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First Planned Migration of a Country: ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट हो रहा है यह पूरा देश... जानिए क्यों और कैसे होगा यह माइग्रेशन

तुवालू नौ प्रवाल द्वीपों (कोरल आइलैंड्स और एटोल्स) का एक समूह है, जिसकी कुल जनसंख्या 11,000 से थोड़ी ज्यादा है.

Tuvalu (Photo: Wikipedia) Tuvalu (Photo: Wikipedia)

प्रशांत महासागर में स्थित छोटे से द्वीप राष्ट्र तुवालू ने इतिहास रचते हुए दुनिया का पहला ऐसा कार्यक्रम शुरू किया है जिसमें पूरे देश का योजनाबद्ध पलायन किया जाएगा. इसका कारण है समुद्र स्तर का बढ़ता खतरा, जिससे वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले 25 सालों में तुवालू का ज्यादातर हिस्सा डूब सकता है.

डूबता द्वीप, डूबती उम्मीदें
तुवालू नौ प्रवाल द्वीपों (कोरल आइलैंड्स और एटोल्स) का एक समूह है, जिसकी कुल जनसंख्या 11,000 से थोड़ी ज्यादा है. इसकी औसत ऊंचाई सिर्फ 2 मीटर है, जो इसे समुद्र के बढ़ते स्तर, तूफानों और बाढ़ के लिए अत्यंत संवेदनशील बनाती है. 

NASA के Sea Level Change Team के अनुसार, 2023 में तुवालू में समुद्र का स्तर पिछले 30 वर्षों की तुलना में 15 सेंटीमीटर ज्यादा था. अगर इसी तरह चलता रहा, तो 2050 तक देश का बड़ा हिस्सा पानी में समा सकता है. वर्तमान में, 9 में से 2 कोरल द्वीप लगभग पूरी तरह डूब चुके हैं. वैज्ञानिकों को आशंका है कि आने वाले 80 सालों में यह देश इंसानों के रहने योग्य नहीं रहेगा. 

ऑस्ट्रेलिया बना उम्मीद की किरण
इस संकट का सामना करने के लिए, 2023 में तुवालू और ऑस्ट्रेलिया के बीच 'Falepili Union Treaty' पर हस्ताक्षर किए गए. इस समझौते के तहत, हर साल 280 तुवालू नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में स्थायी निवास मिलेगा- जिसमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास और रोजगार के सभी अधिकार शामिल होंगे.

पहले फेज के आवेदन 16 जून से 18 जुलाई 2025 के बीच लिए गए, जिसमें 8,750 लोगों (परिवार सहित) ने पंजीकरण कराया. यह संख्या देश की कुल आबादी का लगभग 80% है. पहले 280 प्रवासियों का चयन 25 जुलाई को लॉटरी द्वारा किया गया. 

गरिमा के साथ बसेंगे तुवालू के लोग
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा कि यह कार्यक्रम तुवालूवासियों को “गरिमा के साथ बसने” का अवसर देगा. वहीं, तुवालू के प्रधानमंत्री फेलेटी टेओ ने वैश्विक समुदाय से अपील करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि समुद्र स्तर के खतरे से जूझते देशों के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि बनाई जाए. 

हर साल 4% तक पलायन संभव
UNSW सिडनी के Kaldor Centre for International Refugee Law की विशेषज्ञ जेन मैकएडम के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के अन्य प्रवासन कार्यक्रमों को मिलाकर, हर साल लगभग 4% तुवालू की जनसंख्या पलायन कर सकती है. अगले दस सालों में करीब 40% आबादी देश छोड़ सकती है. तुवालू का यह कदम केवल एक देश की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की जलवायु चुनौतियों का पर सवाल उठाता है. क्या अन्य छोटे द्वीप राष्ट्रों को भी ऐसे ही कदम उठाने पड़ेंगे? और क्या दुनिया अब भी समय रहते सचेत होगी?

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