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इस देश में खरीद लीजिए बस एक घर...मिल जाएगी नागरिकता, यहां का पासपोर्ट भी है खास

कैरेबियन के पांच खूबसूरत आइलैंड्स एंटीगुआ और बारबुडा, डोमिनिका, ग्रेनेडा, सेंट किट्स एंड नेविस और सेंट लूसिया में आप सिटिजनशिप खरीद सकते हैं. इन देशों ने "सिटिजनशिप-बाय-इन्वेस्टमेंट" (CBI) प्रोग्राम के तहत अमीर निवेशकों को एक खास ऑफर दिया है.

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हाइलाइट्स
  • पासपोर्ट से मिलेगी 150+ देशों में वीजा-फ्री एंट्री

  • यहां का पासपोर्ट भी है खास

अगर आप पैसे वाले एनआरआई या अमीर भारतीय हैं और सोचते हैं कि रिटायरमेंट के बाद किसी खूबसूरत आइलैंड पर बस जाएं, तो कैरेबियाई देशों का ऑफर आपके लिए बेस्ट है. एंटीगुआ और बारबुडा, डोमिनिका, ग्रेनेडा, सेंट किट्स एंड नेविस और सेंट लूसिया जैसे आइलैंड्ल एक ऐसा पैकेज दे रहे हैं जिसमें आप वहां हमेशा के लिए बस सकते हैं.

यह 'सिटिजनशिप बाय इन्वेस्टमेंट' (CBI) स्कीम है. इन देशों में अगर कोई विदेशी नागरिक कम से कम 2 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 1.6 करोड़) की प्रॉपर्टी खरीदता है, तो उसे वहां की नागरिकता मिल जाती है.

पासपोर्ट से मिलेगी 150+ देशों में वीजा-फ्री एंट्री
इन कैरेबियाई देशों के पासपोर्ट से आपको यूरोप के शेंगेन ज़ोन, यूके, सिंगापुर समेत 150 से ज्यादा देशों में वीज़ा-फ्री यात्रा की सुविधा मिलती है. इस स्कीम की खास बात ये है कि इसमें न तो आपको लोकल भाषा सीखनी है, न ही स्थायी निवास की शर्त है और कई मामलों में आय कर या विरासत कर भी नहीं देना होता. इसके अलावा इसकी प्रोसेसिंग भी काफी तेज है. कई बार सिर्फ 90 दिनों में पासपोर्ट मिल जाता है.

पासपोर्ट बेचने पर अंतरराष्ट्रीय दबाव
हालांकि ये स्कीम सुनने में जितनी आकर्षक लगती है, उसमें कई खतरे भी छुपे हैं. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि इन देशों को पासपोर्ट इतने आसानी से नहीं देने चाहिए. खासकर उन लोगों को जो मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे हैं या कानून से भाग रहे हैं. इस दबाव के चलते इन पांचों देशों ने 2024 में अपने नियम सख्त कर दिए. अब जांच ज्यादा होती है. न्यूनतम निवेश राशि भी बढ़ाई गई है और जालसाजी पाए जाने पर पासपोर्ट भी रद्द किए जा रहे हैं.

डोमिनिका ने 68 लोगों से छीने पासपोर्ट
'ग्लोबल सिटीजन सॉल्यूशंस' के अनुसार, डोमिनिका ने हाल ही में 68 लोगों के पासपोर्ट इसलिए रद्द कर दिए क्योंकि उन्होंने फर्जी जानकारी दी थी या नियमों का उल्लंघन किया था. सेंट लूसिया जैसे देशों में अप्लाई करने के बाद एक साल तक का इंतजार करना पड़ रहा है. इसका कारण बढ़ती मांग और जांच की बढ़ती जटिलता है. वहीं भारत में हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) के बीच इन स्कीम्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है.