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डॉक्टर, थेरेपिस्ट और दोस्त की जगह ली एआई ने.. क्या है AI Psychosis? क्या है इसके नुकसान

एआई के बढ़ते इस्तेमाल के साथ लोगों का बिहेवियर बदलता जा रहा है. अब लोग रियल दुनिया से कटते हुए एआई की तरफ की ज्यादा बढ़ रहे हैं. वह उसी से चैट करते है, साथ ही उसी को किसी मामले का विशेषज्ञ मान बैठते हैं

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एआई की बढ़ती तेज़ रफ्तार के साथ लोगों का भी एआई के साथ संबंध बढ़ता जा रहा है. कुछ लोग जहां एआई से रेसिपि मांगते है, तो वहीं कुछ ऐसे भी है जो एआई से डॉक्टरी सलाह तक मांग बैठते हैं. लोगों और एआई के बीच बढ़ती बातचीत के बीच एक बड़े शख्स का बयान सामने आया है.

दरअसल माइक्रेसॉफ्ट एआई के सीईओ, मुस्तफा सुलेमान, ने एक बयान जारी किया है. हालांकि उन्होंने साप तौर पर कहा है कि यह उनकी निजी राय है और इसका कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन क्या कहा सुलेमान ने. 

बढ़ते संबंध को बताया खतरा..
जिस तरह एआई को लोग अपना थेरेपिस्ट, डायटिशीयन, डॉक्टर आदि के रूप में देख रहा है, उसको लेकर उन्होंने बात की. उन्होंने कहा कि लोग उस स्थिति में पहुंच चुके हैं, जहां वह जेनेरेटिव एआई को इंसानी रूप में देख रहे हैं. साथ ही मान रहे हैं कि एआई उनके इमोशन को समझ सकता है. उनकी परेशानी का हल दे सकता है. वह कहते हैं कि एक रूप से एआई इंसानों को असल दुनिया से काट रहा है.

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क्या होता है AI Psychosis?
दरअसल जब इंसान का दिमाग उस स्थिति में पहुंच जाता है कि वह एआई को इंसानी रूप समझने लगे, उसके साथ इमोशन जोड़े, साथ ही ऐसी बाते करे जो इंसान के साथ करनी चाहिए, तो इस स्थिति को AI Psychosis कहते हैं. यह स्थिति इंसानों को असल दुनिया से काट देती है. जैसे अगर किसी को डॉक्टर से मिलने की जरूरत है, तो वह परेशानी का हल एआई पर खोजता है. इंस्टाग्राम पर तो कई ऐसे एआई हैं जहां आप उनसे बात कर सकते हैं, और वह आपके सवालों का जवाब देंगे.  ऐसे में इंसान को दोस्त की कमी दूर हो जाती है.

क्या है खतरा
यहां खतरा यहा है कि जो भी बात कोई एआई बताता है वह एक तरह से संभावित होती है. एआई के मामले में चूक होना बहुत लाज़िम सी बात है. एआई को अभी यह इतना ज्यादा नहीं बता कि बात करने के दौरान उसे किसी इंसान को किन बातों के बारे में नहीं बताना चाहिए. उदहारण के तौर पर अगर कोई किसी एआई को डॉक्टर समझ किसी चीज़ की दवा का नाम पूछता है, और एआई बता देता है, तो हो सकता है कि वह दवा से उसे नुकसान हो जाए. इसलिए बेहतर होता है कि इंसान एआई पर कम आधारित रहते हुए असल दुनिया में रहे.