scorecardresearch

Ajab Gajab: मां-बाप ने बेटे को निकाला घर से... गेट का पासकोड भी बदला... वजह हैरान कर देगी

इस छात्र के गाओकाओ (Gaokao) यानी राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा में कम अंक आए और वह अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा.

Representational Image Representational Image

चीन में एक हाई स्कूल ग्रेजुएट छात्र को उसके माता-पिता ने घर से निकाल दिया. लेकिन आप इसकी वजह जानकर हैरान रह जाएंगे. दरअसल, इस छात्र को सिर्फ उसके कम अंकों की वजह से घर से निकाला गया. इस छात्र के गाओकाओ (Gaokao) यानी राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा में कम अंक आए और वह अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा. 

क्या है पूरा मामला? 
श्याओकाई नाम के एक हाई स्कूल ग्रेजुएट छात्र को उसके माता-पिता ने घर से निकाल दिया और उसे पैसे भी देने बंद कर दिए. श्याओकाई के गाओकाओ परीक्षा में 750 में से 575 अंक आए. शयाओकाई के माता-पिता को अब चिंता है कि उनके बेटे का दाखिला अब 985 स्कूल में नहीं हो पाएगा. यह मामला चीन के हुनान प्रांत के हुआईहुआ शहर का है. 

गाओकाओ क्या है?
गाओकाओ (Gaokao) चीन की राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा है. इस परीक्षा के अंकों के आधार पर बच्चों को विश्वविद्यालय में दाखिला मिलता है. 

क्या है 985 स्कूल?
985 स्कूल चीन की 39 टॉप और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ का समूह है, जिसे मई 1998 में शुरू किया गया था. इन संस्थानों में दाखिला मिलना बड़े सम्मान और अवसरों की गारंटी माना जाता है. 

क्या श्याओकाई का स्कोर बहुत खराब था?
नहीं. श्याओकाई ने 575 अंक हासिल किए, जो पिछले साल की 985 स्कूल की कट-ऑफ के करीब हैं. यानी वह अब भी किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला ले सकता है.

माता-पिता ने क्यों नाराज़गी जताई?
माता-पिता के अनुसार:

  • श्याओकाई बचपन से टॉपर रहा है.
  • दो साल पहले जब उसे मोबाइल दिया गया, तो उसने ज़्यादा गेमिंग और सोशल मीडिया में समय बिताना शुरू कर दिया.
  • उसने पढ़ाई में ध्यान देना छोड़ दिया और कभी-कभी स्कूल से भागने भी लगा. 

माता-पिता ने क्या कदम उठाए?

  • घर के दरवाज़े का डिजिटल पासवर्ड बदल दिया.
  • आर्थिक मदद यानी पैसे देना बंद कर दिया. 
  • उनकी मां ने कहा कि अब हम अपनी-अपनी जिंदगी जिएंगे. 
  • पिता ने कहा: घर वापस आओ और हमारे नियम मानो या फिर बाहर जाकर नौकरी करो.

श्याओकाई ने क्या कहा?
श्याओकाई ने कहा, “मेरे माता-पिता बहुत ज़िद्दी हैं. वे मुझे अपने तरीके से चलाना चाहते हैं और मुझ पर बहुत ज़्यादा दबाव डालते हैं.”

चीन के सोशल मीडिया में क्या प्रतिक्रिया हुई?
कुछ लोगों ने माता-पिता की निराशा को सही ठहराया और लिखा, “जब कोई छात्र शुरू से टॉपर हो और अंत में ढीला पड़ जाए, तो स्वाभाविक है कि माता-पिता नाराज़ होंगे.”

वहीं कई लोगों ने माता-पिता की कठोरता की आलोचना की और कहा, “575 अंक खराब नहीं हैं. इतना दबाव डालना गलत है. हर बच्चा 985 कॉलेज में नहीं जा सकता.”

इस घटना से क्या सीख मिलती है?
यह घटना पैरेंटिंग में संतुलन, बच्चों पर उम्मीदों का बोझ, और मनोवैज्ञानिक दबाव की समस्या को उजागर करती है. GNTTV.Com मानता है कि बच्चों की असफलता को निजी अपमान की तरह नहीं लेना चाहिए, बल्कि बातचीत करके और सपोर्ट से उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए.