Solar storm
Solar storm NASA ने Instagram पर यूजर्स के लिए एक अनोखा फिल्टर लॉन्च किया है. इस फिल्टर को इस्तेमाल करके आप आनोखी स्टोरी और रील्स बना सकते हैं, जो फॉलोवर्स को काफी पसंद आएंगी. इस फिल्टर को लगाने के बाद बैकग्राउंड में गैलेक्सी, स्टार, मिटीओर दिखाई देंगे. यह फिल्टर नासा के एक प्रोजेक्ट्स के अंडर Universe के जादू को इंस्टाग्राम पर दिखाने के लिए लॉन्च किया गया है. यह फिल्टर जिन फोटो को बैकग्राउंड में दिखाएगा वह स्पेस टेलीस्कोप और चंद्रा एक्स-रे द्वारा लिए गए हैं. यह फोटो अंतरिक्ष के अनोखे नज़ारों को दिखाता है. इस खास फिल्टर को 'Instagram Experience' नाम दिया गया है.
आइए बताते हैं कि कैसे इस्तेमाल करें इस खास फिल्टर को!
इस फिल्टर को इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले इंस्टाग्राम पर 'Instagram Chandra' को सर्च करें. इसके बाद इफेक्ट ऑप्शन में उस फिल्टर को चूज कर लें, जिसे आप इस्तेमाल करना चाहते हैं. अब आपका पंसदीदा फिल्टर सलेक्ट हो जाएगा, जिसके बाद फिल्टर सेव हो जाएगा. इसके बाद यूजर इस फिल्टर को इंस्टाग्राम स्टोरी या रील पर लगा सकते हैं. अगर झटपट तरीके से इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं तो उसका भी एक रास्ता है. इस फिल्टर के 'Try it' बटन पर क्लिक करने से फौरन फिल्टर अप्लाय हो जाएगा.
क्या खास है NASA के इस फिल्टर में?
इस फिल्टर में अंतरिक्ष में हुए विस्फोट की तबाही, धूल और गैस के गुबार, गैलेक्सियां दिखती हैं. इस फिल्टर को नासा के नामी एक्स-रे टेलीस्कोप 'चंद्रा' की 25वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए लॉन्च किया गया है. यह फिल्टर अंतरिक्ष में कैद में हुए ऑब्जेक्ट का 3D एक्सपीरिएंस देता है. इंस्टाग्राम, चंद्रा टेलीस्कोप द्वारा स्पेस में कैद हुए डाटा को फिल्टर का रूप देकर पेश कर रहा है. इसके साथ ही इस फिल्टर का इस्तेमाल करते हुए रील बनाते समय यूजर साथ में साउंड इफेक्ट भी डाल सकता है. अंतरिक्ष के जिस डाटा को कैद किया गया है उसको 'डाटा सोनिफिकेशन' की मदद से साउंड में बदला गया है.
आइए बताते हैं कि क्यों खास है 'चंद्रा'?
नासा का 'Chandra X-ray Observatory', ऐसा टेलीस्कोप है जो अंतरिक्ष के निकलने वाली एक्स-रे को कैद करता है. इसमें सितारों का टूटना, गैलेक्सियां, Black Hole के आस-पास होने वाली गतिविधियां शामिल हैं. चंद्रा टेलीस्कोप धरती से करीब 1.39 लाख किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष में ऑर्बिट करता है. चंद्रा एक्स-रे के कैद हुए डाटा को कैम्ब्रिज में स्थिक सेंटर में भेजा जाता है. जिसके बाद इस सेंटर से डाटा को विश्वभर के विज्ञानिकों तक पहुंचाया जाता है.