
मध्य प्रदेश के इंदौर में तीन टीनेजर्स- ध्रुव चौधरी, मिथ्रान लाधानिया और मृदुल जैन ने एक मिनी रेफ्रिजरेटर डिजाइन किया है जो नमक की मदद से खुद को ठंडा करता है और इसे बिजली की ज़रूरत नहीं होती. इसे ऐसे ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में चिकित्सा आपूर्ति पहुंचाने के लिए बनाया गया है जहां बिजली उपलब्ध नहीं है.
ध्रुव, मिथ्रान और मृदुल के पैरेंट्स मेडिकल फील्ड में काम करते हैं. उन्होंने अपने पैरेंट्स से सुना कि COVID-19 वैक्सीन को ऐसे ग्रामीण इलाकों में पहुंचाने में मुश्किल आई जहां बिजली की समस्या थी. यहां से उन्हें ऐसा कुछ बनाने की प्रेरणा मिली जो इन इलाकों में फायदेमंद हो. रिसर्च करने के बाद उन्होंने समझा कि वे नमक से चलने वाला फ्रिज बना सकते हैं. इस इन्वेंशन को उन्होंने Thermavault नाम दिया है.
सही ठंडा करने वाला नमक ढूंढना
कुछ नमक ऐसे होते हैं जो पानी में घुलने पर कूलिंग इफेक्ट पैदा करते हैं. जब ये नमक पानी में घुलते हैं, तो उनके आयन (charged atoms) अलग हो जाते हैं और इस प्रक्रिया में वे अपने चारों ओर के वातावरण से हीट खींचते हैं, जिससे पानी ठंडा हो जाता है.
इन तीनों दोस्तों ने इंटरनेट पर पहले लगभग 150 ऐसे नमकों की लिस्ट बनाई, फिर उनमें से 20 सबसे प्रभावी नमकों को चुना. उन्होंने Indian Institutes of Technology (IIT) की एक लैब में ट्रायल किया, लेकिन कोई भी नमक पर्याप्त ठंडा नहीं कर पाया. उन्हें फिर जीरो से शुरुआत करनी पड़ी. लेकिन फिर उनके टीचर ने दो विशेष नमक सुझाए: बैरीयम हाइड्रॉक्साइड ऑक्टा हाइड्रेट और अमोनियम क्लोराइड.
उन्होंने देखा कि अमोनियम क्लोराइड का इस्तेमाल करने पर तापमान 2 से 6 डिग्री सेल्सियस (35 से 43 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक बना रहता है, जो ज्यादातर वैक्सीन के लिए आइडियल है. बैरीयम हाइड्रॉक्साइड ऑक्टा हाइड्रेट मिलाने से तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, जो कुछ विशेष टीकों और ट्रांसप्लांट के ऑर्गन्स के लिए उपयुक्त है.
तीन महीने में बनाया प्रोटोटाइप
लगभग तीन महीने में उन्होंने एक प्रोटोटाइप बनाया और उसे स्थानीय अस्पतालों में परीक्षण के लिए दे दिया. रेफ्रिजरेटर एक इन्सुलेटेड प्लास्टिक कंटेनर है, जिसमें अंदर तांबे की परत होती है जहां टीके या ऑर्गन रखे जाते हैं. बाहरी प्लास्टिक दीवार और आंतरिक तांबे की परत के बीच का स्थान कूलिंग सॉल्यूशन (नमक-पानी घोल) से भरा जाता है.
पारंपरिक "कोल्ड बॉक्स" और "कूलेंट पैक" पहले से ही इस्तेमाल होते हैं, लेकिन वे बर्फ पर निर्भर करते हैं. इन टीनेजर्स का कहना है कि अमोनियम क्लोराइड का समाधान एक खास फायदा देता है- इसे बिना बिजली के भी बार-बार उपयोग किया जा सकता है.बर्फ बनाने के लिए फ्रीज़र की ज़रूरत नहीं होती. बस नमक-पानी के घोल को निकालें, पानी को उबाल कर वाष्पित करें, और बचे हुए ठोस नमक को फिर से इस्तेमाल करें.
जीता The Earth Prize Asia 2025
अपने इनोवेशन के लिए इन छात्रों ने The Earth Prize 2025 जीता है. इस पुरस्कार के तहत उन्हें 12,500 डॉलर (लगभग ₹10 लाख) की राशि मिली है, जिसे वे 200 रेफ्रिजरेटर बनाने और 120 अस्पतालों में ट्रायल के लिए भेजने में उपयोग करने की योजना बना रहे हैं. वे आशा करते हैं कि उनका यह रेफ्रिजरेटर वैक्सीन, अन्य दवाओं और यहां तक कि ट्रांसप्लांट अंगों के ट्रांसपोर्ट में मदद कर सकता है.
ध्रुव, मिथ्रान और मृदुल ने बताया कि वे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से "Performance, Quality and Safety" सर्टिफिकेट पाने की योजना बना रहे हैं, ताकि वे इसे Gavi (एक अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन वितरण संगठन) को पेश कर सकें. Earth Prize कार्यक्रम एक वॉलंटियर भी देता है जो उन्हें पेटेंट प्रक्रिया में मदद करेगा.