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MSSR Installed at Bhopal Airport: भोपाल हवाई अड्डे को मिला आसमान का चौकीदार! लैंडिंग को बेहद आसान बनाएगा मोनोपल्स सेकंडरी सर्विलांस रडार, जानिए कैसे करेगा काम

भोपाल एयरपोर्ट पर हाल ही में मोनोपल्स सेकंडरी सर्विलांस रडार इंस्टॉल हुआ है. एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ऐसे सिस्टम की ज़रूरत भी थी जो एक बार में एक से ज़्यादा फ्लाइट्स लैंड करवा सके.

With a 64.8-meter wingspan and 74-meter length, the B-777 300ER is the largest aircraft to land at Bhopal airport, showcasing its upgraded infrastructure for high-profile operations. With a 64.8-meter wingspan and 74-meter length, the B-777 300ER is the largest aircraft to land at Bhopal airport, showcasing its upgraded infrastructure for high-profile operations.

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स के लिए तैयार हुए राजा भोज एयरपोर्ट पर हाल ही में मोनोपल्स सेकंडरी सर्विलांस रडार (Monopulse Secondary Surveillance Radar)  सिस्टम इंस्टॉल किया गया है. चेकोस्लोवाकिया की यह तकनीक हवाई यातायात कंट्रोलर्स को नागपुर, मुंबई और दिल्ली, विशेष रूप से भोपाल से 250 एनएम की परिधि में स्थित पड़ोसी नियंत्रकों के साथ बेहतर समन्वय करने में सहायता करेगी. आइए जानते हैं कैसे काम करती है यह तकनीक.

क्या है MSSR?
मोनोपल्स सेकंडरी सर्विलांस रडार (Monopulse Secondary Surveillance Radar) एक उन्नत रडार प्रणाली है. यह हवाई यातायात नियंत्रण (Air Traffic Control) और विमान निगरानी में इस्तेमाल की जाती है. यह सिस्टम विमानों की स्थिति, ऊंचाई, पहचान और अन्य जरूरी जानकारी को सटीकता से इकट्ठा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह सिस्टम मामूली रडार से अलग होता है क्योंकि यह विमान पर लगे ट्रांसपॉन्डर  के साथ संचार करता है.

कैसे काम करता है यह रडार?
इसके काम करने के तरीके को आसान भाषा में समझिए. रडार प्लेन के ट्रांसपॉन्डर  से सवाल पूछता है कि वह कौन है और कहां उड़ रहा है. यह सवाल एक खास सिग्नल (इंटरोगेशन सिग्नल) के ज़रिए हवाई जहाज़ तक जाता है. जहाज़ में लगा ट्रांसपॉन्डर इसका जवाब देता है. जवाब में वह बताता है, "मैं फलाना फ्लाइट हूं, इतनी ऊंचाई पर हूं और ये मेरा ID कोड है." 

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रडार इस जवाब को पकड़ता है और पल में बता देता है कि जहाज़ ठीक-ठीक कहां है. मोनोपल्स का मतलब है कि ये एक ही सिग्नल (पल्स) में जहाज़ की दिशा और दूरी बता देता है, बिना इधर-उधर भटके. ऐसे में यह रडार एक साथ कई फ्लाइट्स को मैनेज कर सकता है.

क्यों है खास?
मोनोपल्स तकनीक की सबसे खास बात यह है कि यह बेहद सटीक है. यह एक ही पल्स में टारगेट की दिशा और दूरी माप लेती है. इससे गलतियों की संभावना कम हो जाती है. इसके अलावा यह जानकारी के लिए विमान के ट्रांसपॉन्डर पर निर्भर है. इससे यह पक्षियों जैसी निष्क्रिय चीज़ों से भटकता नहीं.
सबसे ज़रूरी बात है कि यह रडार तीन मोड्स में काम करता है. मोड-ए हवाई जहाज़ का पहचान कोड देता है. मोड-सी ऊंचाई की जानकारी देता है और मोड-एस हवाई जहाज़ की गति और दिशा जैसा ज़रूरी डेटा देता है. 

कहां होता है इस्तेमाल?
मोनोपल्स रडार प्रमुख रूप से हवाई अड्डों पर इस्तेमाल होता है. हवाई ट्रैफिक कंट्रोलर इसका इस्तेमाल करके हर जहाज़ पर नज़र रखते हैं. सेना भी इसका इस्तेमाल करती है, ताकि पता चले कि आसमान में दोस्त है या दुश्मन. सिक्योरिटी के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. आसान भाषा में कहें तो मोनोपल्स रडार आसमान का चौकीदार है. यह एक ऐसा स्मार्ट गैजेट है जिसने सटीक, तेज़, और भरोसेमंद डेटा की मदद से हवाई लैंडिंग को काफी आसान बना दिया है.