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AI-enabled Camera: लखनऊ में बदमाशों की खैर नहीं...चप्पे-चप्पे पर लगाए गए AI सिस्टम से लैस कैमरे, अपराधी के चेहरे को स्कैन करके करेंगे पहचान

लखनऊ एआई कैमरों से सुरक्षित होने वाला पहला शहर बन गया है. इन कैमरों की मदद से अपराधी के चेहरे को स्कैन किया जाएगा. इस तकनीक की मदद से उसका बचना मुश्किल हो जाएगा. इन कैमरों को सार्वजनिक सभा स्थलों, बड़े चौराहों, कॉलेजों और छात्रावासों के आसपास लगाया जाएगा.

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पहली बार, लखनऊ को नागरिकों की सुरक्षा के लिए एआई (AI) लैस कैमरों से सुरक्षित किया जा रहा है. शहर के प्रमुख स्थानों पर चेहरा पहचान तकनीक से लैस अभी तक कुल 1,000 एआई कैमरे लगाए गए हैं. इन कैमरों में लखनऊ में प्रवेश करने वाले और लखनऊ की सीमा से बाहर जाने वाले हर एक व्यक्ति की तस्वीर कैद होगी.

पीएम करेंगे उद्घाटन
स्मार्ट सिटी लखनऊ के नगर आयुक्त और सीईओ इंद्रजीत सिंह ने बताया कि सेफ सिटी परियोजना के एक हिस्सा के रुप में, इन सीसीटीवी को रणनीतिक रूप से लगाया गया है और यह किसी भी आपराधिक गतिविधि के मामले में पुलिस डेटाबेस और अलर्ट कंट्रोल रूम को भेजेगा. ये संदिग्ध व्यक्तियों के चेहरों को स्कैन करके उन्हें तुरंत पकड़ लेगा. उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 फरवरी को जीआईएस परियोजनाओं के शिलान्यास समारोह के लिए शहर में होंगे. इस दौरान वे इस हाई-टेक सुविधा का उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही पीएम आशियाना में शहीद पथ और अहाना एन्क्लेव में लगाई गई 100 से अधिक स्ट्रीट लाइटों का भी उद्घाटन करेंगे.

लालबाग में बनाया गया सर्वर रूम
एआई कैमरे शहर को साफ रखने में भी मदद करेंगे. उन्होंने कहा, “यह नई पहल एक सुरक्षित शहरी वातावरण का वादा करती है. खुले में डंपिंग के लिए अलर्ट भी भेजा जाएगा. इन कैमरों को सार्वजनिक सभा स्थलों, बड़े चौराहों, कॉलेजों, छात्रावासों और वाणिज्यिक केंद्रों जैसे स्थानों पर लगाया गया है. राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (NAFIS) के साथ एकीकृत, अन्य शहरी क्षेत्रों में अतिरिक्त स्थापना की योजना बनाई गई है. कैमरे केंद्रीकृत डेटा का उपयोग करके व्यक्तियों की पहचान करने में सहायता करेंगे, जिससे संभावित खतरों पर त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी.” एआई-संचालित कैमरों से रिकॉर्ड इकट्ठा करने के लिए, लखनऊ के लालबाग क्षेत्र में सेफ सिटी कार्यालय के तहत एक सर्वर रूम स्थापित किया गया है.

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38 आईटीएमएस निगरानी कैमरों के साथ पीटीजेड (पैन-टिल्ट-ज़ूम) और फिक्स्ड कैमरों से लैस यह सिस्टम घटनाओं की जांच में पुलिस की सहायता करेगी. इस परियोजना को पूरा होने में 19 महीने लगे और 96 करोड़ रुपये की लागत आई. इसके तहत 165 सिटी बसों में एआई कैमरे और पैनिक बटन भी लगाए गए हैं, जो यात्रियों की सुरक्षा को और सुनिश्चित करते हैं.

पहला जिला है लखनऊ
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने जानकारी दी कि यूपी का लखनऊ पहला ऐसा जिला है, जहां पर इस पूरे सिस्टम को लगाया गया है. उन्होंने बताया कि बस और सड़कों के अलावा नगर निगम की कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों में भी इस सिस्टम को लगाया जाएगा जिसके जरिए कहां से कूड़ा उठ रहा है और कहां से नहीं इसकी भी निगरानी की जाएगी. पूरा शहीद पथ भी सीसीटीवी कैमरे से लैस कर दिया गया है.