Ben S. Bernanke, Douglas W. Diamond and Philip H. Dybvig 
 Ben S. Bernanke, Douglas W. Diamond and Philip H. Dybvig बेन एस. बर्नान्के (Ben S. Bernanke), डगलस डब्ल्यू. डायमंड (Douglas W. Diamond) और फिलिप एच. डायबविग (Philip H. Dybvig) को अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज (Nobel prize for economic) दिया गया है. सोमवार को स्टॉकहोम में रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज में इन तीनों को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. बता दें, पिछले साल ये अवार्ड डेविड कार्ड को दिया गया था. इस साल का नोबेल प्राइज बैंकों और आर्थिक संकट पर रिसर्च के लिए दिया गया है.
अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका के बारे में हमारी समझ में किया सुधार
इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं, बेन बर्नानके, डगलस डायमंड और फिलिप डायबविग ने अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका के बारे में हमारी समझ में काफी सुधार किया है, खासकर वित्तीय संकट के दौरान. उनके शोध में एक महत्वपूर्ण खोज यह है कि बैंक के पतन से हमें बचना क्यों जरूरी है. इन तीनों को कैश प्राइज के रूप में 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनोर यानि करीब 7 करोड़ से ज्यादा रुपये दिए जाएंगे. ये प्राइज 10 दिसंबर को दिया जाएगा.
क्या है रिसर्च?
डगलस डब्ल्यू. डायमंड और फिलिप एच. डायबविग के काम की बात करें तो इन दोनों ने थ्योरिटिकल मॉडल विकसित किए जो बताते हैं कि दुनिया में बैंकों की क्या भूमिका है और ये क्यों मौजूद हैं. डगलस डायमंड ने यह भी दिखाया कि कैसे बैंक सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण कार्य करते हैं. बचतकर्ताओं और उधारकर्ताओं के बीच मध्यस्थ के रूप में भी बैंक की भूमिका होती है.
इस बीच, बेन बर्नान्के ने 1930 के दशक की महामंदी का विश्लेषण किया, जो आधुनिक इतिहास का सबसे खराब आर्थिक संकट में से एक था. साथ ही बर्नान्के के विश्लेषण से पता चला कि सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट में कौन से कारक महत्वपूर्ण थे.
बैंकों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया
नोबेल कमेटी ने अपने बयान में कहा कि तीनों द्वारा किए गए कार्य बाद के शोध के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं, जिसने बैंकों, बैंक विनियमन, बैंकिंग संकट और वित्तीय संकटों को कैसे मैनेज किया जाना चाहिए, के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया है.
गौरतलब है कि अन्य पुरस्कारों के विपरीत, इकोनॉमिक्स में नोबेल प्राइज की स्थापना अल्फ्रेड नोबेल की 1895 की वसीयत में नहीं है. बल्कि उनकी स्वीडिश सेंट्रल बैंक द्वारा की गई थी. इसके लिए पहला विजेता साल 1969 में चुना गया था.