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लगातार 150 दिनों तक मैराथन दौड़कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, तय की 6300 किमी की यात्रा, वन्यजीवों की रक्षा के लिए जुटाए लगभग 57 लाख रुपए

ऑस्ट्रेलिया में एक महिला ने लगातार 150 दिन मैराथन दौड़ने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. उन्होंने हर दिन एक मैराथन दौड़कर पूरा किया. आपको बता दें महिलाओं के लिए एक मैराथन 42.195 किलोमीटर की होती है.

Erchana Murray-Bartlett (Photo: Instagram) Erchana Murray-Bartlett (Photo: Instagram)
हाइलाइट्स
  • टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने से चूकीं

  • 150 दिनों तक हर दिन एक मैराथन दौड़ी

ऑस्ट्रेलिया में मैराथन रनर एर्चाना मुरे-बार्टलेट ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है. मुरे बार्टलेट ने पांच महीनों में पूरे ऑस्ट्रेलिया की दौड़ लगाई है. इस 32 वर्षीय रनर ने सोमवार को अपनी 6,300 किमी (3,900 मील) की यात्रा पूरी की, जिसके लिए उन्होंने 150 दिनों तक हर दिन एक मैराथन दौड़ी. 

मुरे बार्टलेट ने एक महिला द्वारा लगातार सबसे ज्यादा डेली (हर दिन) मैराथन दौड़ने का एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड सेट किया है. और उन्होंने वाइल्डरनेस सोसाइटी के संरक्षण दान के लिए 100,000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर यानी लगभग 57 लाख रुपए जुटाए हैं.

नहीं कर सकी थीं Tokyo Olympics के लिए क्वालिफाई 
बीबीसी के मुताबिक, मुरे-बार्टलेट सालों से प्रोफेशनली दौड़ रही हैं, लेकिन टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने से वह चूक गईं. इसके बाद, उन्होंने अपने लाइफ-लॉन्ग सपने को पूरा करने पर ध्यान दिया. उन्होंने तय किया कि वह पूरे ऑस्ट्रेलिया की दौड़ लगाएंगी. 

इसके साथ ही, मुरे-बार्टलेट ने एक अहम मुद्दे पर लोगों में जागरुकता फैलाने का फैसला किया. ऑस्ट्रेलियाई जानवरों और पौधों की विलुप्त होती प्रजातियों को देखकर उन्होंने इस संकट के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दौड़ लगाने की ठानी. आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया दुनिया में सबसे समृद्ध जैव विविधता का घर है और धीरे-धीरे यह खोती जा रही है. 

आसान नहीं था यह लक्ष्य 
मुरे-बार्टलेट के लिए यह लक्ष्य बिल्कुल भी आसान नहीं था. बल्कि उन्हें शुरू के तीन हफ्तों में ही चोट लग गई. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. वह ऑस्ट्रेलिया की फेमस कोस्टलाइन के साथ, वर्षावनों के बीच से, और सड़कों व राजमार्गों से दौड़ती रहीं. कई बार वह मूसलाधार बारिश में दौड़तीं तो कई बार 35 डिग्री तापमान में. 

उन्होंने सनबर्न से लेकर छालों और बदन में दर्द का सामना किया. उनका कहना है कि उन्हें हर तरह के कीट ने काटा है. लगातार मानसिक और शारीरिक थकान का उन्होंने सामना किया और कई बार तो सुबह उनके लिए हिलाना भी मुश्किल होता जाता था. यहां तक कि उनके पैर भी बुरी तरह सूज गए थे. कई बार उन्होंने हार मानने की सोची लेकिन फिर उन्हें उनका सपना और लक्ष्य य़ाद आ जाते.  

हिम्मत से हासिल की सफलता 
मुरे बार्टलेट ने 16 जनवरी की शाम को फिनिश लाइन पार कर ली और बताया कि उन्होंने चैरिटी के लिए अनुमानित फंड से दोगुना फंड इकट्ठा किया है. रास्ते में लोगों ने उनका खूब साथ दिया. लोगों ने न सिर्फ फंड किया बल्कि बहुत से लोग जगह-जगह पर उनके साथ दौड़े. इससे उनकी दौड़ और खास बन गई.