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राजस्थान में अब AI से होगी खनिजों की तलाश, जानें क्या है सरकार का प्लान?

राजस्थान की सरकार ने अब खनिजों की तलाश यानी मिनरल सर्च के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI और मशीन लर्निंग को इस्तेमाल करने का फैसला किया है.

Govt. plans to search minerals with help of AI Govt. plans to search minerals with help of AI

राजस्थान को खनिज संपन्न राज्य माना जाता है. यहां जमीन के नीचे चूना, तांबा, बेस मेटल्स और लोहे जैसे कई जरूरी और कीमती खनिज छिपे हुए हैं. इनकी खोज और दोहन से राज्य की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा हो सकता है.

अब तक इस खोज का काम पारंपरिक तरीकों से होता था- मतलब इंसान, मशीनें और काफी समय इसमें जाया होता था. लेकिन अब AI की एंट्री के बाद ये काम तेज़ भी होगा, सटीक भी और किफायती भी.

आखिर ये AI काम कैसे करेगा?

  • राज्य सरकार ने एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है- भीलवाड़ा, भरतपुर और चित्तौड़गढ़ जिलों में.
  • यहां पर सबसे पहले सेटेलाइट से ली गई हाई-क्वालिटी इमेजेस का एनालिसिस किया जाएगा.
  • उसके बाद ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार यानी GPR टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा, जिससे जमीन के अंदर 100 मीटर से ज्यादा गहराई तक की जानकारी मिल सकती है.

इतना ही नहीं, भारत सरकार और राज्य सरकार की पुरानी रिपोर्ट्स, सर्वे डाटा और जियोलॉजिकल रिकॉर्ड्स को AI सिस्टम में डाला जाएगा. AI सारे डाटा को एक साथ प्रोसेस करेगा, और बताएगा कि किस जगह पर खनिज होने की सबसे ज्यादा संभावना है.

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इस पूरे प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रही है हैदराबाद की एक कंपनी- NPEA Critical Mineral Tracker. राज्य सरकार ने कंपनी को 45 दिन का समय दिया है ताकि वो अपनी फाइनल रिपोर्ट दे सके कि कहां कहां खुदाई करनी चाहिए.

क्या ये तरीका दुनिया में पहले कहीं अपनाया गया है?

जवाब है- हां
कनाडा में AI की मदद से नई माइनिंग साइट्स ढूंढी गईं हैं. ऑस्ट्रेलिया में मशीन लर्निंग और सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल करके लिथियम और कॉपर जैसे महंगे मिनरल्स की खोज हो रही है. अमेरिका में भी NASA जैसी एजेंसियां AI की मदद से पृथ्वी के अंदर छिपे मिनरल्स का मैप बना रही हैं. इन सभी देशों को इससे बड़ा फायदा हुआ है- काम तेज हुआ है, खर्चा घटा है, और खोज की सटीकता कई गुना बढ़ी है. 

राजस्थान में ये टेक्नोलॉजी पहली बार इस्तेमाल की जा रही है. राज्य के माइन्स और जियोलॉजी विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकांत का कहना है कि इससे समय और श्रम दोनों की बचत होगी, और जो रिजल्ट आएंगे वो वैज्ञानिक रूप से ज्यादा भरोसेमंद होंगे.

इसका सीधा फायदा किसको मिलेगा?

  • सरकार को- क्योंकि सही जगह खुदाई से राजस्व यानी कमाई बढ़ेगी
  • कंपनियों को- क्योंकि उन्हें सही लोकेशन पर काम करने में आसानी होगी
  • और सबसे ज़रूरी- आम लोगों को, क्योंकि इससे रोजगार भी बढ़ेगा और राज्य का विकास तेज़ होगा.

राजस्थान में कई मिनरल्स ऐसे हैं जिनकी जरूरत पूरी दुनिया को है- जैसे तांबा, लोहा और बेस मेटल्स. आने वाले समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और बैटरियों के लिए इन खनिजों की मांग और बढ़ने वाली है.

ऐसे में, अगर भारत अपने ही देश में इनकी खोज और खनन कर पाए, तो आत्मनिर्भर बनने की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा.

तो कुल मिलाकर बात ये है कि राजस्थान सरकार का ये फैसला सिर्फ एक टेक्नोलॉजी अपग्रेड नहीं, बल्कि डिजिटल इंडिया की दिशा में उठाया गया क्रांतिकारी कदम है. अगर ये प्रोजेक्ट सफल होता है, तो आगे आने वाले समय में देश के दूसरे राज्यों में भी इसी मॉडल को अपनाया जा सकता है.