
इजरायल ने 8 सितंबर और 10 सितंबर के बीच 6 इस्लामिक देशों पर हमले किए. इजरायल ने यमन, कतर, लेबनान, सीरिया, गाजा और ट्यूनीशिया में हमले किए. इसके बाद इस्लामिक देशों ने आपातकालीन बैठक बुलाई. इसमें मुस्लिम देशों ने NATO की तरह सैन्य गठबंधन बनाने को लेकर बातचीत की.
जॉइंट अरब फोर्स या अरब यूनिफाइड आर्मी-
मु्स्लिम देशों की बैठक में मिस्र ने NATO जैसा सैन्य संगठन बनाने का प्रस्ताव दिया. इस संगठन की अध्यक्षता पर मिस्र ने सुझाव दिया कि अरब लीग के 22 देशों में बारी-बारी से इसकी अध्यक्षता सौंपी जाएगी. इसका पहला अध्यक्ष मिस्र होगा. इस संगठन को जॉइंट अरब फोर्स या अरब यूनिफाइड आर्मी कहा जाएगा.
किसी देश पर हमला होने पर क्या होगा?
नाटो के किसी मेंबर पर हमला सभी देशों पर हमला माना जाएगा. नाटो का आर्टिकल 5 कहता है कि अगर किसी नाटो देश पर कोई हमला होता है तो ये सभी देशों पर हमला होगा और सभी मिलकर इसका जवाब देंगे. लेकिन जॉइंट अरब फोर्स में कुछ अलग नियम होगा. इसके मुताबिक अगर इस संगठन के किसी देश पर हमला होता है तो सदस्य देशों और सैन्य नेतृत्व की सलाह पर मिलिट्री का इस्तेमाल किया जाएगा.
कैसे काम करेगा जॉइंट अरब फोर्स-
जॉइंट अरब फोर्स का पहला अध्यक्ष मिस्र होगा. प्रस्ताव है कि इसमें आर्मी, एयरफोर्स और कमांडो यूनिट में तालमेल बनाया जाएगा. इसमें सभी देशों की आर्मी ट्रेनिंग, लॉजिस्टिक्स और मिलिट्री सिस्टम को इंटीग्रेट किया जाएगा. लेबनान के अल अखबार के मुताबिक मिस्र ने प्रस्ताव में कहा है कि वो इस गठबंधन में 20 हजार सैनिक देगा.
अरब देशों ने पहले भी की है कोशिश-
मुस्लिम देशों ने सैन्य संगठन बनाने की कोशिश पहली बार नहीं की है, इससे पहले भी कई बार कोशिश हो चुकी है. लेकिन उसका कोई खास असर नहीं दिखा है. साल 2015 में सऊदी अरब ने इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेररिज्म कोलिशन (IMCTC) शुरू किया. जिसमें 43 देश शामिल हैं. इसमें पाकिस्तान भी हैं. लेकिन इस संगठन में नाटो जैसा आर्टिकल 5 नहीं है.
साल 2015 में OIC ने जॉइंट काउंटर-टेरर फोर्स बनाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन इसपर कोई एक्शन नहीं हुआ. इससे पहले अरब देशों ने साल 1955 में एक सैन्य संगठन बनाया था. जिसे बगदाद संधि के नाम से जाना जाता था. इसका फॉर्मल नाम सेंट्रल ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन या सेंटो है. इसमें इराक, ईरान, पाकिस्तान, तुर्की और यूनाइटेड किंगडम शामिल थे. यह संगठन 70 के दशक में खत्म हो गया.
5 ताकतवर मुस्लिम देश-
नाटो जैसा सैन्य संगठन बनाने की चर्चा के बीच ये सवाल उठ रहा है कि आखिर मुस्लिम देशों के पास कितनी सैन्य ताकत है. चलिए आपको कुछ बड़े मुस्लिम देशों की सैन्य ताकत के बारे में बताते हैं.
तुर्किये दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी ताकत-
ग्लोबल फायरपावर की साल 2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक तुर्किये दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी ताकत है. उसका फायर पावर इंडेक्स स्कोर 0.1902 है. तुर्किये के पास 3 लाख 55 हजार 200 एक्टिव सैनिक हैं. जबकि 3 लाख 78 हजार 700 रिजर्व सैनिक हैं. तुर्किये का सैन्य खर्च 40 बिलियन डॉलर है. तुर्किये के पास पनडुब्बी और एयरक्राफ्ट कैरियर भी हैं. तुर्किए ने घातक ड्रोन भी विकसित किए हैं.
ईरान के पास भी बड़ी ताकत-
ईरान इस लिस्ट में 16वें नंबर पर है. ईरान का फायर पावर इंडेक्स स्कोर 0.3048 है. ईरान के पास 5 लाख एक्टिव सैनिक और 2 लाख रिजर्व बल हैं. ईरान के पास कई घातक बैलिस्टिक मिसाइल्स भी हैं. ईरान की ड्रोन क्षमता जबरदस्त है. ईरान के पास बड़ी संख्या में प्रॉक्सी मिलिशिया भी हैं. ईरान की एयरफोर्स काफी कमजोर है.
मिस्र भी एक बड़ी ताकत-
ग्लोबल फायरपावर की साल 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक इजिप्ट दुनिया की 19वीं सबसे बड़ी ताकत है. इजिप्ट का फायर पावर इंडेक्स स्कोर 0.3427 है. इजिप्ट के पास 4.4 लाख एक्टिव जवान हैं. जबकि 4.8 लाख रिजर्व जवान हैं. इजिप्ट के पास आधुनिक हथियार भी हैं. उनके पास F-16 और MiG 29 जैसे घातक फाइटर जेट हैं. इजिप्ट के पास पनडुब्बियां और हेलिकॉप्टर कैरियर भी हैं.
सऊदी अरब के पास हथियारों का जखीरा-
सऊदी अरब के पास भी हथियारों का जखीरा है. ग्लोबल फायरपावर की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब दुनिया की 24वीं सबसे ताकतवर मिलिट्री है. इस देश का फायर पावर इंडेक्स स्कोर 0.4201 है. सऊदी अरब के पास 2.3 लाख एक्टिव सैनिक और 2.5 लाख अर्धसैनिक बल हैं. सऊदी अरब के पास अमेरिका से खरीदे गए घातक हथियार हैं.
इराक के पास कितनी ताकत?
ग्लोबल फायरपावर की साल 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक इराक भी एक ताकतवर देश है. ताकत के मामले में इराक का दुनिया में 43वां नंबर है. इराक के पास 2 लाख एक्टिव सैनिक हैं. जबकि 1.2 लाख पैरामिलिट्री हैं. एयरफोर्स के पास एफ-16 जैसे फाइटर जेट हैं. इस देश के पास टैंक और हल्के हथियार भी हैं.
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