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पासवर्ड नहीं बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से कर सकेंगे वेबसाइट या ऐप लॉगिन, Google देगा अपने यूजर्स को एक्स्ट्रा सिक्योरिटी

गूगल अपने यूजर्स के लिए एक Passkey फीचर लॉन्च कर रहा है. इसकी मदद से लोग पासवर्ड का उपयोग करने के बजाय किसी भी वेबसाइट या ऐप में लॉग इन करने के लिए पिन या बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल कर सकेंगे.

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हाइलाइट्स
  • बहुत पहले से बनाई जा रही जा रही थी इसकी योजना 

  • ये सुविधा टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन से ज्यादा सुरक्षित है.

Google ने यूजर्स की सुरक्षा को और बढ़ते हुए  Android उपकरणों और Google Chrome के लिए एक नई सिक्योरिटी सुविधा लॉन्च की है. गूगल ने पासकी (passkey) सुविधा पेश की है. यह फीचर यूजर्स को पहले से ज्यादा सुरक्षा देगा. यूजर अब जल्द ही पासवर्ड का उपयोग करने के बजाय किसी भी वेबसाइट या ऐप में लॉग इन करने के लिए पिन या बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन उपयोग करके अपनी पहचान प्रमाणित कर सकेंगे. बता दें, कंपनी के मुताबिक ये सुविधा टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन से ज्यादा सुरक्षित है.

बहुत पहले से बनाई जा रही जा रही थी इसकी योजना 

बताते चलें कि इस साल मई की शुरुआत में, Apple, Google और Microsoft ने यूजर्स के लिए एक नॉर्मल बिना पासवर्ड वाला साइन-इन पेश करने का ऑप्शन रखा था. इसे वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम (W3C) और FIDO एलायंस ने 'पासकी' कहा है. हालांकि, यह सुविधा वर्तमान में केवल डेवलपर्स के लिए उपलब्ध है और Google इस साल के आखिर तक सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध करवाने की योजना बना रहा है. 

कैसे होगा सुविधा का इस्तेमाल?

गूगल का कहना है कि कोई भी एंड्रॉइड डिवाइस पर पासकी बनाया जा सकेगा. इसमें सिंकिंग जैसे मुद्दों की भी चिंता नहीं करनी होगी क्योंकि यह Google पासवर्ड मैनेजर के लिए बैकअप होगा. हालांकि, क्लाउड-सर्विस का बैकअप लेना जरूरी होगा. इसके पीछे का कारण है कि जब कोई यूजर किसी पुराने डिवाइस से डेटा को ट्रांसफर करके एक नया एंड्रॉइड डिवाइस सेट करता है, तो Google के अनुसार मौजूदा एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन Key सुरक्षित रूप से नए डिवाइस में ट्रांसफर हो जाएगी. 

यूजर केवल Google अकाउंट चुनकर और फिर प्रोसेस को पूरा करने के लिए अपने रजिस्टर्ड  फिंगरप्रिंट या फेस अनलॉक को वेरीफाई करके अपने एंड्रॉइड डिवाइस पर आसानी से पासकी बना सकेंगे. 

क्या है Passkey?

Google का कहना है कि कहता है, "पासकी एक क्रिप्टोग्राफिक प्राइवेट key है. ज्यादातर मामलों में, यह private key केवल यूजर्स के अपने डिवाइस जैसे लैपटॉप या मोबाइल फोन पर ही रहती है. जब कोई पासकी बनाई जाती है, तो ऑनलाइन सर्विस द्वारा केवल उसकी संबंधित Public Key स्टोर कर ली जाती है. लॉगिन के दौरान, ये सर्विस केवल पब्लिक की का इस्तेमाल करती है और सिग्नेचर को वेरीफाई करने के लिए प्राइवेट key का इस्तेमाल करती है. यह केवल यूजर के किसी एक डिवाइस से आ सकती है. इसके आलावा, यूजर को ऐसा करने के लिए अपने डिवाइस या क्रेडेंशियल स्टोर को अनलॉक करने की भी आवश्यकता होती है.