साल 2018 में अपना स्टार्टअप, रहेजा सोलर फूड प्रोसेसिंग की शुरुआत की.
रहेजा सोलर, पॉवरिंग लाइवलीहुड्स समर्थित उद्यम है. पॉवरिंग लाइवलीहुड्स, सीईईडब्ल्यू-विलग्रो की पहल है, जिसका उद्देश्य आजीविका के लिए स्वच्छ ऊर्जा से चलने वाली प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देकर भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है.
क्यों खास है ये सोलर ड्रायर
वरुण ने बताया कि वह तीन तरह के सोलर ड्रायर बनाते हैं- सहज, समग्र और अग्रज. बात अगर इन तीनों सोलर ड्रायर के कॉमन फीचर्स की करें तो तीनों ही सोलर ड्रायर किफायती कीमतों पर उपलब्ध हैं. इसके अलावा, ये तीनों सोलर ड्रायर फोल्डेबल, और स्केलेबल है. तीनों का डिजाइन फूड ग्रेड सर्टिफाइड और कोई भी बहुत ही आसानी से सोलर ड्रायर्स को इंस्टॉल कर सकता है.
सहज सोलर ड्रायर- यह छोटा सोलर ड्रायर है और ऐसे किसानों के लिए उपयोगी है जो कम जमीन पर खेती करते हैं. इसकी औसत क्षमता 20 किलोग्राम है और साइज- 4 x 8 स्क्वायर फीट है.
समग्र सोलर ड्रायर- इस कैटेगरी में उनके पास चार अलग-अलग साइज के सलर ड्रायर हैं. बड़े पैमाने पर किसानों या लघु उद्योगों के लिए बिल्कुल सही, यह सोलर ड्रायर उनकी आय को ऊपर बढ़ाने में मदद कर सकता है. इस सोलर ड्रायर का डिज़ाइन मॉड्यूलर है, इसे 40 किलो से शुरू होने वाली जरुरत के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है.
सहज और समग्र के कॉमन फीचर्स हैं-
अग्रज सोलर ड्रायर- इस कैटेगरी में उनके दो मॉडल हैं- 500 किलोग्राम और 1000 किलोग्राम. इसका आकार पॉलीहाउस टनल शेप का है और इसके इंस्टॉलेशन के लिए एक्सपर्ट की जरूरत पड़ती है.
क्या है उनका बिजनेस मॉडल
सोलर ड्राईंग तकनीक इस बात का उदाहरण है कि किसानों के फायदे के लिए फ्री में मिल रही ऊर्जा का प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किया जा सकता है. वरुण की कंपनी एक तरफ, किसानों को उपज से वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट- उदाहरण के लिए, सूखे हुए टमाटर, प्याज, अदरक, आम, तरबूज, गुलाब की पंखुड़ियां, आदि, बनाने के लिए एक किफायती और DIY फोल्डेबल सोलर ड्रायर प्रदान कर रही है, जो अन्यथा बहुत कम कीमत पर बिकता है या बर्बाद हो जाता है.
हालांकि, सिर्फ सोलर ड्रायर किसानों की मदद नहीं करेंगे क्योंकि उनके पास बाज़ार तक पहुंच नहीं है. ऐसे में, कंपनी इन सूखे उत्पादों को किसानों से खरीदती हैं ताकि उन्हें यूजर्स को बेच सके. वरुण कहते हैं कि वह अबतक 35,000 किसानों के साथ जुड़ चुके हैं. वह लगातार उनकी प्रोड्यूस को बचा रही है और अब तक 13,000 टन कार्बन डाई एक्साइड के एमिशन को भी रोका है. उनका कहना है कि आज बहुत से किसान उनके ड्रायर की मदद से महीने में 30 से 35 हजार रुपए तक की इनकम कमा रहे हैं.
वरुण कहते हैं कि उनके ड्रायर किसानों को उनके समय और कीमत पर अपनी उपज बेचने के विकल्प के साथ सशक्त बनाते हैं. किसान अपने फल-सब्जियों के प्राकृतिक रंग, स्वाद, सुगंध और पोषक तत्वों को खोए बिना अपनी अतिरिक्त उपज को संरक्षित कर सकते हैं. सबसे अच्छी बात हैं कि सोलर एनर्जी से ड्राई करने से फल-सब्जियों की न्यूट्रिशनल वैल्यू पर कोई असर नहीं पड़ता है. इसलिए उनके प्रोडक्ट्स की मांग विदेशों में भी होने लगी है.