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BrahMos: नाटो सदस्य समेत कई देश पाना चाहते हैं ब्रह्मोस की ताकत, जानिए कौन कौन हैं लिस्ट में?

भारत ने जब से ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया है, इसकी डिमांड बढ़ गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 15 देश ब्रह्मोस मिसाइल से अपनी सेना को लैस करना चाहते हैं. भारत फिलीपींस को ब्रह्मोस की दो खेप भेज चुका है.

BrahMos Missile BrahMos Missile

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया. इसके तहत भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को तबाह किया. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया. इस ऑपरेशन के बाद ब्रह्मोस मिसाइल सुर्खियों में है. इस हमले के बाद करीब 15 देशों ने शक्तिशाली ब्रह्मोस मिसाइल में दिलचस्पी दिखाई है.

कई देश चाहते हैं ब्रह्मोस मिसाइल-
हिंदुस्तान डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस की स्टेट मीडिया ने ब्रह्मोस को लेकर एक रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कई देश ब्रह्मोस मिसाइल खरीदना चाहते है. इसमें थाइलैंड, फिलीपींस, ब्रूनई, मलेशिया, वेनेजुएला, ब्राजील, इंडोनेशिया, चिली, अर्जेंटीना, मिस्त्र, सऊदी अरब, यूएई, कतर, बुल्गारिया और साउथ अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं. बुल्गारिया नाटो सदस्य देश है.

फिलीपींस के साथ हुआ है करार-
भारत और फिलीपींस ने ब्रह्मोस को लेकर साल 2022 में ही समझौता किया था. भारत ने इस देश के साथ 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया था. भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल की दो खेप भेज चुका है. साल 2024 में भारत ने ब्रह्मोस की पहली खेप फिलीपींस को भेजी थी. जबकि दूसरी खेप साल 2025 में भेजी गई है. इस सौदा से भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा सहयोग मजबूत हुआ है.

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रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस साल की शुरुआत में इंडोनेशिया को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने पर विचार कर रहा था. इंडोनेशिया इसका उन्नत संस्करण चाहता है. इतना ही नहीं, वियतनाम भी ब्रह्मोस मिसाइल से अपनी सेना को लैस करना चाहता है. ब्रह्मोस मिसाइल हिंदू-प्रशांत क्षेत्र में अनेक देशों के लिए चीन से सुरक्षा कवच होगी.

क्या है ब्रह्मोस की ताकत-
ब्रह्मोस मिसाइल जल, थल और आकाश में टारगेट को भेद सकती है. इसकी मारक क्षमता 290 से 400 किलोमीटर तक है. इसकी रफ्तार 2.8 मैक है. इसका मतलब यह ध्वनि की रफ्तार से करीब तीन गुना तेजी से जाती है. इस मिसाइल का वजन 1260 किलोग्राम है. यह मिसाइल 200-300 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जा सकती है.

अगर ब्रह्मोस मिसाइल को कोई खतरा होता है तो ये अपना रास्ता बदल लेती है. यह फायर एंड फॉरगेट सिद्धांत पर काम करती है. ब्रह्मोस मिसाइल को जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च किया जा सकता है.

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