उत्तराखंड
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2025-26 की राजस्व समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने ग्रीन सेस को लेकर बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि ग्रीन सेस को फरवरी 2024 में लागू करने की घोषणा की गई थी और इसके लिए दरों में संशोधन भी किया गया, लेकिन अब तक यह योजना जमीन पर नहीं उतर पाई. इस देरी के कारण राज्य को करीब 100 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है. सरकार अब इस योजना को जल्द लागू करने की तैयारी में है, ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ राजस्व में भी बढ़ोतरी हो सके.
किस वाहन पर कितना लगेगा ग्रीन सेस?
सरकार ने ग्रीन सेस की दरें वाहन के वजन और कैटेगरी के अनुसार तय की हैं.
एक दिन से लेकर एक साल तक की छूट का ऑप्शन
ग्रीन सेस की एक बार दी गई फीस पूरे दिन के लिए मान्य होगी. सरकार ने लंबी अवधि की सुविधा भी दी है. 20 गुना ग्रीन सेस एक साथ देने पर तीन महीने की वैधता, 60 गुना ग्रीन सेस देने पर एक साल तक की छूट मिल सकेगी. इससे नियमित यात्रा करने वाले वाहन चालकों को राहत मिलेगी.
FASTag से होगा ग्रीन सेस का भुगतान
बाहर से आने वाली गाड़ियों से ग्रीन सेस FASTag के जरिए लिया जाएगा. इसके लिए उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से लगी सीमाओं पर 10 बॉर्डर चेक पोस्ट तैयार किए जा चुके हैं, जबकि 6 अन्य चेक पोस्ट पर काम जारी है. मेजर बॉर्डर्स पर लगे NPR कैमरों के माध्यम से सीधे FASTag से ग्रीन सेस कटेगा, जिससे प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी होगी.
पर्यावरण संरक्षण में होगा इस्तेमाल
सरकार को इस योजना से हर साल करीब 50 करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद है. इस राशि का उपयोग पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और अन्य विकास कार्यों में किया जाएगा. कुल मिलाकर, ग्रीन सेस न केवल राजस्व बढ़ाने की पहल है, बल्कि आने वाले समय में हरित और स्वच्छ परिवहन व्यवस्था की दिशा में भी एक अहम कदम माना जा रहा है.
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