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Representational Image Toyota Motor ने कहा है कि वह नेक्स्ट जनरेशन के इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के लिए सॉलिड-स्टेट बैटरी के उत्पादन की ओर बढ़ रही है. कंपनी एक ऐसी तकनीक ला रही है जो बाजार के करीब ज्यादा एनर्जी स्टोरेज और फास्ट चार्जिंग का वादा करती है.
क्या होती हैं सॉलिड स्टेट बैटरियां
सॉलिड-स्टेट बैटरियां ठोस इलेक्ट्रोलाइट्स की पतली परतों का उपयोग करती हैं जो इलेक्ट्रोड के बीच लिथियम आयन ले जाते हैं. लिथियम-आयन (ली-आयन) बैटरी व्यापक रूप से उपयोग में हैं, जो लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट्स का इस्तेमाल करती हैं.
पेसमेकर और स्मार्ट घड़ियों जैसे छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सॉलिड-स्टेट बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है. ईवी के लिए बैटरियों का बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन धीमा रहा है. टोयोटा ने कहा कि उन्होंने सॉलिड-स्टेट बैटरियों की ड्यूरेबिलिटी की परेशानी को दूर कर दिया है और इस कारण इनका उत्पादन हो सकते है, जिसके 2027-2028 में शुरू होने की उम्मीद है.
सॉलिड-स्टेट बैटरियों से क्या है फायदा
सॉलिड-स्टेट बैटरियां लिक्विड लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में ज्यादा एनर्जी स्टोर कर सकती हैं. यह एक ऐसा फायदा है जिससे रेंज से जुड़े ग्राहकों के संदेह को दूर करने में मदद मिलेगी और लोग आसानी से ईवी खरीद सकेंगे. मार्च में रॉयटर्स एजेंसी के एक पोल में पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल 35% अमेरिकी 500 मील या उससे ज्यादा (804 किमी या ज्यादा) की रेंज वाले ईवी चाहते थे, जो वर्तमान में बहुत कम दूरी की पेशकश करता है. चार्जिंग समय को कम करने के तरीके के रूप में सॉलिड-स्टेट बैटरियों को भी बढ़ावा दिया गया है.
टोयोटा ने कहा कि उसे उम्मीद है कि इसकी सॉलिड-स्टेट बैटरी का चार्जिंग टाइम 10 मिनट या उससे कम होगा. तुलना करें तो टेस्ला सुपरचार्जर नेटवर्क, अपनी तरह का सबसे बड़ा, 15 मिनट में 321 किमी चार्जिंग के बराबर प्रदान करता है. साथ ही, ये सुरक्षित भी हैं. क्योंकि लिक्विड लिथियम-आयन बैटरी में इलेक्ट्रोलाइट उच्च तापमान पर अस्थिर और ज्वलनशील होता है, जिसका अर्थ है कि आग या रासायनिक रिसाव का खतरा होता है.
मुश्किल है सॉलिड स्टेट बैटरियों का निर्माण
ऑटोमेकर्स और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने प्रोटोटाइप में ईवीएस के लिए सॉलिड-स्टेट बैटरी सेल्स का उत्पादन किया है, लेकिन अभी तक बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में असमर्थ रहे हैं.
एक सॉलिड इलेक्ट्रोलाइट को डिजाइन करना मुश्किल है क्योंकि यह स्टेबल है और रासायनिक रूप से निष्क्रिय है. लेकिन फिर भी इलेक्ट्रोड के बीच आयनों का एक अच्छा कंडक्टर है. इन्हें बनाना भी महंगा होता है और इनके टूटने का खतरा भी होता है. इसलिए सॉलिड-स्टेट बैटरियां लिक्विड लीथियम-आयन बैटरियों की तुलना में कहीं अधिक महंगी होती हैं.
ये कंपनियां बना रही हैं बैटरी