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Snatch and Grab: अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कर सकता है कब्जा! जानिए क्या होता है लूज़ न्यूक्स और किन हालात में अमेरिका लागू कर सकता है यह प्लान

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने भले ही भारत के खिलाफ अपने न्यूक्लियर हथियार इस्तेमाल करने की बात अब कही हो, लेकिन अमेरिका पाक के इस घातक हथियार को लेकर एक दशक से ज़्यादा समय से चिंतित है. इसी वजह से अमेरिका ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियार छीनने का एक खास प्लान भी तैयार किया हुआ है.

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच सरगर्मियां बढ़ गई हैं. पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच सरगर्मियां बढ़ गई हैं.
हाइलाइट्स
  • पाक के परमाणु हथियारों को 'लूज़ न्यूक्स' मानता है अमेरिका

  • खास हालात बने तो लागू कर सकता है 'स्नैच एंड ग्रैब' प्लान

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जैसे ही भारत-पाकिस्तान के बीच सरगर्मियां तेज़ हुईं, पाकिस्तान ने अपने एटमी बाज़ू दिखाना शुरू कर दिया. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने हाल ही में कहा था कि अगर पाकिस्तान के अस्तित्व को खतरा हुआ तो वे परमाणु बम के इस्तेमाल में ज़रा भी नहीं हिचकिचाएंगे. 

आसिफ बंद लफ्ज़ों में भारत के ऊपर परमाणु बम इस्तेमाल करने की बात कर रहे थे. भारत को दी गई इस धमकी में भले ही कोई दम न हो, लेकिन अमेरिका लंबे वक्त से पाकिस्तान के परमाणु बम को एक खतरा मानता है. अमेरिका के अनुसार पाकिस्तान के परमाणु बम 'लूज़ न्यूक्स' हैं, जिन्हें ज़रूरत पड़ने पर वह छीन भी सकता है. 

ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु बमों को खतरा क्यों समझता है. 'लूज़ न्यूक्स' क्या होते हैं. और अमेरिका के पास पाकिस्तान के परमाणु बम 'छीनने' की क्या रणनीति है. आइए एक-एक करके डालते हैं इन सभी सवालों के जवाबों पर नज़र

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पाकिस्तान के 'लूज़ न्यूक्स' से क्यों चिंतित अमेरिका
सबसे पहले समझ लेते हैं कि लूज़ न्यूक्स (Loose Nukes) क्या होते हैं. अंग्रेज़ी का यह टर्म ऐसे परमाणु हथियारों के लिए इस्तेमाल होता है जो आतंकवादियों या अपराधियों के हाथ लग सकते हैं. यानी खतरे के क्षेत्र में होते हैं. इस टर्म का इस्तेमाल सबसे पहले सोवियत यूनियन के परमाणु हथियारों के लिए हुआ था. दरअसल 1991 में पतन से पहले सोवियत यूनियन के पास 27,000 न्यूक्लियर हथियार थे. 

उसके पास करीब 50,000 न्यूक्लियर हथियार बनाने के लिए पर्याप्त प्लूटोनियम और यूरेनियम भी था. ऐसे में जब सोवियत संघ का पतन हुआ तो इन हथियारों के गलत हाथों में पड़ने का खतरा पैदा हुआ. रूस और अन्य सोवियत देशों की आर्थिक तंगी, बढ़ता अपराध और भ्रष्टाचार तो चिंता का विषय था ही, कई ऐसे परमाणु वैज्ञानिक भी थे जिन्हें पैसे का लालच देकर उनसे काम लिया जा सकता था. 

भविष्य में हालांकि यूक्रेन, बेलारूस और कज़ाकस्तान ने सभी सोवियत परमाणु हथियार रूस को लौटा दिए. अब तक रूस के कोई भी परमाणु हथियार गायब होने की कोई खबर भी नहीं आई है.

अब बात करते हैं पाकिस्तान की. दक्षिण एशिया में मौजूद इस छोटे से देश ने परमाणु ताकत कुछ दशक पहले ही हासिल की है लेकिन इसकी लचर सुरक्षा व्यवस्था कई विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण है. पाकिस्तान में आंतकवादी संगठनों की भी कमी नहीं है. ऐसे में यह डर हमेशा बना रहता है कि ये परमाणु हथियार अगर लश्कर-ए-तैयबा जैसे किसी संगठन के हाथ लग गए तो अंजाम बुरा हो सकता है.

क्या अमेरिका के पास है कोई नीति?
अमेरिका ने पाकिस्तान को उसकी परमाणु सुरक्षा व्यवस्था सुधारने में मदद देने का प्रस्ताव तो दिया ही है, लेकिन उसने खास हालातों के लिए एक 'स्नैच एंड ग्रैब' प्लान भी तैयार किया है. इस प्लान के तहत अमेरिका तीन परिस्थितियों में पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियार 'छीन' सकता है. दरअसल पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों से जुड़ी अमेरिका की चिंता एक दशक से भी ज़्यादा पुरानी है. 

अमेरिकी न्यूज़ चैनल एनबीसी न्यूज़ ने 2011 में एक रिपोर्ट में बताया था कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति को लगता है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार उनके देश के लिए खतरा हैं, तो वह अपने खास प्लान का इस्तेमाल कर सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार अगर पाकिस्तान में आंतरिक अराजकता फैल जाए, आतंकवादी किसी परमाणु संयंत्र पर गंभीर हमला करें, भारत के साथ पाकिस्तान की दुश्मनी गंभीर हो जाए या इस्लामी चरमपंथी सरकार या पाकिस्तानी सेना पर नियंत्रण कर लें तो अमेरिका उससे परमाणु हथियार 'छीन' सकता है.

स्नैच एंड ग्रैब पर क्या कहता है पाकिस्तान?
साल 2011 में एनबीसी न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने चेतावनी दी थी कि 'स्नैच एंड ग्रैब' की कार्रवाई से दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ सकता है. पाकिस्तान के सबसे प्रसिद्ध परमाणु विज्ञान विशेषज्ञ और मानवाधिकार अधिवक्ता परवेज हुडबॉय ने भी कहा है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नियंत्रण करने का अमेरिकी प्रयास बेवकूफी भरा होगा. 

उन्होंने कहा, "कहा जाता है कि वे (परमाणु हथियार) पहाड़ों के नीचे सुरंगों, शहरों में और नियमित वायुसेना और सेना के ठिकानों में छिपे हुए हैं. अमेरिका की स्नैच एंड ग्रैब की कार्रवाई से युद्ध छिड़ सकता है. ऐसा कभी नहीं किया जाना चाहिए." पाकिस्तान भले ही कड़े शब्दों में इसकी मुखालिफत करता हो, लेकिन अमेरिकी आलाकमान के बंद कमरों में इस नीति तैयार हो चुकी है.