
Donald Trump 2.0: दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका (America) की कमान एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के हाथों में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के मित्र ट्रंप ने सोमवार की रात अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में भारतीय समयानुसार करीब 10:30 बजे अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली.
इस तरह से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन गए हैं. इससे पहले ट्रंप ने 2017 से 2021 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था. ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी ओर से लिए जाने वाले फैसलों पर भारत सहित पूरी दुनियां की निगाहें हैं. ट्रंप की विदेश नीति कई देशों की नियति तय करेगी. भारत के लिए ट्रंप का अमेरिकी सत्ता में वापस आना अहम माना जा रहा है. आइए जानते हैं यूएस में ट्रंप युग का आगाज भारत के लिए कितना फायदेमंद होगा.
अमेरिकी जनता से किए हैं ढेर सारे वादे
डोनाल्ड ट्रंप ने इस बार अमेरिकी जनता से ढेर सारे वादे किए हैं. जानकारों का मानना है कि ट्रंप की नीतियां संभवत: इस बार मेक अमेरिका ग्रेट अगेन और अमेरिका फर्स्ट के इर्द-गिर्द सिमटी रहेंगी. हालांकि ट्रंप को अक्सर 'अनप्रिडिक्टेबल' कहा जाता है. इसका मतलब है कि उनका किसी भी मुद्दे पर कब और क्या रुख होगा, इसका अंदाजा पहले से नहीं लगा सकता. कुछ लोग इसे ट्रंप की ताकत मानते हैं तो कई इसे उनकी कमजोरी बताते हैं.
ट्रंप बीजा में कटौती और टैरिफ में बढ़ोतरी और विस्तारवादी बयानों से माहौल को गरमाते रहे हैं. अब देखना है कि मोदी की नीतियों का कई बार बखान कर चुके ट्रंप भारत के लिए कितने फायदेमंद हो सकते हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व किया. शपथ ग्रहण समारोह के प्रमुख मेहमानों में रिलायंस चेयरमैन मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी भी शामिल रहे.
भारत को एक मजबूत साझेदार के रूप में देख सकता है अमेरिका
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत और अमेरिका के व्यापार संबंधों में एक नई दिशा देखने को मिल सकती है. इंडिया और यूएस में रक्षा, तकनीक, आतंकवाद के मुद्दों पर पारस्परिक सहयोग देखने को मिलेगा. ट्रंप चीन की बढ़ती ताकत के खिलाफ भारत को एक मजबूत साझेदार के रूप में देख सकते हैं. पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ भी ट्रंप का रुख भारत के पक्ष में रहेगा. अमेरिकी लोगों का भी मानना है कि ट्रंप के शासन में भारत के साथ अगले चार सालों में संबंधों के और सुधरने की उम्मीद है क्योंकि ट्रंप और मोदी एक अच्छे दोस्त हैं.
सुरक्षा सेक्टर को मिलेगी मजबूती
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा सेक्टर में मजबूती मिलने की उम्मीद है. डिफेंस और स्ट्रैटेजी की दृष्टि से देखें तो सबसे महत्त्वपूर्ण भारत के अमेरिका के साथ वे चार फाउंडेशनल एग्रीमेंट्स हैं, जो भारत को यूएस के मेजर स्ट्रैटेजिक पार्टनर की हैसियत तक लाए. इनमें से तीन पर डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में ही हस्ताक्षर हुए थे. ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि रक्षा और रणनीति के क्षेत्र में भारत और अमेरिका और आगे बढ़ेंगे. अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग और सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने पर ट्रंप का ध्यान भारत डायनेमिक्स और एचएएल जैसी भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए बेहतर हो सकता है. भारतीय बाजार को अमेरिकी वस्तुओं और निवेशकों के लिए खोलना ट्रंप को खुश करने का आसान तरीका है. अब यह भारत पर निर्भर है कि वो अपने बाजार को अमेरिकी कंपनियों के लिए कितना खोलता है.
ग्लोबल सर्वे में किया गया है यह दावा
डोनाल्ड ट्रंप का दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनना दुनिया में शांति लाने के साथ ही भारत और यूएस के बेहतर संबंधों को और मजबूत करेगा. यह दावा एक ग्लोबल सर्वे में किया गया है, जिसे यूरोपीय थिंक टैंक 'यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस' ने किया है. इसमें कहा गया है कि भारत समेत कई देशों के लोग ट्रंप की दूसरी पारी को लेकर सकारात्मक हैं. इस सर्वे में भारत को ट्रंप वेलकमर्स सेगमेंट में रखा गया है, जिसका मतलब है कि भारतीयों का मानना है कि ट्रंप 2.0 न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होंगे.
