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CAT III Technology: वो तकनीक जिससे कोहरे में Airplane चलाने में मिलती है मदद

ये एक गाइडेंस सिस्टम है जो रेडियो सिग्नल और कभी-कभी हाई इंटेंसिटी लाइटिंग की मदद से विमानों को कम विजिबिलिटी होने पर भी लैंड करने में मदद करता है. घने कोहरे और खराब मौसम की स्थिति में विजिबिलिटी कम होने पर फ्लाइट आसानी से उतर सकती है.

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हाइलाइट्स
  • आता है करोड़ों का खर्चा

  • CAT III टेक्नोलॉजी की ली जाती है मदद 

घने कोहरे की वजह से सुबह दिल्ली हवाई अड्डे पर कम से कम 120 फ्लाइट में देरी हुई. खराब विजिबिलिटी के कारण 55 घरेलू और 17 इंटरनेशनल अराइवल और 39 घरेलू और 12 इंटरनेशनल  डिपार्चर में देरी हुई है.  हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है. हर साला दिसंबर और जनवरी में, घने कोहरे की वजह से कई फ्लाइट कैंसिल हो जाती हैं, जिसके कारण यात्रियों को समस्या का सामना करना पड़ता है.

CAT III टेक्नोलॉजी की ली जाती है मदद 

ऐसे में CAT III टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है. एयरपोर्ट पर CAT III के तहत फिर इन फ्लाइट को उड़ाया जाता है. ये एक तरह का नेविगेशन सिस्टम है जो न्यूनतम 50 मीटर की विजिबिलिटी के साथ लैंडिंग की अनुमति देता है. दिल्ली एयरपोर्ट ऑपरेटर दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने भी घोषणा की है कि जिन फ्लाइट में CAT III नहीं है, वे प्रभावित हो सकती हैं.

कैट III टेक्नोलॉजी क्या है?

दिल्ली में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट में एंटी-फॉग लैंडिंग सिस्टम लगा हुआ है, जिसे CAT IIIB इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) कहा जाता है. ILS एक गाइडेंस सिस्टम है जो रेडियो सिग्नल और कभी-कभी हाई इंटेंसिटी लाइटिंग की मदद से विमानों को कम विजिबिलिटी होने पर भी लैंड करने में मदद करता है. CAT III एक नेविगेशन सिस्टम है जो घने कोहरे और खराब मौसम की स्थिति में विजिबिलिटी कम होने पर फ्लाइट को उतरने में मदद करता है. 

आता है करोड़ों का खर्चा

बता दें, एक एयरपोर्ट पर CAT IIIB सिस्टम स्थापित करने की शुरुआती लागत 10 करोड़ रुपये तक जा सकती है और रखरखाव लागत मासिक आधार पर लगभग 50 लाख रुपये तक जा सकती है. कोलकाता हवाई अड्डे पर CAT IIIB सिस्टम 130 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है.

CAT III कैसे काम करता है?

सीएटी II सिस्टम में जब रनवे दिखाई नहीं देता है तब एक पायलट को सिग्नलिंग सिस्टम की मदद से जमीन से 100 फीट ऊपर तक निर्देशित किया जाता है. CAT III-B में, एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम के कारण एक विमान जमीन से 50 फीट ऊपर तक उतर सकता है. फिर पायलट अप्रोच और टचडाउन जोन-लाइटिंग सिस्टम को देखकर लैंड करता है. 

ये पूरा प्रोसेस ऑटोमेटेड होता है, साथ ही एक वॉयस प्रॉम्प्ट उलटी गिनती का उपयोग करके बताता है कि विमान रनवे से कितनी दूर है, फ्लैप को कब तैनात करना है और कब ब्रेक लगाने की जरूरत है.

इसलिए, जो फ्लाइट CAT IIIB के अनुरूप नहीं हैं, वे उन क्षेत्रों में नहीं चलाई जा सकती हैं जहां कोहरा या कम विजिबिलिटी है.