
सोशल मीडिया पर एक शब्द काफी समय से प्रचलित है और ये काफी भ्रमित करने वाला भी है. इसे "वेब 3.0" या "वेब3" भी कहा जाता है. कुछ लोगों द्वारा इस घटना को इंटरनेट के भविष्य के रूप में पेश किया जा रहा है. इससे वेब के विकेंद्रीकरण की शुरुआत होगी. मौजूदा समय में ज्यादातर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. आज लगभग पूरी दुनिया इस पर निर्भर है. शायद आपने इससे पहले कभी Web 3.0 का नाम न सुना हो. लेकिन आपको बता दें कि यह शब्द काफी समय से सुर्खियां बटोर रहा है और ये इंटरनेट से जुड़ा हुआ है.
आप और हममें से अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. बता दें कि हम जिस इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं वो वेब 2.0 है और इससे पहले पूरी दुनिया वेब 1.0 का इस्तेमाल कर रही थी. ये एप्लिकेशन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलते हैं. जब कोई यूजर किसी ऐप्लिकेशन से बाहर निकलना चाहता है, तो वह सिर्फ लॉग ऑफ करता है, अपने वॉलेट को डिस्कनेक्ट करता है, और अपना डेटा खुद के पास सेव कर लेता है.
क्या होंगे बदलाव?
वेब 3 के आने के बाद से हम और भी ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे. जब आप वेब 3.0 के जरिए इंटरनेट पर अपना कंटेंट डालेंगे तो इसके बदले में आपको एक डिजिटल टोकन मिलेगा. वेब 3.0 में कंटेंट का पूरा अधिकार आपके पास होगा और फेसबुक, ट्विटर जैसी कोई भी कंपनी अपनी मर्जी से कंटेंट नहीं हटा पाएंगी. एक्सपर्ट्स बतातें है कि ये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा, जहां सारा डेटा डिसेंट्रलाइज्ड होगा. दरअसल ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें आपका कंटेंट या डेटा किसी कंपनी के डेटाबेस में नहीं बल्कि आपके डिवाइस में सेव होगा. यानी कि अब आपके डेटा में कोई भी अपने हिसाब से चेंजस नहीं कर सकता है.
साल 1989 में जब वेब 1.0 आया था उस वक्त हम इंटरनेट पर मौजूद जानकरियों को सिर्फ पढ़ सकते थे. उस समय इंटरनेट पर सारा डेटा टेक्स्ट फॉर्म में था. इसके बाद वेब 2.0 आया और इसने कुछ बदलाव के साथ हमें पढ़ने के साथ-साथ सुनने और देखने का भी मौका दिया. हमारे ज्यादातर जरूरी काम इंटरनेट से पूरे होने लगे. अब वेब 3.0 के आ जाने से इंटरनेट पर एकाधिकार दिखाने वाली कंपनी जैसे गूगल, फेसबुक आदि अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं हटा पाएंगी.
कब तक आएगा वेब 3.0?
अभी इसकी कोई निश्चित टाइमलाइन नहीं है. यूजर्स ब्लॉकचेन का उपयोग करना जारी रखेंगे और डेवलपर्स इसके लिए उत्पाद बनाना जारी रखेंगे और एक दिन यह हर जगह उपलब्ध होगा. फिलहाल कई सारी वेब 3.0 क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है. डेवलपर्स वायरलेस इंटरनेट, नए ब्राउज़र, पीयर-टू-पीयर फ़ाइलों को साझा करने और बेहतर सामाजिक नेटवर्क के लिए प्रोटोकॉल और ऐप बना रहे हैं. कह सकते हैं कि एक डिसेंट्रलाइज्ड इंटरनेट के लिए नींव तैयार की जा रही है.