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AI Powered Anganwadi: भारत की पहली AI आधारित आंगनवाड़ी, डिजिटल तकनीक से पढ़ रहे हैं ग्रामीण बच्चे

यह सेंटर नागपुर जिला परिषद की ‘मिशन बाल भरारी’ योजना के तहत शुरू किया गया है.

AI Powered Anganwadi AI Powered Anganwadi

महाराष्ट्र के नागपुर के पास एक छोटे से गांव वडधामना में एक चुपचाप लेकिन बड़ा बदलाव हो रहा है. यहां देश की पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित आंगनवाड़ी की शुरुआत की गई है. यह आंगनवाड़ी दो से छह साल के बच्चों की पढ़ाई को डिजिटल युग में ले आई है. 

यह सेंटर नागपुर जिला परिषद की ‘मिशन बाल भरारी’ योजना के तहत शुरू किया गया है. पुराने समय की चौक-और-तख्ती वाली पढ़ाई को अब इंटरैक्टिव डिजिटल लर्निंग से बदल दिया गया है. पहले जहां सिर्फ 10 बच्चे आते थे, अब रोज़ाना 25 से ज्यादा बच्चे नियमित रूप से यहां आने लगे हैं.

क्या खास है इस नई आंगनवाड़ी में?
इस मॉडल आंगनवाड़ी को ज़िले की 2200 से ज़्यादा आंगनवाड़ियों में से चुना गया. इसमें वर्चुअल रियलिटी हेडसेट, स्मार्टबोर्ड, टैबलेट, और इंटरैक्टिव कॉन्टेंट जैसी सुविधाएं हैं. बच्चों को अब कहानियां, आकृतियां, जानवर और चीजें खेल-खेल में सिखाई जा रही हैं, जैसे वर्चुअल टूर और डिजिटल बोर्ड के जरिए.

बच्चों की सीखने की गति के अनुसार कोर्स को ढाला जाता है, जिससे तेज और धीमे सभी बच्चे बराबरी से सीख पाते हैं। चित्र बनाना, कविता गाना और गीत सुनना जैसे गतिविधियां अब तकनीक के ज़रिए होती हैं। बच्चों के काम को डिजिटल रूप में सहेजा जाता है, जिससे उनकी प्रगति को ट्रैक किया जा सके. 

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए भी प्रशिक्षण
तकनीक से डर महसूस न हो, इसलिए आंगनवाड़ी की दीदियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया. सेंटर में Wi-Fi, CCTV जैसी सुविधाएं भी हैं ताकि सुरक्षा और पारदर्शिता बनी रहे.

माता-पिता भी हो रहे हैं प्रभावित
पहले जो माता-पिता बच्चों को भेजने में हिचकते थे, अब वे खुद बच्चों के उत्साह को देखकर खुश हैं. बच्चे जो पहले आंगनवाड़ी जाने से बचते थे, अब खुशी-खुशी वहां जा रहे हैं.

पोषण और स्वास्थ्य पर भी ध्यान
पढ़ाई के अलावा, अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बच्चों के पोषण और विकास की निगरानी में भी किया जाएगा. सरकार के पोषण ट्रैकर प्लेटफॉर्म से इस सिस्टम को जोड़ने की योजना है ताकि बच्चों को मिलने वाले भोजन और उनकी वृद्धि पर रियल टाइम में नजर रखी जा सके.

आगे क्या?
वडधामना में इस योजना की सफलता के बाद अब इसे जिले की 40 और आंगनवाड़ियों में शुरू करने की योजना है. हालांकि तकनीकी प्रशिक्षण और विस्तार की कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन यह प्रोजेक्ट दिखाता है कि गांवों के छोटे बच्चे भी अब डिजिटल और आधुनिक शिक्षा से जुड़ सकते हैं. यह पहल ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच की डिजिटल खाई को पाटने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

(इनपुट- योगेश पांडे)

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