scorecardresearch

Solo Traveller: 17 साल के लड़के ने 80 दिन में की 20 राज्यों समेत नेपाल और भूटान की यात्रा... खर्च हुए सिर्फ 28 हजार रुपये

केरल में देवगिरी के सवियो हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 12वीं के छात्र अबिन बाबू ने सोलो ट्रेवलिंग करके आज हर बच्चे के लिए मिसाल पेश की है.

Abin Babu (Photo: Instagram/@solo.tramper) Abin Babu (Photo: Instagram/@solo.tramper)

एक्टर पंकज त्रिपाठी ने एक पॉडकास्ट में बात करते हुए कहा था कि हर बच्चे को 12वीं के बाद देश घूमना चाहिए. वह लोकल ट्रेन में, स्लीपर में, कम से कम पैसों में पूरा भारत घूमे. बहुत सस्ता है इस देश में घूमना. पंकज त्रिपाठी की इस बात को सही साबित कर रहा है केरल का एक 17 साल का लड़का. केरल में देवगिरी के सवियो हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 12वीं के छात्र अबिन बाबू ने सोलो ट्रेवलिंग करके आज हर बच्चे के लिए मिसाल पेश की है. 

उन्होंने 80 दिनों में 20 राज्य घूमे हैं, नेपाल और भूटान की यात्रा की है. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने ट्रिप की कोई प्लानिंग नहीं की, कोई बस या ट्रेन टिकट नहीं ली और न ही कोई होटल बुक किया. अबिन ने हिचहाइकिंग ट्रेवल की. हिचहाइकिंग का मतलब है दूसरों से लिफ्ट मांग-मांग कर अपनी यात्रा करना. उन्होंने लॉरियों, जीपों और यहां तक ​​कि बाइक-स्कूटी पर फ्री-राइड करके यात्रा की. 

कितने पैसे हुए खर्च 

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वेल्लीमदुकुन्नू के मूल निवासी, अबिन (17) ने 80 दिनों में 20 भारतीय राज्यों के साथ-साथ नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों की यात्रा की. अबिन ने पूरी यात्रा के लिए सिर्फ 28,000 रुपये खर्च किए. इसमें एयर टिकट के 3000 रुपये भी शामिल हैं, जो उन्होंने मुंबई से बेंगलुरु तक की हवाई टिकट खरीदने में खर्च किए. यह भी उन्होंने सिर्फ इसलिए किया क्योंकि वह एयरोप्लेनमें बैठना चाहते थे. 

कहां रुके, कहां खाया 

अबिन ने ट्रेवलिंग और रहने पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च नहीं किया. अबिन का कहना है कि उनका सबसे ज्यादा खर्च खाने पर हुआ. इसमें भी कई जगह उन्हें फ्री फूड ऑप्शन मिले जैस वाराणसी में अन्नपूर्णा रसोई. उन्होंने रहने का खर्च बचाने के लिए पेट्रोल स्टेशनों और यहां तक ​​कि पुलिस स्टेशन परिसर में भी टेंट लगाया. इससे उन्हें कम खर्च में नेपाल की यात्रा करने का आत्मविश्वास मिला. 

कहां-कहां की यात्रा की 

अबिन ने 28 मार्च को अपनी यात्रा शुरू की, वे वायनाड से पलयालम के बाजार में सब्जियां लाने वाली जीप में सवार हुए. वायनाड से वे एक ट्रक में बेंगलुरु गए. 19 जून को कोझिकोड लौटने से पहले उन्होंने हैदराबाद, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, कोलकाता, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, भूटान, सिक्किम, दार्जिलिंग, नेपाल, वाराणसी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, नई दिल्ली और मुंबई की यात्रा की. 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Abin (@solo.tramper)

कैसे कमाए पैसे 

अबिन बाबू कहते हैं कि नेपाल में माउंट अन्नपूर्णा (दुनिया का दसवां सबसे ऊंचा पर्व) के बेस कैंप से साहसिक ट्रैकिंग इस यात्रा का सबसे अद्भुत अनुभव था. जब उनके पास पैसे खत्म हो गए, तो उन्होंने बाकी ट्रेवल के लिए हिमाचल प्रदेश के एक रिसॉर्ट में दो सप्ताह तक काम किया. वह पाकिस्तान भी ट्रेवल करना चाहते थे, लेकिन उस समय भारत-पाक के हालातों को दखते हुए उन्होंने यह आइडिया छोड़ दिया. 

कैसे मिली सोलो ट्रेवलिंग की प्रेरणा 

अबिन इंजीकलवेटिल बाबू थॉमस और लिसी बाबू के बेटे हैं. ऑगस्टीन बाबू उनके भाई हैं. अबिन ने एक इंटरव्यू में बताया कि एक बार उनके पिता बीमार थे और बंगलुरु में एक अस्पताल में भर्ती थे. तब वह पहली बार अकेले बंगलुरु गए थे. यह अनुभव मजेदार रहा. इसके बाद, उन्होंने 10वीं क्लास के बाद अपनी पहली सोलो ट्रेवल की. शुरुआत में, पैरेंट्स को मनाना मुश्किल था लेकिन अबिन की जिद के आगे वे मान गए. इस यात्रा के लिए आधे पैसे उनके माता-पिता ने दिए तो आधे उन्होंने खुद कमाए. उन्होंने अपनी ट्रिप के लिए पैसे जुटाने के लिए छुट्टियों में एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में काम किया.