
तिरुवनंतपुरम के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित खूबसूरत ग्राम पंचायत पुल्लमपरा देश की पहली पूर्ण डिजिटल साक्षर पंचायत है. पुल्लमपरा की इस पहल ने पूरे राज्य को प्रेरित किया और अब केरल देश का पहला राज्य बनने जा रहा है जो पूर्ण डिजिटल साक्षरता हासिल करेगा. यहां आप बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को डिजिटल तकनीक इस्तेमाल करते देख सकते हैं.
पुल्लमपरा के निवासी 103 वर्षीय करुणाकरण और उनके 73 वर्षीय बेटे राजन अपने पंचायत के आभारी हैं, जिन्होंने उन्हें डिजिटल दुनिया से जोड़ा. 103 साल की उम्र में करुणाकरण की आंखों की रोशनी और याददाश्त कमजोर हो रही है, लेकिन फिर भी वे अपने पोते-पोतियों से वीडियो कॉल करने को लेकर बेहद उत्साहित रहते हैं.
राजन पहले सिर्फ कीपैड वाला फोन इस्तेमाल करते थे, अब अपने नए स्मार्टफोन पर लगभग सभी प्रमुख ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं.
राजन ने बताया, "जब पंचायत के लोग हमें सिखाने आए, तब मेरे पास केवल कीपैड फोन था. मैंने सीखने के बाद स्मार्टफोन खरीदा. मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि इस डिजिटल दुनिया में जी रहा हूं और इस फोन के जरिए दुनिया देख पा रहा हूं. मैं ज़्यादातर यूट्यूब, फेसबुक और समाचार चैनलों का इस्तेमाल करता हूं."
वहीं एक और 58 वर्षीय श्यामला काम से लौटते समय अपने बच्चों से व्हाट्सऐप कॉल पर बात कर रही थीं. यह कारनामा हो पाया है कुदुम्बश्री की "केरल की महिला सेना" के कारण.
डिजिटल साक्षरता की ट्रेनिंग
कुदुम्बश्री की टीम ने ट्रेनिंग को अलग-अलग मॉड्यूल में बांटा. इसमें शामिल थे:
कुल 15 गतिविधियों में से 6 गतिविधियां सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद ही व्यक्ति को डिजिटल साक्षर माना गया.
सीखने के लिए किया प्रेरित
प्रीथा (कुदुम्बश्री सदस्य) कहती हैं, "शुरुआत में बहुत मुश्किल थी. ज्यादातर लोग कहते थे कि उनके बच्चों के पास फोन हैं, उन्हें क्यों सीखना चाहिए. हमने समझाया कि भले ही अभी फोन न हो, लेकिन किसी दिन जरूरत पड़ सकती है. धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए. खास बात यह थी कि ज्यादातर ने अपनी कमाई से ही फोन खरीदे. गृहिणियां यूट्यूब पर कुकिंग वीडियो देखना पसंद करती थीं, लेकिन हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही कि 60 साल से ऊपर के कई लोगों ने गूगल पे सीख लिय. जब उन्हें पेंशन मिलती थी, हमने उन्हें सिखाया कि कैसे ऑनलाइन भुगतान करना है."
पंचायत की मेहनत रंग लाई
अश्वथी (उपाध्यक्ष, पुल्लमपरा पंचायत) बताती हैं, "यह हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट था. कोविड के समय लोग घरों में बंद थे और बहुत कम लोग जुड़ना चाहते थे, हमने घर-घर जाकर उन्हें मनाया. सबसे बुजुर्ग 98 वर्षीय करुणाकरण थे और सबसे छोटे 7 वर्षीय केशु. दो वार्डों में नेटवर्क की समस्या थी, लेकिन सांसद जॉन ब्रिटास की मदद से वहां टावर लगवाए गए. एक साल की कड़ी मेहनत के बाद हम इसे पूरा कर पाए."
डिजिटल क्रांति की लहर
पुल्लमपरा से शुरू हुई यह डिजिटल क्रांति अब पूरे केरल में फैल गई है. एर्नाकुलम में 105 वर्षीय एम.ए. अब्दुल्ला मौलवी बफाकी भी अब डिजिटल हो गए हैं. केरल के स्थानीय स्वशासन मंत्री एम.बी. राजेश ने उनसे मुलाकात कर उन्हें "द हीरो ऑफ द रियल केरल स्टोरी" कहा और उन्हें एक स्मार्टफोन भेंट किया.
डिजिटल केरल पहल
मंत्री एम.बी. राजेश बताते हैं कि केरल की डिजिटल साक्षरता मॉड्यूल यूनेस्को सहित अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार की गई है. पूरे राज्य में 83,45,879 परिवारों का सर्वे किया गया. इसमें 21,88,398 लोगों को प्रशिक्षु के रूप में चिन्हित किया गया. इनमें से 21,87,966 (99.98%) लोगों ने प्रशिक्षण पूरा किया. 21,87,667 (99.98%) ने मूल्यांकन पास कर डिजिटल साक्षरता हासिल की. इनमें 15,223 लोग 90 वर्ष से अधिक और 1,35,668 लोग 76 से 90 वर्ष की आयु के थे. मुख्यमंत्री इस ऐतिहासिक उपलब्धि की आधिकारिक घोषणा 21 अगस्त को तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में करेंगे.
(शिबी की रिपोर्ट)
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