
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एशिया के सबसे बड़े फिनटेक इवेंट में भारत की नई डिजिटल क्रांति की शुरुआत की गई. इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा भी शामिल हुए. इस दौरान पूरा फोकस डिजिटल सुविधाएं बढ़ाने पर था. आम आदमी के जीवन को आसान और बेहतर बनाने के लिए कई बड़ी पहल की गई. इसमें से एक अहम और जरूरी बैंकिंग फ्रॉड का पता लगाने से जुड़ी है. सभी प्रमुख बैंक अब AI आधारित एक कॉमन फ्रॉड मॉनिटरिंग सिस्टम अपनाएंगे, जिससे बैंकिंग फ्रॉड को रोकने में मदद मिलेगी.
AI सिस्टम लगाएगा बैंकिंग फ्रॉड का पता-
कॉमन फ्रॉड मॉनिटरिंग सिस्टम असामान्य लेनदेन के पैटर्न को तुरंत पहचान लेगा. इतना ही नहीं, इसके बाद ये सिस्टम कस्टमर को संदिग्ध गतिविधियों के बारे में सतर्क भी करेगा. इससे कस्टमर को फ्रॉड का शिकार होने से बचाने में बड़ी मदद मिलेगी. इसके अलावा फिनटेक कंपनियां और बैंकों के लिए अनिवार्य वित्तीय साक्षरता इंडेक्स भी लागू करने की बात कही गई. इसका टारगेट 2 साल में 10 करोड़ लोगों को डिजिटल फ्रॉड से बचाना है.
क्या है फ्रॉड मॉनिटरिंग सिस्टम-
फ्रॉड मॉनिटरिंग सिस्टम फर्जीवाड़े का पता लगाने और उससे निपटने की एक तकनीक है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके लेनदेन और खातों की गतिविधियों पर नजर रखता है. यह डेटा का विश्लेषण करके संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करता है और सही समय पर धोखाधड़ी के खतरों से कस्टमर को आगाह करता है.
कैसे काम करता है सिस्टम?
फ्रॉड मॉनिटरिंग सिस्टम कई फेज में कस्टमर की गतिविधियों की जांच करता है. इसके बाद संदिग्ध गतिविधयों की पहचान करता है. ये सिस्टम ऑनलाइन सेशन, डिवाइस जानकारी, आईपी एड्रेस और कस्टमर के व्यवहार पैटर्न का विश्लेषण करता है. इतना ही नहीं, ये सिस्टम व्यवहार की प्रोफाइलिंग करता है. ये सिस्टम वास्तविक समय में डेटा का विश्लेषण करता है, ताकि धोखेबाजी के नुकसान से कस्टमर को बचाया जा सके. संदिग्ध गतिविधियों का पता चलते ही ये सिस्टम कस्टमर को अलर्ट करता है.
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