
पिछले 24 घंटों में आइसलैंड (Iceland) में 2200 भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं. ये भूकंप राजधानी रेक्जाविक (Reykjavik) में आए हैं. आइसलैंडिक मौसम विज्ञान कार्यालय (IMO) के मुताबिक, माउंट फाग्राडल्सफजाल (Mount Fagradalsfjall) के नीचे शाम 4 बजे के आसपास झटके शुरू हुए थे. आइसलैंड के मौसम कार्यालय ने चेतावनी दी कि यह एक संकेत है कि ज्वालामुखी विस्फोट काफी खतरनाक हो सकता है. मौसम विभाग ने कहा, "लगभग 2,200 भूकंपों का पता लगाया गया है और सबसे बड़े भूकंप आइसलैंड के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में महसूस किए गए हैं."
इससे पहले भी हो चुका है ऐसा
आइसलैंड यूरोप का सबसे बड़ा और सबसे सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्र है. उत्तरी अटलांटिक द्वीप मध्य-अटलांटिक रिज तक फैला हुआ है. ये वो इलाका है जो यूरेशियन और उत्तरी अमेरिकी टेक्टोनिक प्लेटों को अलग करता है. हालांकि, इससे पहले अप्रैल 2010 में, आईजफजल्लाजोकुल ज्वालामुखी के बड़े पैमाने पर विस्फोट के बाद, 100,000 फ्लाइट रद्द कर दी गई थीं, जिससे 1 करोड़ से अधिक यात्री फंसे हुए थे. इसके अलावा, साल 2021 और 2022 दोनों में भी माउंट फाग्राडल्सफजाल के पास लावा निकला था.
चीन में आया था सबसे खतरनाक भूकंप
गौरतलब है कि दर्ज इतिहास में सबसे घातक भूकंप 1556 में चीन में आया था. इस विनाशकारी भूकंप को शानक्सी भूकंप या हुआक्सियन भूकंप के रूप में जाना जाता है. इसका असर मिंग राजवंश के दौरान 23 जनवरी, 1556 में शानक्सी इलाके पर हुआ था. इतना ही नहीं भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर लगभग 8.0 आंकी गई थी. अनुमान है कि इस आपदा में लगभग 8 लाख (800,000) लोगों की जान चली गई थी. ये इतना खतरनाक था कि इसका असर एक विशाल क्षेत्र पर महसूस किया गया, जिससे आसपास के कई शहर और कस्बे प्रभावित हुए. माना जाता है कि भूकंप का केंद्र हुआक्सियन काउंटी में था, जहां सबसे ज्यादा मौतें हुई थीं.
तबाही लेकर आया ये भूकंप
इस भूकंप के परिणामस्वरूप इमारतें, घर और बुनियादी ढांचे ढह गए, जिससे बड़े स्तर पर तबाही हुई. इस घटना ने उस समय के कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड और दस्तावेज तक नष्ट कर दिए थे. इसके अलावा, शानक्सी भूकंप का असर पड़ोसी राज्यों में भी महसूस किया गया. इसके कारण भूस्खलन, यहां तक कि नदियों के रास्ते में भी बदलाव आ गया था. ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि आपदा के प्रभावित क्षेत्रों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर दूरगामी परिणाम हुए थे. शानक्सी भूकंप में गई जाने इस बात का सबूत है कि ये इतिहास की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है.