
पहलगाम (Pahalgam) में आतंकी हमले (Terrorist Attack) के बाद भारत (India) ने पाकिस्तान (Pakistan) में बम बरसाकर आतंकियों के नौ ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. मोदी सरकार (Modi Government) ने पाकिस्तान को सख्त हिदायत दी है कि यदि फिर से आतंकी हमले हुए तो पाक की खैर नहीं है. भारत से पटखनी के बाद अब पाकिस्तान को बलूचिस्तान ने बड़ा घाव दिया है.
बलूचिस्तान (Balochistan) ने खुद को आजाद घोषित कर दिया है. बलूच नेता मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया पर कई बयान शेयर किए हैं, जिसमें उन्होंने बलूचिस्तान गणराज्य के गठन की घोषणा की है. अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या खुद से बलूचिस्तान को आजाद घोषित करने से यहां के लोगों स्वतंत्रता मिल जाएगी? आइए जानते हैं नया देश बनने की क्या प्रक्रिया होती है?
भारत और संयुक्त राष्ट्र से मान्यता देने की मांगी
बलूच नेता मीर यार बलूच का कहना है कि पाकिस्तान ने हमारा बहुत शोषण किया है. अब हम उसका शोषण नहीं सहेंगे. हमारे लोगों द्वारा आजादी को लेकर दशकों से किया जा रहा आंदोलन अब रुकने वाला नहीं है. अब हम पाकिस्तान से आजाद हैं. मीर ने अपने देश बलूचिस्तान को भारत और संयुक्त राष्ट्र से मान्यता देने की मांगी की है.
उन्होंने नई दिल्ली में दूतावास खोले जाने की मांग उठाई है. इतना ही नहीं उन्होंने सयुक्त राष्ट्र से आर्थिक मदद के लिए करेंसी और पासपोर्ट के लिए अरबों रुपए का फंड मांगा है. संयुक्त राष्ट्र से शांति सेना भेजने की मांग की है. आपको मालूम हो कि बलूच नेता मीर यार बलोच एक लेखक, स्वतंत्र पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. मीर कई सालों से बलूचिस्तान की आजादी को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.
पहले कलात रियासत का हिस्सा था बलूचिस्तान
आपको मालूम हो कि बलूचिस्तान क्षेत्रफल के हिसाब से पाक का सबसे बड़ा प्रांत है. पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का 44 प्रतिशत हिस्सा है. पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर 1948 में कब्जा कर लिया था. इससे पहले बलूचिस्तान कलात रियासत का हिस्सा था. पाक के कब्जा किए जाने के बाद से ही बलूचिस्तान के लोग आजादी के लिए आंदोलन कर रहे हैं.
कई बार हिसंक प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन हर बार पाकिस्तान ने सैन्य अभियान चलाकर बलूचिस्तानियों के आंदोलन का दमन कर दिया. भारत द्वारा पाकिस्तान पर हमला करने के बाद बलूचिस्तानियों को पाक से आजाद होने का मौका मिल गया है. इन्होंने अपना आंदोलन तेज कर दिया है. आपको मालूम हो कि बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह होने के कारण इसका बहुत बड़ा सामरिक महत्व है. ग्वादर बंदरगाह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सीपीईसी के कारण चीन ने पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश किया है.
क्या है अलग राष्ट्र बनने की प्रक्रिया
बलूचिस्तान ने जहां खुद को पाकिस्तान से आजाद घोषित कर दिया है लेकिन अलग राष्ट्र बनने की प्रक्रिया अभी उतनी आसान नहीं है. किसी भी देश को आजाद घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर मान्यता मिलना जरूरी है. इसके लिए एक तय प्रक्रिया के तहत गुजरना होता है. सबसे पहले आजाद होने वाले क्षेत्र को संयुक्त राष्ट्र महासचिव को एक आवेदन भेजना होता है. इस आवेदन में लिखा होना चाहिए कि यह क्षेत्र एक राष्ट्र के रूप में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर यानी संविधान का पालन करेगा.
संयुक्त राष्ट्र आवेदन मिलने के बाद इसे सुरक्षा परिषद के पास भेजता है. सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं. इन 15 सदस्यों में से 9 का समर्थन नया देश को बनाने को लेकर दिए गए आवेदन के पक्ष में होना चाहिए. आपको मालूम हो कि सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों में से पांच अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन स्थायी सदस्य हैं. इन पांचों देशों के पास वीटो का अधिकार है. यदि इन पांचों देशों में से किसी एक ने भी क्षेत्र के देश बनने के खिलाफ मतदान किया तो आवेदन रद्द हो जाता है. यदि आजाद देश बनने वाले आवेदन को सुरक्षा परिषद में मुहर लग भी जाती है तो फिर इस आवेदन को आवेदन को महासभा में ले जाया जाता है. महासभा में 193 सदस्य देश हैं. किसी नए देश को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता पाने के लिए महासभा के दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. इतनी सब प्रक्रियाओं को पार करने के बाद बलूचिस्तान स्वतंत्र देश बन जाएगा.
सिर्फ आजादी की घोषणा करना काफी नहीं
आपको मालूम हो कि किसी क्षेत्र द्वारा सिर्फ आजादी की घोषणा करना उसे देश बनने के लिए काफी नहीं है. आपको हम कोसोवो और सोमालीलैंड का उदाहरण देकर समझा रहे हैं. आपको मालूम हो कि यूएस और यूरोप के कई देशों ने कोसोवो को एक देश के रूप में मान्यता दे रखी है लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने अब तक उसे देश नहीं माना है. इसके कारण कोसोवो संयुक्त राष्ट्र से मिलने वाले लाभों का फायदा नहीं उठा सकता है. उधर, सोमालिया से साल 1991 में सोमालीलैंड ने खुद को अलग कर लिया था. सोमालीलैंड ने एकतरफा स्वतंत्रता की घोषणा कर दी.
यहां आज लोकतंत्र का शासन है और चुनाव भी होते हैं. लेकिन सोमालीलैंड को किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है. संयुक्त राष्ट्र ने भी सोमालीलैंड अलग देश होने की मान्यता नहीं दी है. ऐसे में सोमालीलैंड को एक अलग देश के रूप में नहीं गिना जाता है. सोमालीलैंड संयुक्त राष्ट्र से मिलने वाले लाभों का सीधे इस्तेमाल नहीं कर सकता है. यहां संयुक्त राष्ट्र से आने वाली सहायता सोमालिया के जरिए जाती है. इतना ही नहीं सोमालीलैंड की मुद्रा को उसकी सीमाओं के बाहर मान्यता नहीं मिलती, इसलिए इसका कोई अंतरराष्ट्रीय मूल्य नहीं है. आपको मालूम हो कि किसी क्षेत्र ने खूद को आजाद देश घोषित कर दिया है और संयुक्त राष्ट्र ने उसे अलग देश की मान्यता नहीं दी है तो इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश नहीं माना जाता. खुद से आजाद घोषित क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज नहीं मिलता है. संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं से मदद नहीं मिलता है.