Holi Celebrations in Jaipur (Photo: AI Image)
Holi Celebrations in Jaipur (Photo: AI Image) वैसे तो भारत में परंपरा है कि त्योहार लोग अपने घरों में ही मनाते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में कुछ त्योहारों को लेकर लोगों का नजरिया बदलने लगा है. अब कुछ त्योहारों पर लोग ट्रिप प्लान करते हैं और अनोखे डेस्टिनेशन्स पर त्योहार मनाते हैं. इनमें होली सबसे पॉपुलर फेस्टिवल है जिसे लोग कुछ खास जगहों पर जैसे मथुरा-वृंदावन, जयपुर, उदयपुर या हम्पी आदि में मनाना चाहते हैं.
आपको बता दें कि इन जगहों पर होली का त्योहार सिर्फ यहां के लोगों के लिए नहीं बल्कि दुनियाभर से आने वाले टूरिस्टों के लिए खास होती है. राजस्थान का गुलाबी शहर होली पर हर किसी को रंगों से सरोबार कर देता है. अगर इस होली पर आप कुछ अलग करना चाहते हैं तो जयपुर की ट्रिप प्लान कर सकते हैं. यहां की होली का अनुभव आप जिंदगीभर नहीं भुलेंगे.
होलिका दहन से शुरू होता है उत्सव
होली का उत्सव होलिका दहन के साथ शुरू होता है. पहले दिन संध्या समय में होलिका दहन होता है और फिर दूसरे दिन रंगों के साथ होली मनाते हैं जिसे धूलैंडी भी कहा जाता है. जयपुर में होलिका दहन का आयोजन सिटी पैलेस के पास किया जाता है. बहुत से लोग यहां इकट्ठा होकर बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक होलिका दहन को देखते हैं. जयपुर का राजपरिवार सिटी पैलेस में होली भी मनाता है और यहां पर टूरिस्ट भी होली खेलते दिखते हैं. जयपुर सिटी पैलेस की होली देखने लायक होती है.
मंदिरों में होता है फाग उत्सव
जयपुर में कोई भी त्योहार भगवान गोविंद देवजी की पूजा से शुरू होता है. होली भी इस मंदिर से शुरू होती है और इसे फाग उत्सव कहा जाता है. बताया जाता है कि फाग उत्सव गोविंद देव जी मंदिर में कुछ हफ्तों तक चलता है. इस उत्सव का नाम हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने के नाम पर रखा गया है. उत्सव में कलाकार भक्तिपूर्ण होली गीत गाते हैं, नृत्य और नाटक करते हैं.
यह पूरा भव्य आयोजन भगवान कृष्ण और राधा रानी को समर्पित होता है. मंदिर में अलग-अलग दिनों पर फूलों वाली, गुलाल वाली और लठमार होली भी खेली जाती है. जयपुर के लगभग सभी मंदिरों में "फाग" का महीना मनाते हैं. बृजनिधि मंदिर, गलता जी मंदिर और मोती डूंगरी गणेश जी मंदिर आदि में भी यह उत्सव खूब जोर-शोर से मनाया जाता है.
गुलाल गोटा से होली खेलते हैं शाही परिवार
जयपुर में होली से जुड़ी एक और खास परंपरा है और वह है गुलाल गोटा की. इतिहासकारों की मानें तो जयपुर में गुलाल गोटा से होली खेलने की परंपरा बहुत है. पुराने जमाने में राजा जनता के साथ होली खेलने के लिए गुलाल गोटे का प्रयोग करते थे. होली के त्योहार पर राजा हाथी पर सवार होकर जयपुर की सड़कों पर जुलूस निकालते थे और सड़क के दोनों ओर जमा भीड़ पर गुलाल गोटा फेंकते थे. आपको बता दें कि गुलाल गोटा कलर्ड बम के जैसा है.
इसे आप किसी पर फेकों तो यह फूट जाता है और इसमें भरा रंग उस इंसान पर गिरता है. गुलाल गोटा जयपुर की अनूठी शिल्पकलाओं में से एक है. यह वैक्स से बनाया जाता है. वैक्स की कास्टिंग में गुलाल भरा जाता है और इसे अगर किसी पर फेंको या इसे दबाओ तो यह टूट जाता है और अंदर भरा रंग आप पर गिर जाता है. जयपुर राजपरिवार बड़े पैमाने पर गुलाल गोटे का करता था. गुलाल गोटा लाख की चूड़ियां बनाने वाले कारीगरों बनाते हैं. जयपुर राजघराने की इस परंपरा को कई कारीगर परिवार आज भी सहेज रहे हैं. त्रिपोलिया बाजार की आपको यह मिल जाएगा.
होली पर लगता है Elephant Festival
राजस्थान के इस गुलाबी शहर में होली के अवसर एक और खास उत्सव होता है. इस उत्सव का नाम है Elephant Festival. दुनियाभर में प्रसिद्ध यह उत्सव दर्शकों के लिए बहुत शानदार होता है. इसमें मादा हाथियों को आभूषणों से सजाया जाता है और उन्हें परेड, हाथी पोलो और हाथी डांस जैसे अलग-अलग गतिविधियों में शामिल किया जाता है. हाथी जब चलते हैं तो उस समय उनके आभूषणों की झनकार, और रंग-बिरंगे दृश्य माहौल को खुशनुमा बना देते हैं.
इस फेस्टिवल में भारत के सभी हिस्सों के साथ-साथ विदेशों से भी लोग शामिल होने आते हैं. होली पर यह उत्सव सवाई मानसिंह स्टेडियम के सामने स्थित पोलो मैदान में मनाया जाता है. आपको बता दें कि हाथी हमेशा से ही राजवाड़ों और शाही परिवारों का अटूट हिस्सा रहे हैं और आपको यहां पर इसकी एक झलक मिलेगी.