
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल रूस की यात्रा पर जा रहे हैं. इस दौरे के दौरान वे रूसी सरकार से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की बची हुई यूनिट्स की फास्ट डिलीवरी की बात कर सकते हैं. दरअसल भारत ने साल 2018 में रूस के साथ 5 यूनिट एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए 35 हजार करोड़ का समझौता किया था लेकिन रूस अब तक सिर्फ 3 यूनिट की ही डिलीवरी दे पाया है. 2 यूनिट की डिलीवरी अभी बाकी है.
डोभाल का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में टारगेटेड एयर स्ट्राइक्स की थीं. इस ऑपरेशन में भारत ने रूस के साथ मिलकर बनाई ब्रह्मोस मिसाइल का भरपूर इस्तेमाल किया.
इससे पहले रूस भारत को Su-57 भी ऑफर कर चुका है ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि भारत रूस के साथ एसयू-57 पर भी बात कर सकते है. इधर चीन पाकिस्तान को जे-35 ए फाइटर जेट का पहला बैच अगस्त तक डिलीवर कर सकता है वो भी 50 प्रतिशत की छूट के साथ. दोनों देशों के बीच कुल 40 विमान का सौदा हुआ है. चलिए जानते हैं दोनों विमानों की खासियत क्या है और दोनों में से बेहतर कौन सा है.
J-35A और Su-57 कौन किस पर भारी?
रूस का Su-57 और चीन का J-35A दोनों ही 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट हैं, जिनमें दुश्मन के रडार से बचने और एक साथ कई मिशन पूरे करने की क्षमता है.
Su-57 एक भारी और बड़ा फाइटर है. यह तेज रफ्तार से उड़ सकता है और ज्यादा हथियार लेकर लंबी दूरी तक जा सकता है. जबकि J-35A हल्का और छोटा है और छिपने की ताकत (स्टेल्थ) रखता है. इसे चीन ने खासतौर पर एयरक्राफ्ट कैरियर (जहाज से उड़ने वाले फाइटर) के लिए डिजाइन किया है.
स्पीड और ताकत में कौन आगे?
Su-57 की टॉप स्पीड Mach 2+ (लगभग 2,400 किमी/घंटा) है. इसमें थ्रस्ट वेक्टरिंग जैसे फीचर हैं जिससे ये हवा में कई चालें चल सकता है. जबकि J-35A की स्पीड थोड़ी कम है लेकिन इसकी स्टेल्थ और इलेक्ट्रॉनिक्स पर ज्यादा फोकस है. Su-57 रडार से कुछ हद तक बच सकता है, लेकिन इसका डिजाइन F-35 या J-35A जितना स्टेल्थ नहीं है. J-35A की बॉडी स्मूद है, इंजन ब्लेड छिपे हैं और दुश्मन को इसे पकड़ना मुश्किल होता है.
Su-57 ऑपरेशनल जबकि J-35A अभी टेस्टिंग में है
Su-57 भारी हथियार ले जा सकता है. लेकिन J-35A हल्का है, हथियार भी कम ले जाता है, लेकिन इन्हें चुपके से टारगेट तक ले जाना इसकी खासियत है. Su-57 ताकतवर है, तेजू से दुश्मन का खात्मा कर सकता है और लंबी दूरी तक मिशन कर सकता है. लेकिन इसकी स्टेल्थ कम है और प्रोडक्शन में धीमा चल रहा है. J-35A नया है, ज्यादा स्टेल्थ वाला है लेकिन अभी ट्रायल मोड में है.
रूस द्वारा विकसित Su-57 पहले से ही वायुसेना में शामिल किया जा चुका है. इसमें सुपरक्रूज की क्षमता है यानी यह बिना आफ्टरबर्नर के भी ध्वनि की गति से तेज उड़ सकता है. जबकि J-35A चीन द्वारा बनाया गया एक नया स्टेल्थ फाइटर है, जो अभी तक पूरी तरह ऑपरेशनल नहीं हुआ है और परीक्षण के दौर में है. इसका डिजाइन अमेरिकी F-35 से प्रेरित है, लेकिन इसमें कई तकनीकी सीमाएं हैं, जैसे इंजन की कम शक्ति और सुपरक्रूज की कमी.