सर्वे के मुताबिक भारत में 82 फीसदी लोगों का मानना है कि ट्रंप की वापसी दुनिया में शांति कायम करने के लिए अच्छी बात होगी. 84 परसेंट लोग इसे भारत के लिहाज से फायदेमंद मानते हैं. वहीं 85 फीसदी का मानना है कि ये अमेरिकी नागरिकों के लिए फायदेमंद होगी.इस रिपोर्ट में ये बताया गया है कि भारत, सऊदी अरब, रूस, ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के लोग ट्रंप को अपने देशों के लिए अच्छा मानते हैं.
...तो भारत को होगा फायदा
अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत डोनाल्ड ट्रंप चीन के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने का फैसला करते हैं तो इससे भारत को लाभ मिल सकता है. ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद कहा- हम दूसरे देशों को समृद्ध करने के लिए अपने नागरिकों पर टैक्स लगाने के बजाय, हम अपने नागरिकों को समृद्ध करने के लिए विदेशी देशों पर टैरिफ और टैक्स लगाएंगे. सप्लाई चेन में भारत की भूमिका अहम रहने वाली है. अमेरिकी कंपनियां भारत का रुख कर सकती हैं. भारतीय एक्सपोर्ट सेक्टर को फायदा मिल सकता है चूंकि चीनी प्रोडक्ट पर हाई टैरिफ हैं. ये अमेरिकी मार्केट में ऑटो पार्ट्स, सौर उपकरण और रासायनिक उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्माताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ा सकते हैं.
क्या हो सकता है एच1बी वीजा को लेकर
ट्रंप शासनकाल में भारत की चुनौतियां एच1बी वीजा नियमों को लेकर देखने को मिल सकती है. अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के लिए नौकरी बनाए रखना या नई नौकरी पाना मुश्किल हो सकता है. H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिका में विदेशियों के लिए सबसे बड़ा अस्थायी वर्क वीजा है. यह एम्पलॉयर्स को "मेरिट और एबिलिटी" के आधार पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की इजाजत देता है. अमेरिका में 2024 में 1.20 लाख .H-1B वीजा में से 25 हजार भारतीयों को जारी हुए. इस तरह से भारतीय पहले नंबर पर रहे. उधर, कई जानकारों का कहना है कि अमेरिकी टेक सेक्टर भारतीय टैलेंट पर निर्भर है. ऐसे में भारतीयों को वीजा न देकर ट्रंप चीन की बढ़ती ताकत के बीच टेक्नॉलजी में अमेरिका पीछे छूटने का रिस्क नहीं ले सकते हैं.
राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही डोनाल्ड ट्रंप ने की ये बड़ी घोषणाएं
राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रंप ने कहा-हम दूसरे देशों को समृद्ध करने के लिए अपने नागरिकों पर टैक्स लगाने के बजाय, हम अपने नागरिकों को समृद्ध करने के लिए विदेशी देशों पर टैरिफ और टैक्स लगाएंगे. उन्होंने अमेरिका की दक्षिण सीमा पर नेशनल इमरजेंसी की घोषणा की. अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए सेना तैनात करेंगे. उन्होंने रिमेन इन मेक्सिको पॉलिसी को लागू करने का ऐलान किया.
उन्होंनें कहा कि क्रिमिनल कार्टेल्स घोषित होंगे विदेशी आतंकी संगठन. अमेरिका में विदेशी गिरोहों के खात्मे के लिए विदेशी शत्रु अधिनियम 1978 लागू किया जाएगा. उन्होंने नेशनल एनर्जी इमरजेंसी की घोषणा की. फ्री स्पीच के लिए अमेरिका में सेंसरशिप पर रोक. अमेरिका में थर्ड जेंडर समाप्त, सिर्फ मेल और फीमेल जेंडर होंगे. कोविड मेनडेट उल्लंघन के कारण निष्कासित कर्मचारियों की नौकरी बहाल होगी, मुआवजा भी मिलेगा. गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलकर गल्फ ऑफ अमेरिका करने का ऐलान किया.